इन्होंने किया तालिबान और पाकिस्तान की कमेस्ट्री का खुलासा

नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां मची उथल-पुथल के बीच अशरफ गनी का बड़ा बयान सामने आया है। गनी ने दावा किया है कि पाकिस्तानी आतंकवादी अफगानिस्तान में घुस आए हैं। जिसकी जानकारी उन्होंने 23 जुलाई को ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को दी थी। उन्होंने कहा कि तालिबान की युद्ध योजना के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। अशरफ गनी ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी साजिश का भी पर्दाफाश किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में 10 से 15 हजार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घुसे हैं। गनी ने यह भी कहा कि तालिबान को पाकिस्तान से रसद समर्थन प्राप्त है। वहीं कतर से तकनीकी टीम काबुल पहुंच गई है। यह टीम काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा और संचालन में मदद करेगी।
अमेरिका ने 2001 में 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद अफगान युद्ध शुरू किया था, लेकिन 20 साल बाद गैर-जिम्मेदाराना तरीके से युद्ध को समाप्त कर दिया। अब साल उठता है कि तालिबान की वापसी क्यों हुई और अब अफगानिस्तान का भविष्य क्या होगा? 30 अगस्त को, यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल केनेथ मैकेंजी ने घोषणा की कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है, और अमेरिकी सैन्य कब्जे के 20 साल समाप्त हो गए हैं। हालांकि यह अमेरिकी सेना के लिए पूरा किया गया एक मिशन है, कई लोग इसे एक मिशन विफलता के रूप में देखते हैं। तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद से हुई अराजकता के लिए मुख्य रूप से अमेरिका को दोषी ठहराया गया है। स्थिति इतनी तेजी से सामने आई कि अफगानिस्तान में सबसे तेज निर्णय लेने वालों को भी नहीं पता था कि कैसे प्रतिक्रिया दी जाए। कुछ ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और कुछ भाग गए।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने वापसी की समय सीमा की घोषणा के बाद, संदेश प्राप्त करने वाले सभी लोगों पर अनिश्चितता का बादल छा गया। इस सारे झमेले में एक ही बात तय थी- अमेरिकी सैनिकों की गैर-जिम्मेदाराना वापसी। ये वही लोग हैं जिन्होंने तालिबान के खिलाफ लडऩे के लिए दो दशक पहले 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद युद्ध की घोषणा की थी।

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