टीकाकरण की पुरजोर कोशिश लेकिन आंकड़े खुद ही दे रहे हैं गवाही

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में टीकाकरण को एकमात्र कारगर हथियार मानने के बाद भारत में टीकों की रफ्तार तेज हो गई है। फिर भी विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आशंकित हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में टीकाकरण की दर बहुत कम है। ऐसे में विशेषज्ञ आशंकित हैं कि अगर तीसरी लहर आती है तो उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, झारखंड, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य इसके लिए प्रसारक का काम करेंगे उनकी आशंका का एक बड़ा कारण यह भी है कि इन राज्यों में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को कम कोरोना वैक्सीन मिली है।
आंकड़ों की भाषा में कहें तो इन राज्यों में प्रति 1000 लोगों पर टीकाकरण की दर कम है। आंकड़े बताते हैं कि 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में कोरोना टीकाकरण का राष्ट्रीय औसत 947.13 है। इसकी तुलना में, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 523.05 खुराक, 651.12 और 853.48 खुराक की औसत है। यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इन तीनों राज्यों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के एक करोड़ से अधिक बुजुर्ग हैं। ओआरएफ ट्रैकर के मुताबिक, महाराष्ट्र में 60 साल से ऊपर के लोगों की संख्या 1.45 करोड़ है, लेकिन इस उम्र के लिए टीकाकरण की दर राष्ट्रीय औसत यानी 951.12 से बेहतर है. ओआरएफ के सीनियर फेलो-हेल्थ इनिशिएटिव ओउम्मन सी कुरियन के मुताबिक बुजुर्गों का कोरोना टीकाकरण भले ही कम हो, तो संभावित तीसरी लहर में पहली और दूसरी लहर की तुलना में बड़ी संख्या में संक्रमित सामने आ सकते हैं।
ओआरएफ के आंकड़ों के मुताबिक 27 अगस्त तक 60 साल से ऊपर की 61.6 प्रतिशत आबादी को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है. 31.4 प्रतिशत बुजुर्गों ने टीके की दोनों खुराकें ली हैं। तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में बुजुर्ग आबादी का अनुपात अधिक है, लेकिन टीकाकरण का प्रचलन कम है। ऐसे में इन राज्यों को अगली लहर में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इन राज्यों को अपनी बुजुर्ग आबादी के टीकाकरण की गति पर जोर देना होगा। उनके अनुसार, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में आयु जनित रोग अधिक आम हैं। ऐसे में कोरोना टीकाकरण दर कम होने से इस आबादी में कोविड-19 संक्रमण से मौत का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है।

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