अफसर फील्ड में उतरें, तभी यूपी बनेगा मॉडल : राज्यपाल
- मंत्रियों, विधायकों को भी मैदान में उतरकर काम करने की नसीहत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हवा में उड़ने और बड़ी गाड़ियों से चलने वाले मंत्रियों, विधायकों और अफसरों को फील्ड में उतरकर काम करने की नसीहत दी। कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा आंगनबाड़ी केंद्रों में सुधार से ही प्रदेश की दिशा और दशा में बदलाव आएगा। इससे पूरे देश में उत्तर प्रदेश को मॉडल के रूप में पेश किया जा सकेगा। कभी शिक्षक, कभी राजनेता तो कभी शासक की तरह राज्यपाल ने शिक्षा के जरिये स्वास्थ्य, ग्रामीण सुधार, समस्याओं के निस्तारण को लेकर एक के बाद एक कई सुझाव और उदाहरण दिए। राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए गांवों में जाना होगा। आंगनबाड़ी केंद्रों के सुधार के लिए उन्होंने गुजरात में जो भी सफल प्रयोग किए हैं, उसी आधार पर यहां भी बदलाव की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए नेता, मंत्री, अधिकारी, शिक्षक सभी को कार्यालय से बाहर निकलकर फील्ड में काम करना होगा। उन्होंने कहा आंगनबाड़ियों के माध्यम से बच्चों और महिलाओं में शिक्षा, खेल और स्वास्थ्य संबंधी जागरुकता अभियान चलाया जा सकता है। राज्यपाल ने बताया कि जिन गांवों का क्षेत्रफल अधिक है, वहां चार से छह आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाने चाहिए।
पीएम मोदी के क्षेत्र में सफल रहा गुजरात मॉडल
आनंदीबेन ने बताया कि जब वे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा कि वे आंगनबाड़ी केंद्रों के विकास के गुजरात मॉडल की शुरुआत उनके लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से करें। इस पर उन्होंने वहां पर केंद्रों की महिलाओं और अधिकारियों के साथ मशविरा कर रसोई योजना शुरू की, जो काफी सफल रही। कहा कि केंद्रों में बच्चों को अच्छा भोजन मिलेगा, तभी वे आएंगे। सिर्फ हिंदुस्तान ऐसा देश हैं, जहां केंद्र और राज्य सरकार के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को अच्छा भोजन देने के लिए धनराशि दी जाती है। हालांकि, इसकी समय पर पड़ताल जरूरी है।
योजनाओं पर रखें नजर
आनंदीबेन पटेल ने कहा सरकार की योजनाओं का लाभ पात्रों को मिल रहा है या नहीं? इसकी पड़ताल के लिए राज्यपाल ने अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को मौके पर जाने की सलाह दी। कहा कि विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, पंचायतों के सदस्य, पार्षद, प्रधान सभी की जिम्मेदारी तभी पूरी मानी जाएगी, जब वे गांवों में जाकर योजनाओं का लाभ लोगों को दिलवा पाएंगे।