देश भर में 4पीएम यूट्यूब का जलवा, व्यूज बढऩे के प्रतिशत में देश भर में सबसे आगे, एक महीने में एक करोड़ 67 लाख बढ़े व्यूज

  • 89 मिलियन व्यूज के साथ बरकरार रखा दूसरा पायदान
  • देश में नंबर वन बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा आगे

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सत्ता से सवाल करने की आदत और सच को दिखाने की जिद का ही नतीजा है कि आए दिन 4पीएम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। जिससे लोगों का प्यार भी 4पीएम के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है। ये लोगों के प्यार की ही देन है कि 4पीएम का यूट्यूब चैनल दिन दोगुने-रात चौगुने की गति से आगे बढ़ रहा है और आए दिन भारी संख्या में लोग 4पीएम के यूट्यूब चैनल से जुड़ रहे हैं। तभी तो देखते-देखते 4पीएम के कब 10 लाख से सीधे 17 लाख से भी ज्यादा सब्सक्राइबर हो गए पता ही नहीं चला। ये सब संभव हो पाया लोगों के प्यार और 4पीएम के सच को दिखाने और सत्ता से सवाल करने की आदत की बदौलत। अब एक बार फिर 4पीएम यूट्यूब ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। 4पीएम यूट्यूब राजनीतिक टिप्पणीकारों में देश भर में दूसरे स्थान पर काबिज है।
डाटा बिंग्स में अगस्त जारी ताजा आंकड़ों में 4पीएम के यूट्यूब चैनल ने इस माह भी अपने दूसरे नंबर के स्थान को बरकरार रखा है। बता दें कि पिछले जुलाई माह में भी 4पीएम दूसरे स्थान पर ही था। लेकिन इस बार 4पीएम के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है और अब 4पीएम देश भर में नंबर वन राजनीतिक टिप्पणीकार बनने से बस कुछ ही दूर है। जिसे अपने चाहने वालों की बदौलत 4पीएम जल्द ही हासिल कर लेगा।

4पीएम के व्यूज और शेयर प्रतिशत में हुई बढ़ोत्तरी

डाटा बिंग्स के अगस्त में जारी आंकड़ों के मुताबिक, 4पीएम 89 मिलियन व्यूज के साथ दूसरे नंबर पर काबिज है। जबकि इस दौरान 4पीएम का व्यू शेयर भी 11 प्रतिशत हो गया है, जो जुलाई माह में 8 प्रतिशत था। यानी आंकड़ों से साफ है कि 4पीएम कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई माह में पहले और दूसरे स्थान में तीन करोड़ तैंतीस लाख का अंतर था जो अगस्त में 78 लाख रह गया। वहीं पहले स्थान पर काबिज यूट्यूब चैनल डीबी लाइव की बात करें तो, डीबी लाइव के जुलाई में 10 करोड़ 53 लाख व्यूज थे, जो अगस्त में घटकर 9 करोड़ 68 लाख ही रह गए हैं। इस प्रकार डीबी लाइव के व्यूज में 85 लाख की भारी कमी हुई है। वहीं 4पीएम के जुलाई में 7 करोड़ 23 लाख व्यूज थे, जो अगस्त में बढ़ कर 8 करोड़ 90 लाख हो गए। इस प्रकार 4पीएम के 1 करोड़ 67 लाख व्यूज बड़े हैं। वहीं 4पीएम और डीबी लाइव के बीच के फासले की बात करें तो 4पीएम डीबी लाइव से जुलाई माह में तीन करोड़ तीस लाख व्यूज पीछे था, जबकि अगस्त में यह अंतर मात्र 78 लाख का बचा है। इस तरह से देखा जाए तो अगस्त के आंकड़ों में 4पीएम ने देश भर में व्यूज की बढ़ोतरी में पहला स्थान प्राप्त किया है।

मौजूदा वक्त में भी 4पीएम कर रहा सत्ता से सवाल

लोगों के प्यार और अपने सच दिखाने की ताकत की बदौलत 4पीएम लगातार सफलता की सीढिय़ों को चढ़ रहा है और देश में आए दिन अपना परचम फहरा रहा है। जिस समय देश की कथित मेन स्ट्रीम मीडिया सिर्फ सत्ता की चारण बनकर बैठ गई है, ऐसे में 4पीएम और उसके संपादक संजय शर्मा ने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए सत्ता से तीखे सवाल करना जारी रखा और जनता के सामने लगातार सच को दिखाते रहे हैं। आज उसी सच और सत्ता से सवाल करने के हौसले का ही नतीजा है कि 4पीएम देश भर में दूसरे स्थान पर बरकरार है और बहुत जल्द पहले स्थान पर पहुंचने वाला है।

मुजफ्फरनगर में बच्चे की पिटाई मामले में यूपी सरकार को ‘सुप्रीम’ फटकार

  • कोर्ट ने कहा- धर्म के नाम पर एक बच्चे के साथ ऐसा होना गलत
  • सरकार को एक हफ्ते में जांच की निगरानी के लिए आईपीएस अधिकारी नियुक्त करने का आदेश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। यूपी के मुजफ्फरनगर के स्कूल में महिला टीचर द्वारा एक बच्चे को दूसरे बच्चों से थप्पड़ मरवाने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए यूपी की योगी सरकार को फटकार लगाई है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओक और पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि धर्म के नाम पर एक बच्चे के साथ ऐसा होना बहुत गलत है। बता दें कि 24 अगस्त को खुब्बापुर गांव के नेहा पब्लिक स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने एक बच्चे को दूसरे बच्चों से थप्पड़ मरवाया था। जिसके बाद घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि वह मामले की जांच की निगरानी के लिए 1 हफ्ते में किसी आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करें। वह आईपीएस अधिकारी यह भी देखे कि इस मामले में किन धाराओं को लगाए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट को जांच पर रिपोर्ट दी जाए। साथ ही गवाहों को सुरक्षा भी दी जाए।

सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की

शीर्ष अदालत ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। फिर भी बच्चे गैर मान्यता प्राप्त स्कूल में पड़ रहे हैं। इस मामले में तो एफआईआर दर्ज करने में भी देरी हुई है। जजों की बेंच ने कहा कि आरटीई एक्ट के प्रावधान यह स्पष्ट कहते हैं कि किसी बच्चे को जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े। किसी बच्चे के साथ शारीरिक हिंसा न हो। इस मामले में दोनों ही बातों का उल्लंघन हुआ। कोर्ट ने यूपी सरकार को घटना की जांच और बच्चे के पुनर्वास पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।

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