भाजपा ने बीएमसी चुनाव के लिए तैयार किया मास्टर प्लान

नई दिल्ली। 1970 के दशक में, भाऊ पढ्येे, एक मुखर मराठी लेखक, जिन्होंने उपन्यास राडा लिखा था । इसका शाब्दिक अर्थ होता है गल्ली-मोहल्ले में होने वाली छोटी मोटी लड़ाईयां। शिवसेना ने भले ही इसे देश की वित्तीय राजधानी में शुरू नहीं किया हो लेकिन इसके गठन के तुरंत बाद इसे अपना लिया। उस समय चेंबूर से आए नारायण राणे अपनी आक्रामक राजनीति के लिए जाने जाने वाले शिवसेना की राजनीति में शामिल हो गए थे।
राणे इतनी तेजी से उठे कि एक समय उन्हें महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा गया, लेकिन ठाकरे परिवार से आपसी दुश्मनी के कारण यह संभव नहीं हो सका। राणे शिवसेना छोडक़र कांग्रेस में चले गए और फिर बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन शिव सैनिकों से उनकी दुश्मनी हमेशा सुर्खियों में रही। अब देश के सबसे अमीर नगर निकाय चुनाव माने जाने वाले बीएमसी चुनाव में बीजेपी इस राडा यानी दोनों के बीच गली-मोहल्ला लड़ाई को भुनाने की कोशिश करेगी।
राणे मुंबई में फलीफूली शिवसेना और शहर कीनब्ज से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इसके साथ ही तटीय कोंकण बेल्ट में उसका मजबूत जनाधार है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी आने वाले चुनावों में फायदा उठाने की कोशिश करेगी।
गौर करने लायक बात यह है कि राणे लंबे समय तक शिवसेना की राजनीति का हिस्सा रहे हैं। उनके थप्पड़ का विवादास्पद भाषण उद्धव ठाकरे के उस बयान के लगभग चार साल बाद सामने आया है जिसमें उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चप्पलों से मारने की बात कही थी। दो हफ्ते बाद शिवसेना ने भाजपा के एक विधायक के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर शिवसेना ने उन्हें थप्पड़ मारा तो वह उठ नहीं पाएंगे। दरअसल, भाजपा विधायक ने सेना मुख्यालय में बुलडोजर चलाने की बात कही थी।
राणे को उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत मिल गई, जिसकी भाजपा को उम्मीद थी। राणे इस पूरे राजनीतिक नाटक से सुर्खियों में हैं। उनकी जन आशीर्वाद यात्रा और शिवसेना पर उनके मौखिक हमले पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जो फरवरी 2022 में होने वाले नगर निकाय चुनावों के समय तक तेज होगा ।
इससे साफ है कि भाजपा ने भले ही राणे के बयान (उद्धव ठाकरे पर बयान) से दूरी बनाने की कोशिश की हो, लेकिन इस घटनाक्रम के बाद पूर्व शिव सैनिक को शिवसेना को भडक़ाने के लिए फ्री हैंड मिलने की संभावना है। इससे राणे के पक्ष में भावनाएं पैदा होंगी और उनके माध्यम से भाजपा का लक्ष्य मुंबई में मराठी मानुष के साथ सीधी लड़ाई का लक्ष्य होगा । जैसे उन्होंने 2017 बीएमसी चुनावों में किया था । इस चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना को कड़ा मुकाबला किया था।

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