बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR मुद्दे पर गरमाई सियासत, चुनाव आयोग ने विपक्ष को दिया जवाब

आयोग ने साफ कहा है कि पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की गई मतदाता सूची, निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर मचा राजनीतिक घमासान और तेज हो गया है। विपक्ष की ओर से उठाए गए ‘SIR’ (Standard Information Requirement) मुद्दे पर अब चुनाव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

आयोग ने साफ कहा है कि पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की गई मतदाता सूची, निष्पक्ष चुनाव की बुनियाद है। चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए सवाल किया किया कि, “क्या संविधान का उल्लंघन कर फर्जी मतदान की अनुमति दी जानी चाहिए?”

आयोग का यह बयान खासतौर पर विपक्षी दलों और नेता तेजस्वी यादव की आलोचनाओं के जवाब में आया है। बीते दिनों तेजस्वी यादव ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग द्वारा ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे
हैं जो आम लोगों के पास उपलब्ध ही नहीं हैं। उन्होंने आयोग पर मतदाता सूची में मनमानी करने और आम मतदाताओं को प्रक्रिया से बाहर करने का आरोप लगाया था। विपक्ष के इन आरोपों के बीच SIR का मुद्दा अब केवल बिहार की नहीं, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया हैं।  राजनीतिक दल चुनाव आयोग की मंशा और प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग ने न सिर्फ अपनी प्रक्रिया को सही ठहराया, बल्कि विपक्ष से यह भी पूछा कि क्या सही दस्तावेजों की मांग करना असंवैधानिक है? आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता ही लोकतंत्र की मजबीतू की गारंटी है। अब देखना होगा कि आयोग की सफाई के बाद विपक्ष क्या रूख अपनाता है और SIR मुद्दे पर सियासत और कितनी तीखी होती है।

चुनाव आयोग ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग अपने आलोचकों से सवाल करता है कि, “भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है. तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के विरुद्ध जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, मृतक मतदाताओं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो स्थानों पर वोट दर्ज कराने वाले मतदाताओं, फर्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?

आगे कहा कि क्या निर्वाचन आयोग की तरफ से पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की जा रही प्रामाणिक मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला नहीं है? इन सवालों पर, कभी न कभी, हम सभी को और भारत के सभी नागरिकों को, राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर गहराई से सोचना होगा. शायद आप सभी के लिए इस आवश्यक चिंतन का सबसे उपयुक्त समय अब भारत में आ गया है.”

क्यों चुनाव आयोग को देनी पड़ी सफाई?
चुनाव आयोग की तरफ की तरफ से की गई टिप्पणी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि इस टिप्पणी के पीछे की वजह देश और खासकर बिहार में हो रहा विपक्ष का विरोध प्रदर्शन माना जा रहा है. चुनाव आयोग के इस बयान से एक दिन पहले बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि इलेक्शन कमीशन ने अपने एफिडेविट में माना है कि कोई भी घुसपैठिया बिहार में नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे. इसके साथ ही लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटने की बात भी उठाई थी.

चुनाव आयोग बीजेपी का एजेंट- मणिकम टैगोर
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि “INDIA गठबंधन चाहता है कि संसद में एसआईआर मुद्दे पर चर्चा हो क्योंकि 56 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं. यह लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया पर ही हमला है. चुनाव आयोग बीजेपी का एजेंट बन गया है. जैसा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है, हम संसद में चर्चा चाहते हैं लेकिन सरकार एसआईआर पर किसी भी तरह की मांग नहीं मान रही है. विरोध स्वरूप, हम सुबह 10:30 बजे संसद के बाहर खड़े होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. हम सुबह 11 बजे संसद में इस मुद्दे को उठाते रहेंगे.”

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को नया उपराष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाहों पर, उन्होंने कहा, ” यह एसआईआर और पहलगाम में हुई विफलता व अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक स्पष्ट रणनीति है. सरकार असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.”

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