वोटिंग से पहले महायुति परिवार में फैल गया रायता

  • मोहन यादव फैला गये भ्रम, कहा- कोई भी बन सकता है सीएम
  • महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन-एक अनार सौ बीमार
  • एकनाथ शिंदे, अजित पवार और फडणवीस के स्थान पर नया चेहरा! सता रहा है महायुति को हार का डर
  • सहयोगी दल नहीं कर पा रहे हैं बीजेपी की रणनीति पर भरोसा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा की वोटिंग में महज 18 घंटे बाकी हैं और महायुति परिवार में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर रायता फैल गया है। दरअसल मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने इशारों-इशारों में कह दिया कि यहां भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर कोई नया मुख्यमंत्री चेहरा हो सकता है। उनके इस बयान से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल खड़ा हो गया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कल वोट पडऩे और एक दिन पहले इस तरह के फार्मूले से अजित पवार, एकनाथ शिंदे और फडणवीस तीनों के बीच की दरार और चौड़ी हो गयी। राजनीतिक विषलेशक इस बयान को मनोबल तोडऩे वाला बयान भी कह रहे हैं।
कांदीवाली विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अतुल भातखलकर के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भरी सभा में बयान दिया कि गठबंधन जिसे चाहेगा वह सीएम बनेगा। उनके इस बयान से महायुति परिवार में भयंकर रोष पैदा हो गया है। एकनाथ शिंदे, अजित पवार और फडणवीस के स्थान पर नये चेहरे की एंट्री से कन्फयूजन वाली स्थिति पैदा हो गयी है और चेहरा बस यहीं से वोटिंग शुरू होने से पहले ही महाराष्ट्र की जनता में सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। महायुति की इस स्थिति का सीधा फायदा महाविकास आघाडी को जाता दिखायी दे रहा हैं। जिन जगहों पर क्रिश्चियन और मुस्लमान एनसीपी शरद पवार से टूट कर अजित पवार वाली एनसीपी के साथ खड़ा था वहां वह वापस शरद पवार के पास लौट चुका है।

हार से घबराई भाजपा ने करवाया हमला : देशमुख

नागपुर के काटोल में पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी शरद पवार गुट के नेता अनिल देशमुख की कार पर पथराव किया गया। इस हमले में अनिल देशमुख घायल हो गए। उन्हें काटोल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अनिल देशमुख ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगाया है। घटना का वीडियो भी शरद पवार गुट की एनसीपी ने जारी किया है। इस हमले से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जानकारी के मुताबिक, काटोल विधानसभा क्षेत्र में चुनाव नजदीक आ रहा है। अनिल देशमुख सोमवार को एनसीपी उम्मीदवार सलिल देशमुख के लिए प्रचार करने नरखेड़ गए थे। यहां बैठक के बाद देशमुख कार से वापस काटोल आने लगे। जलालखेड़ा रोड पर बेलफाटा के पास स्पीड लिमिट पर उनकी कार धीमी हो गई। इसका फायदा उठाकर मुंह पर कपड़ा बांधे तीन-चार आदमी वहां आ गए। उन्होंने कार पर पथराव किया।

मध्य प्रदेश में यही स्थिति थी

जो स्थिति महाराष्ट्र में है ठीक वैसी ही स्थिति मध्य प्रदेश में भी थी। वहां भी सीएम पद के कई दावेदार थे और सब एक से बढ़कर एक। वहां भारतीय जनता पार्टी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री डिक्लेयर कर दिया। उत्तर प्रदेश में भी इस फार्मूले पर काम हो चुका है और केशव प्रसाद मौर्या, मनोज सिन्हा को पीछे छोड़कर योगी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

सीटों का गणित

महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा 148 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अजित पवार की एनसीपी के हिस्से में 53 सीटें आयी हैं और एकनाथ शिंदे की शिवसेना 80 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आरपीआई आठवले, युवा स्वाभिमान पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष और जनसुराज्य पक्ष भी महायुति का हिस्सा हैं, जो एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार चाहते हैं कि यदि महायुति की सरकार बनती है तो वह सीएम बने। जबकि एकनाथ शिंदे कह रहे हैं कि चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा जा रहा है। देवेन्द्र फडणवीस तो खुद मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव कांदीवाली सीट पर प्रचार करने पहुंचे थे और वहां उन्होंने वहां बीजेपी के उस फार्मूले को याद दिलाया जैसा कि मध्य प्रदेश में हुआ था।

अजित खुद को सीएम चेहरा बता कर मांग रहे हैं वोट

दरअसल चुनाव से पहले भाजपा रणनीतिकार यह मान कर चल रहे थे कि अजित पवार मुस्लिम और क्रिश्चियन मतों में सेंधमारी कर ले जाएंगे। लेकिन नहीं हुआ। जैसे जैसे चुनाव आगे बड़ा वैसे वैसे पत्ते खुलते गये और साफ हो गया कि जैसा सोचा गया था वैसा नहीं हुआ। गौरतलब है कि अजित पवार की एनसीपी भी उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ रही है जहां से शरद पवार चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार का भी बेस वोट मुस्लिम, क्रिश्चियन है और शरद पवार का भी। अजित पवार जहां भी प्रचार के लिए जा रहे हैं वह खुद को मुख्यमंत्री का संभावित चेहरा बता कर वोट मांग रहे हैं। सियासी पंडित यही कह रहे है कि कट्टर हिंदुत्व वाला कार्ड चलकर बीजेपी ने यहां गलती कर दी और मुस्लिम और क्रिश्चिश्न दोनो के वोटर वापस एनसीपी शदर पवार और कांग्रेस के पास चले गये। यानि कि वोटों की सेंधमारी का जो फार्मूला बीजेपी ने दिया था वह फेल हो गया। बीजेपी नेता खुद यह मान रहे हैं कि महायुति के बीच की दरार अब आम लोगों को भी साफ दिखाई देने लगी है और यह मामला हद से बाहर चला गया है।

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