राजस्थान के इस जिले से पलायन को लोग हुए मजबूर, पुलिस ने कहा माहौल बिगाडऩे की साजिश

नई दिल्ली। जिले के मालपुरा कस्बे में बहुसंख्यकों की ओर से सदन के बाहर लगाए जा रहे पोस्टरों का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। इस मामले में पुलिस ने सिर्फ सुरक्षा की मांग करने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ कोविड दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही पुलिस ने 8 लोगों को प्रतिबंधित कराने के लिए इस्तगासा एसडीएम कोर्ट में पेश किया है। इससे लोग सुरक्षा की वकालत करने से नाराज हैं।
मालपुरा कस्बे के 6 वार्डों में बहुसंख्यक समुदाय से जुड़े करीब 500 घरों में लोगों के पलायन को मजबूर होने के पोस्टर लगाए गए हैं। इनमें वार्ड क्रमांक 12, 19, 20, 21, 23 और 27 शामिल हैं। इन वार्डों के लोगों ने खुद को अल्पसंख्यक परिवारों से खतरा बताया है। इनमें से कुछ वार्डों के लोगों ने सोमवार और मंगलवार को मालपुरा एसडीएम को पीएम और सीएम के नाम पर ज्ञापन सौंपकर अपनी सुरक्षा की मांग की थी। घरों में माइग्रेशन के पोस्टर लगाए जाने की सूचना पर जब पुलिस उन्हें हटाने गई तो उन्हें स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। स्थानीय प्रशासन ने इसे शहर के सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे वाला कृत्य कहा है।
इस मामले के बारे में टोंक एसपी ओमप्रकाश का कहना है कि असुरक्षा और पलायन के आरोप भ्रामक और निराधार हैं। टोंक में लोगों में आपसी भाईचारा और प्रेम है। टोंक और मालपुरा के लोग मजबूत और ताकतवर हैं। झूठा प्रचार फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मालपुरा में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।
गौरतलब है कि मालपुरा कस्बे में आजादी के बाद से अब तक कई सांप्रदायिक लड़ाई और दंगे देखने को मिलते रहे हैं। यहां समय-समय पर हुए इस तरह के दंगों में अब तक 50 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। साथ ही झगड़े से तंग आकर कई परिवार पलायन कर शहर के बाहरी इलाकों में बस गए हैं। लेकिन अब एक बार फिर मालपुरा कस्बा सुर्खियों में आ गया है। मालपुरा में रहने वाले जैन समुदाय के साथ हिंदू समाज के सैकड़ों परिवार पिछले कई दिनों से लगातार पुलिस और प्रशासनिक से सुरक्षा की विनती कर रहे हैं।

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