…तो युवाओं को अनदेखी पड़ रही भारी

नई दिल्ली। देश में कोरोनावायरस के नए मामले पहले से कम जरूर हुए हैं, लेकिन खतरा अभी टल नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर देश के लिए बेहद खतरनाक साबित हुई है और इस लहर ने देश के युवाओं को बुजुर्गों से ज्यादा शिकार बनाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने केरल में संक्रमण के कारण 30 साल से कम उम्र के 40 से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई थी। ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों ने उन युवाओं से आग्रह किया है, जिनका घर पर ही इलाज चल रहा है, वे सतर्क रहें और किसी भी गंभीर लक्षण विकसित होते ही चिकित्सा सहायता लें।
इस महामारी की शुरुआत से ही भारत में संक्रमण के मामलों और मौतों के मामले में मई का महीना सबसे खतरनाक साबित हुआ है, जिसके चलते देश सबसे ज्यादा स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। इस दौरान केरल में कोरोना के कारण 3,500 से ज्यादा मौतें हुईं, जो राज्य के टोल का 40 प्रतिशत है । साथ ही 19 मई से बुधवार तक 31 से 40 आयु वर्ग के 144 मरीजों की मौत हो चुकी है। 19 मई से अब तक 18 से 20 आयु वर्ग के चार मरीजों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सही इलाज लेने में देरी और विभिन्न प्रकार के संक्रमण युवाओं में बिगड़ती हालत का मुख्य कारण है।
त्रिशूर स्थित ईएनटी विशेषज्ञ डॉ गोपीकुमार पी ने कहा, कोरोना सेकंड वेव ज्यादातर 45 साल से कम उम्र के लोगों को प्रभावित किया है, इसलिए हम उनसे सावधान रहने का आग्रह करते हैं। कई मामलों में हमने देखा है कि युवा मरीजों के इलाज में देरी हो रही है, जिसकी वजह से इस आयु वर्ग में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। दरअसल, ज्यादातर में संक्रमण के कोई बड़े संकेत नहीं दिखते, जिससे इस आयु वर्ग के लोग घर पर ही अपने इलाज में लगे रहते हैं।
उन्होंने कहा, युवा मरीज घर के इलाज के दौरान थकान जैसे लक्षणों की अनदेखी कर सकते हैं, लेकिन एक बार खून की बूंदों में ऑक्सीजन का स्तर घटने के बाद किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति बिगडऩे में केवल कुछ घंटे लगते हैं । ऐसी स्थिति में यदि सही समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता है तो फिर मरीज को आईसीयू और वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि कई बार इसके लक्षण इतने मामूली लगते हैं कि उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता। ऐसी स्थिति में पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन लेवल की नियमित जांच करना बेहद जरूरी है।
डॉ गोपीकुमार ने कहा कि जिन युवाओं को कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या या कॉमोरबिडिटी नहीं है, उनकी हालत बिगडऩे से पहले मेडिकल मदद मांगकर आईसीयू में जाने की जरूरत नहीं होगी और दो से चार दिन के भीतर छुट्टी दी जा सकती है । गुरुवार को केरल में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या 10,631 थी। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक रविवार को एक ही दिन में 227 मौतें दर्ज की गईं।
आंकड़ों के बारे में एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, अगर हम उम्र के नुसार आंकड़ों पर नजर डालें तो ज्यादातर मौतें उन मरीजों की हुई जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर थी और जिन्हें कोरोना के साथ-साथ कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं थीं। इसके साथ ही युवाओं में सबसे ज्यादा मौतें कोरोना के नए वेरिएंट की वजह से हुई हैं और इस वायरस से निपटने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र रास्ता है। कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने युवाओं से अपील की है कि उन्हें जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन मिल जाए।
कोच्चि के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ मोनू वर्गीज ने कहा, हमने कई ऐसे मामले भी देखे हैं, जिनमें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी लोग संक्रमित हुए हैं, लेकिन हमने यह भी देखा कि जिन मरीजों को टीका लगाया गया है, उन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है। यह इस तरह गिर गया, संक्रमण की गंभीरता में एक बड़ा अंतर उन लोगों के बीच देखा जा सकता है जिन्हें कोरोना वैक्सीन मिली है या जो नहीं हैं।

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