ड्रैगन के खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन ने कसना शुरू किया शिकंजा

न्यूयार्क। जब से दुनिया में कोरोना फैला है तभी से चीन का नाम इस वाइरस की उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है। अमेरिका के पूर्व राष्टï्रपति ट्रम्प तो कोरोना को चीनी वाइरस कहकर ही संबोधित करते थे। हलांकि इस पर चीन ने हमेशा आपत्ति जताई थी। लेकिन यह बात भी सच है कि चीन शुरू से ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर सवालों के घेरे में रहा है, लेकिन अब जल्द ही चीन की चोरी का सच सामने आ रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन विश्व स्वास्थ्य संगठन पर कोरोना की उत्पत्ति की फिर से जांच करने का दबाव बना रहे हैं। इस बीच एक सनसनीखेज दावा किया गया है जो चीन की नापाक मंशा की ओर इशारा कर रहा है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोरोना प्राकृतिक रूप से नहीं बढ़ा है, बल्कि इसे चीन के वैज्ञानिकों ने वुहान की लैब में ही तैयार किया है।
इस स्टडी में चीन पर सनसनीखेज और चौंकाने वाले आरोप लगाए गए हैं. एक दावा यह भी है कि चीन ने वुहान लैब में प्रयोग से जुड़े डेटा को जानबूझकर नष्ट किया, छुपाया और हेरफेर किया। वहीं कोरोना को लेकर आवाज उठाने वाले वैज्ञानिकों को या तो चीन ने खामोश कर दिया या फिर गायब कर दिया। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया एजेंसियों को लैब की थ्योरी की जांच समेत 90 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने चीन से अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग करने की अपील की, इतना ही नहीं बाइडेन ने अमेरिकी प्रयोगशालाओं को भी जांच में सहयोग करने को कहा है लेकिन सवाल यह है कि बाइडेन ने अब इस मामले की जांच के आदेश क्यों दिए।
ऐसा नहीं है कि आज चीन पर सवाल उठ रहे हैं और डब्ल्यूएचओ की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। आपको बता दें कि अमेरिका में पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। डोनाल्ड ट्रंप, जो उस समय राष्टï्रपति थे, ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार दावा किया कि कोरोना एक चीनी वायरस है और अमेरिकी खुफिया विभाग के पास इसका सबूत है। ट्रम्प ने इन सबूतों को सही समय पर लाने का वादा भी किया था, हालाँकि, ट्रम्प चुनाव हार गए और उनके सभी वादे और दावे धरे के धरे ही रह गए।
20 जनवरी 2021 को बाइडेन अमेरिका के प्रेसीडेंट बने, अब बाइडेन कोरोना की उत्पत्ति की गहनता से जांच कर रहे हैं। लेकिन अब चीन अमेरिका को विज्ञान और महामारी का ज्ञान दे रहा है। जहां कुछ दिन पहले तक चीन छोटे देशों को कोरोना से मदद के लिए लॉलीपॉप दे रहा था, वहीं अमेरिका और ब्रिटेन इस मामले की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन पर लगातार दबाव बना रहे हैं। यदि यह दबाव कामयाब होता है फिर से इस मामले की जांच होती है तो फिर इस बात की उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार सच लोगों के सामने आएगा।

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