जितिन की बगावत के बाद अदिति के तेवर हुए और धारदार

लखनऊ। अगर उत्तर प्रदेश कांग्रेस की बात करें तो धीरे-धीरे कलह की परतें खुल रही हैं। जितिन प्रसाद के पार्टी छोडक़र बीजेपी में शामिल होने से यूपी की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल का दौर शुरू होता दिख रहा है। जितिन प्रसाद को यूपी में एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में देखा जाता था, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में पार्टी की हार के कारण उनका कद धीरे-धीरे कम होता जा रहा था। पश्चिम बंगाल चुनाव में भी पार्टी ने एक बार फिर जितिन प्रसाद पर दांव खेला और उन्हें प्रभारी बनाया गय लेकिन वहां के नतीजों ने जितिन प्रसाद को राजनीतिक रूप से पीछे कर दिया लेकिन अब उनके पार्टी छोडऩे से यूपी में कांग्रेस के अन्य नेता भी पार्टी छोड़ सकते हैं। और अब इसका जोश भी देखने को मिल रहा है। इस लिस्ट में जो नाम सबसे ऊपर आ रहा है वह विधायक अदिति सिंह का है। उन्होंने इशारों में यह भी बताया है कि वह भविष्य के लिए क्या सोच रही है।
जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोडक़र बीजेपी में शामिल होने के बाद अदिति सिंह ने भी अपनी मंशा लगभग साफ कर दी है। उन्होंने कहा कि वह तय करेंगी कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वह किस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। यह पूछे जाने पर कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी, उन्होंने कहा कि इसका जवाब अभी संभव नहीं है। इसी के साथ एक बार फिर कांग्रेस पर तंज कसते हुए अदिति ने कहा कि मैं देखूंगी कि भविष्य में हालात कैसे बेहतर हो सकते हैं। हम सभी विधायक हैं और अपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस चुनाव से पहले कुछ बदलाव कर स्थिति में सुधार नहीं करती है तो आने वाले समय में अच्छे चेहरों वाले नेताओं की कमी जरूर होगी।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब अदिति सिंह ने ऐसे तेवर दिखाए हों। पहला मामला विधानसभा की कार्यवाही का है जब कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र का बहिष्कार करने का व्हिप जारी किया था। अदिति सिंह इसके बाद भी विधानसभा सत्र में शामिल हुई थीं। पार्टी की ओर से उनसे जवाब मांगा गया लेकिन उनका विद्रोह नहीं रुका और वे सत्र में शामिल होती रहीं.
अदिति सिंह ने सोनिया गांधी पर टिप्पणी करते हुए कुछ समय पहले कहा था कि पिछले पांच साल के कार्यकाल में चुनाव जीतने के बाद सोनिया गांधी सिर्फ दो बार रायबरेली आई थीं। वहीं 2019 के चुनाव में नामांकन के वक्त वह सिर्फ एक बार रायबरेली आई हैं। जनता ने उन्हें चुनाव जिताया है। उन्होंने कभी अपने जिले के लोगों से मिलने की कोशिश नहीं की और न ही वह किसी कार्यक्रम में शामिल होने आई है।
अदिति सिंह ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कांग्रेस का नाम हटाकर पार्टी के सभी व्हाट्सएप ग्रुप को अलविदा कह दिया था। यह मामला भी खूब चर्चा में रहा। केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला लिया तो उन्होंने इस पर मोदी सरकार का समर्थन किया कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जब कोरोना काल में विभिन्न शहरों से यूपी की ओर पलायन कर रहे मजदूरों की मदद के लिए बसें भेजीं तो अदिति सिंह ने प्रियंका पर निशाना साधते हुए सार्वजनिक रूप से उनके फैसले की निंदा की थी। कहने को अदिति सिंह अभी भी कांग्रेस पार्टी की विधायक हैं। लेकिन उन्हें पार्टी से ज्यादा सरोकार नहीं है। न तो वह किसी पार्टी के कार्यक्रम में जाती हैं और न ही अन्य नेता उनसे संपर्क में रहते हैं। खासकर आलाकमान से तकरार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता उनसे खफा नजर आ रहे हैं।

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