सीडीएस के बयान से विदेश मंत्री ने किया किनारा, कहा भारत नहीं करता है समर्थन

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत के बयान के एक दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनके बयान से दूरी बना ली है। विदेश मंत्री ने चीनी समकक्ष से कहा है कि भारत ने कभी भी सभ्यताओं के टकराव का समर्थन नहीं किया है। दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के इतर एक बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रावत की टिप्पणी से हटकर अपनी स्थिति स्पष्ट की। अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा कि भारत ने कभी भी सभ्यताओं के टकराव के सिद्धांत का समर्थन नहीं किया है।
रावत ने कहा कि एशियाई एकजुटता भारत और चीन के बीच स्थापित संबंधों और इस संबंध से स्थापित होने वाले उदाहरण पर निर्भर करेगी। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चीन को भारत के साथ अपने संबंधों को तीसरे देश के नजरिए से देखने से बचना चाहिए। भारत की इस बात पर चीन सहमत हो गया है। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद के घटनाक्रम पर भी विचार साझा किए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने हाल के वैश्विक घटनाक्रमों पर भी चर्चा की।
गौरतलब है कि सीडीएस बिपिन रावत ने बुधवार को नई दिल्ली में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि हम निंदक और इस्लामी सभ्यताओं के बीच एक संयुक्तता देख रहे हैं। आप देख सकते हैं कि चीन अब ईरान से मित्रता कर रहा है, वे तुर्की की ओर बढ़ रहे हैं और आने वाले वर्षों में वे अफगानिस्तान में चले जाएंगे। क्या इससे पश्चिमी सभ्यता के साथ सभ्यताओं का टकराव होगा? उन्होंने कहा कि दुनिया में उथल-पुथल है।
सीडीएस ने कहा कि चीन का उदय लोगों की कल्पना से भी तेज था। हम एक द्विधु्रवीय या बहुधु्रवीय दुनिया में वापस जा रहे हैं। हम निश्चित रूप से जो देख रहे हैं वह राष्ट्रों की ओर से अधिक आक्रामकता है। खासतौर पर जो बाइपोलर दुनिया में घुसने और अपनी मौजूदगी का अहसास कराने की कोशिश कर रहा है, वह है चीन। वे अधिक से अधिक आक्रामक होते जा रहे हैं और हम उनके साथ एक भूमि सीमा साझा करते हैं। तो अब समय आ गया है कि हम अपनी रणनीतियों को देखें कि हम सीमाओं पर कैसे निपटेंगे।

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