स्मार्ट सिटी ऑफिस में बैठेंगे सीएमओ साहब तो फिर कैसे होगा दफ्तर व मरीजों की समस्याओं का समाधान
- ऑफिस से दो से ढाई किलोमीटर दूर बैठते हैं, सीएमओ कार्यालय में उनसे मिलने के लिए इंतजार में लगा रहता है तांता
- आरोप- इस कार्यालय से उस कार्यालय चक्कर लगाना कर्मचारियों की मजबूरी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोरोना काल में अस्पतालों में इलाज न मिलने से मरीजों के सामने कई समस्याएं खड़ी हो रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर सीएमओ बेपरवाह होकर दो से ढाई किलोमीटर दूर स्मार्टसिटी के ऑफिस में बैठे हैं। इतना ही नहीं, सीएमओ पीडि़त मरीजों का फोन भी नहीं उठा रहे हैं। मरीज सीएमओ ऑफिस पहुंच रहे हैं और सीएमओ के न मिलने पर ऑफिस में ही भीड़ इकठ्ठी हो जाती है, जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का डर बना रहता है।
सीएमओ कार्यालय के कर्मचारियों का आरोप है कि उनके यहां नहीं बैठने से इस कार्यालय से उस कार्यालय चक्कर लगाना मजबूरी है। दफ्तर व मरीजों की समस्याओं का समाधान भी इसी चक्कर में लेट हो रहा हैं। साथ ही दफ्तर में उनसे मिलने के लिए इंतजार में मरीजों व लोगों का तांता लगा रहता हैं।
संक्रमण के भय से वे इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं में बरती जा रहीं लापरवाही के मामले मिलते ही रहते हैं, जिसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जाती है। इसके बाद समस्या का समाधान किया जाता है लेकिन, जब उच्च अधिकारी ही लापरवाही बरतने लगें तो इसकी शिकायत किससे की जाए। नए सीएमओ राजेन्द्र प्रसाद सिंह की रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद उन्हें होम आइसोलेट कर दिया गया उन्हीं के स्थान पर एम.के. सिंह ने चार्ज संभाला है। चार्ज लेने के बाद से ही सीएमओ एम.के. सिंह की लापरवाही सामने आने लगीं। सीएमओ न तो मरीजों का फोन उठा रहे हैं और न ही कोरोना पीडि़तों की बात सुन रहे हैं। मरीजों का कहना है कि अस्पतालों में डॉक्टर सुन नहीं रहे, जिस कारण सीएमओ के पास अपनी समस्या लेकर आए थे लेकिन सीएमओ भी बात नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अपनी समस्या लेकर किसके पास जाएं जिससे कि समस्या का समाधान हो सके।
सीतापुर से आए मुकेश यादव का कहना है कि सीएमओ को कल से फोन कर रहे हैं लेकिन हमारी सुनने वाला कोई अधिकारी नहीं है। बीते 25 अगस्त को सीएमओ राजेन्द्र प्रसाद व एडिशनल सीएमो ए राजा कोरोना पॉजीटिव पाए गए, जिसके बाद ऑफिस का सैनेटाजेशन कर दिया गया। इसके बाद यहां आने वाले मरीज व अन्य लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है।
पीआरओ भी करते हैं मनमानी
सीएमओ के पीआरओ योगेश रघुवंशी मीडियाकर्मी से बचते नजर आते हैं। पीआरओ को स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां नहीं होती, जिससे कई बार मीडियाकर्मी को लौटना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि सीएमओ ऑफिस से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी नहीं मिलेगी तो फिर कहां से मिलेगी।
सारा प्रशासन लालबाग में बैठता है। कंट्रोल रूम यहीं बनाया गया है तो सीएमओ ऑफिस में कम जाना होता है, पर जाते जरूर हैं। कार्यालय में अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है तो इस तरह की लापरवाही पर पाबंदी लगाई जाएगी।
एम.के सिंह,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी
संविदा पर तैनात रिटायर्ड निदेशक ने टेंडर में घोटाला कर समधी के खाते में पहुंचाए करोड़ों
- भाजपा सांसद कौशल किशोर ने कमिश्नर सुजीत पांडेय से की शिकायत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राष्टï्रीय संस्कृति संपदा संरक्षण (एनआरएलसी) में संविदा पर तैनात रिटायर्ड निदेशक ने अपने ही विभाग में टेंडर के नाम पर घोटाला करके केंद्र सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। हेराफेरी के जरिए रिटायर्ड निदेशक ने अपने समधी के खाते में करोड़ों पहुंचाए। यह आरोप मोहनलालगंज से भाजपा सांसद कौशल किशोर का है। उन्होंने इस संबंध में लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है।
हालांकि मामले में संतोष कुमार नाम के एक कर्मचारी ने अलीगंज थाने में रिटायर्ड निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। इंस्पेक्टर फरीद अहमद ने बताया कि जांच अधिकारी के कोरोना संक्रमित होने के कारण कार्रवाई रुक गई है लेकिन, जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
अलीगंज क्षेत्र में राष्टï्रीय संस्कृति सम्पदा संरक्षण का कार्यालय है, जो केंद्र के अधीन है। इस विभाग में मैनेजर सिंह संविदा पर निदेशक के पद पर तैनात है, जो कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से रिटायर्ड है। यहां पर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी संविदा पर कार्यरत हैं। बताया जाता है कि मैनेजर सिंह को तैनाती मिलने के बाद उसने अपने समधी वीके सिंह को नियमों को ताक पर रखते हुए ठेका दे दिया। यह ठेका निशांत एंटरप्राइजेज के पास था। बीते दो वर्षों से यह कम्पनी विभाग को सेवा दे रही थी। विभाग में तैनात सफाई कर्मचारी संतोष कुमार का आरोप है कि मैनेजर सिंह ने अपने रिश्तेदार को फायदा पहुंचाने के लिए अन्य ठेकेदारों के आवेदन ठुकरा दिए और चुपचाप अपने समधी की कंपनी वीके कंस्ट्रक्शन जो की पंजाब से संचालित है, को टेंडर दे दिया।
संतोष ने बताया कि कम्पनी के पास न तो श्रम विभाग का लाइसेंस है और न ही यूपी सरकार की अनुमति। बावजूद वीके कंस्ट्रक्शन को टेंडर दिया गया। आरोप यह भी है कि रिटायर्ड निदेशक लगातार टेंडर के नाम घोटाले कर रहे हैं। मगर उन पर कोई बड़ा अधिकारी कार्रवाई नहीं करता, क्योंकि उन पर अफसरों की शह है। कर्मचारियों का कहना है कि रिटायर्ड निदेशक ने मई 2019 से जनवरी 2020 तक संविदा कर्मचारियों के वेतन में हेराफेरी की। ईपीएफ में भी गड़बड़ी आई है।
कर्मचारियों के कमरे के सामने ही खुले में पड़ी पीपीई किट
- अस्पताल प्रशासन इस ओर नहीं देता ध्यान, फैल सकता है कम्यूनिटी ट्रांसमिशन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बलरामुपर अस्पताल में कोविड-19 में उपयोग होने वाली पीपीई किट खुले में पड़ी हुई हैं। वार्डों में यह किट उपयोग में लेने के बाद कर्मचारियों के कमरे के सामने फेंकी दी जाती हैं। यही हाल इमरजेंसी के सामने का भी हैं, यहां भी पीपीई किट खुले में पड़ी रहती हैं। ऐसे में वहां से गुजरने वाले मरीज, उनके परिजन व अन्य कर्मचारियों पर संक्रमण फैलने का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना काल में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन फैलने का भी डर है। बावजूद अस्पताल प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों के कमरे के सामने ही पीपीई किट की डिस्पोज सामग्री फेंक दी जाती है, ऐसा हर रोज किया जाता है जबकि कूड़े के लिए स्टोर रूम बनाए गए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि मना करने के बाद भी लापरवाही बरती जाती है। अक्सर यहां पीपीई किट, ग्लब्स, मास्क खुले में पड़े रहते हैं। हवा चलने पर पूरे अस्पताल में बिखर जाते हैं, जिससे संक्रमण फैल सकता है। बावजूद कोई ध्यान नहीं देता है। इसके अलावा कोरोना की जांच कराने आए मरीज भीड़ में खड़े रहते हैं लेकिन यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।
इमरजेंसी के सामने इकठ्ठा होता है कूड़ा
अस्पताल में इमरजेंसी के सामने ही कोविड-19 की डिस्पोज सामग्री पॉलीथीन में पैक करके कूड़ा इक_ïा किया जाता है। नगर निगम अगले दिन इस कूड़े को उठाता है। इमरजेंसी के सामने जहां कूड़ा पड़ा रहता है इसके बगल में ही कोरोना संदिग्धों की कोविड-19 जांच होती है। ऐसे में संक्रमण व कम्यूनिटी ट्रांसमिशन फैलने का डर ज्यादा है। कूड़ेदान के आसपास खड़े मरीज इस बात का उदाहरण हैं।
बच्चे खेल-खेल में उठा लाते हैं किट और ग्लब्स
कर्मचारियों का कमरा निदेशक ऑफिस के सामने ही बना है जो महज दस कदम की दूरी पर है। लापरवाह लोग पीपीई किट की डिस्पोज सामग्री निदेशक राजीव लोचन के ऑफिस के पास ही फेंक देते हैं। कर्मचारियों ने बताया कि बच्चे शाम के समय खेल-खेल में कई बार किट, गल्ब्स व चश्मे उठा लाते हैं। इससे बच्चों में संक्रमण फैलना का डर बना रहता है। कर्मचारियों ने बताया कि यहां की सफाई व्यवस्था रामभरोसे है। सेनेटाइजेशन के नाम पर भी खानापूर्ति की जाती है। कई बार बड़े अधिकारियों से बोला लेकिन, बात अनसुनी कर दी जाती हैं।
खिलाडिय़ों के गांव-घर तक सडक़ बनाने की योजना शुरू
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में पद्मभूषण मेजर ध्यानचंद विजय पथ योजना की शुरुआत की है। राज्य के 19 राष्टï्रीय और अंतरराष्टï्रीय खिलाडिय़ों के गांव-घर तक जाने वाली सडक़ों को बनाने का वर्चुअल शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि यूपी सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री व पूर्व क्रिकेटर स्व. चेतन चौहान के नाम से राज्य की किसी प्रमुख सडक़ का नामकरण भी होगा।
लोक निर्माण विभाग मुख्यालय में कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मेजर ध्यानचंद विजय पथ के शिलान्यास से जहां खेलों का सम्मान किया जा रहा है, वहीं खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। भविष्य में इसी तरह खिलाडिय़ों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी हमारे देश का गौरव हैं। जिन सडक़ों का शिलान्यास किया गया है बन जाने पर साइन बोर्ड लगाए जाएंगे जिन पर खिलाडिय़ों के नाम और उनकी प्रतिभा का विवरण लिखा जाएगा। सडक़ों का नाम मेजर ध्यानचंद विजयपथ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर गोल्ड मेडल हासिल करने वाले खिलाडिय़ों के गांव तक भी सडक़ें बनाई जाएंगी।