चुनाव से पहले किसानों पर सियासत तेज, सत्ता-विपक्ष में घमासान

  • विपक्ष ने कृषि कानूनों समेत विभिन्न मुद्दों पर केन्द्र व यूपी सरकार पर साधा निशाना
  • किसान आंदोलन के समर्थन का ऐलान, कहा दंभी सरकार को बेदखल करेंगे अन्नदाता
  • भाजपा बोली, किसानों के हितों के लिए काम कर रही है सरकार

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले किसानों के विभिन्न मुद्दों को लेकर सियासत तेज हो गयी है। एक ओर किसानों ने प्रदेश की भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का ऐलान किया है तो दूसरी ओर विपक्ष ने किसान आंदोलन के समर्थन का ऐलान किया है। विपक्ष ने कहा है कि किसान विरोधी भाजपा सरकार को अन्नदाता सबक सिखाएंगे। वहीं भाजपा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा है कि पहले की सरकारों में किसानों के हित में कोई काम नहीं हुआ लेकिन योगी सरकार किसानों के हितों के लिए लगातार काम कर रही है। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है किसानों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में किसान संगठनों ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत की और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के चुनाव में भाजपा पर वोट से चोट देने करने का खुला ऐलान किया। हालांकि किसान संगठनों ने यह स्पष्टï नहीं किया कि वे भाजपा के खिलाफ सूबे में किस पार्टी का समर्थन करेंगे। वहीं महापंचायत में उमड़ी भीड़ देखकर भाजपा नेतृत्व बेहद चिंतित हो गया है। उसे पता है कि यदि किसानों ने भाजपा के खिलाफ वोट किया तो उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगें नहीं मानी तो बंगाल की तर्ज पर यूपी में योगी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। पूरे यूपी में आने वाले दिनों में ऐसी 8-10 महापंचायतें की जाएंगी। वहीं विपक्षी दल किसानों के समर्थन में हैं।

किसान खुश हैं मगर उनके नाम पर दलाली करने वाले परेशान हैं। आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में सबसे अधिक काम हुए हैं। पिछली सरकारों ने बंद चीनी मिलों को बेच दिया था। हमने बंद चीनी मिलों को शुरू किया।

सीएम योगी आदित्यनाथ

किसानों, शिक्षकों और आम जनता की अभूतपूर्व एकजुटता ने दिखा दिया है कि भाजपा की दमनकारी, विभाजनकारी, दंभी सत्ता अब कभी वापस नहीं आएगी। ये भाजपा के कहर के खिलाफ जनमत की लहर है।

अखिलेश यादव, सपा प्रमुख

देश का अन्नदाता किसान है। नौ महीने से सड़कों पर है। 650 से ज्यादा किसान आंदोलन में शहीद हो चुके हैं लेकिन चंद पूंजीपतियों की ग़ुलामी में करोड़ों किसानों की मांग को दरकिनार करना मोदी सरकार की हिटलरशाही है।

संजय सिंह, सांसद, आम आदमी पार्टी

किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता। खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है।

प्रियंका गांधी, महासचिव, कांग्रेस

किसान आंदोलन से राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी यूपी में संजीवनी की आस है। आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने तो ट्वीट कर कहा कि वे किसानों पर फूलों की बारिश करना चाहते थे, लेकिन जिला प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी।

ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकारा

  • कहा- अदालत के फैसले का सम्मान नहीं कर रही सरकार

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट और नियुक्तियों में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमें लगता है कि केंद्र सरकार को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है। फिलहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई को अगले हफ्ते तक के लिए टाल दिया है। साथ ही अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है। कहा है कि हमें उम्मीद है कि केंद्र नियुक्तियों के आदेश जारी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र ने नियुक्तियां नहीं की तो अदालत आदेश जारी करेगी। कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में भी पूछा गया था कि आपने (केंद्र) ट्रिब्यूनलों में कितनी नियुक्तियां की हैं। हमें बताइए कि कितनी नियुक्तियां हुई हैं। केंद्र को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि लगता है कि केंद्र को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है। केंद्र कोर्ट के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। हालांकि चीफ जस्टिस ने जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार की तारीफ भी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके पास तीन ऑप्शन हैं। पहला ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट 2021 कानून पर रोक लगा दें। दूसरा ट्रिब्यूनलों को बंद कर दें और तीसरा सुप्रीम कोर्ट खुद ही ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति करें। ऐसा करने के साथ सुप्रीम कोर्ट सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही शुरू करने पर भी विचार कर सकता है।

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