कांग्रेस का बड़ा आरोप, कहा- असमानता बन चुकी है,विशाल सामाजिक और आर्थिक संकट
कांग्रेस का कहना है कि सरकार की नीतियां कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही हैं, जिससे निम्न और मध्यम वर्ग को नुकसान हो रहा है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारत में आर्थिक असमानता एक गंभीर संकट बन गई है. कांग्रेस ने दावा किया कि शीर्ष 5 उद्योगपतियों के पास देश की GDP का लगभग 18% हिस्सा है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार की नीतियां कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही हैं, जिससे निम्न और मध्यम वर्ग को नुकसान हो रहा है.
कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि भारत में असमानता अब एक “विशाल सामाजिक और आर्थिक संकट” का रूप ले चुकी है और आरोप लगाया कि निम्न और मध्यम वर्ग सरकार की विदेश, आर्थिक और औद्योगिक नीतियों की कीमत चुका रहा है, जो चंद उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई हैं.
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने बुधवार को सोशल साइट एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन पहले, नरेंद्र मोदी सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने विश्व बैंक के आंकड़ों को “तोड़-मरोड़कर” पेश किया और यह पूरी तरह से बेतुका दावा किया कि भारत दुनिया का चौथा सबसे अधिक आर्थिक रूप से समान देश बन गया है.
जयराम रमेश ने कहा, “सभी ढोल बजाने वाले और जयकारे लगाने वाले यह प्रचार करने लगे कि देश में जबरदस्त आर्थिक समानता आ गई है, लेकिन अब जब पीआईबी के दावे पूरी तरह से खारिज हो चुके हैं, तो सरकार और उसके जयकारों को यह ताजा खबर जरूर देखनी चाहिए.”
जयराम रमेश ने भारत के शीर्ष पांच औद्योगिक घरानों की संपत्ति का हवाला किया. उन्होंने कहा कि इनके पास देश की जीडीपी के करीब 18 प्रतिशत के बराबर संपत्ति है. उन्होंने कहा कि केवल अंबानी समूह के पास देश की जीडीपी के 12.7 प्रतिशत के बराबर संपत्ति है. उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था का अनुमानित आकार 331 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से केवल इन पांच परिवारों के पास 60 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है. शीर्ष-5 औद्योगिक घरानों की संपत्ति कई छोटे देशों की अर्थव्यवस्था से भी अधिक है.”
देश में गरीब और अमीर में बढ़ गई है असमानता
उन्होंने आरोप लगाया, “इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. पिछले 11 वर्षों से, बिना छुट्टी लिए, प्रधानमंत्री लगातार इनमें से कुछ उद्योगपतियों की तिजोरियां भरने में लगे हुए हैं. उनकी विदेश नीति, आर्थिक नीति और औद्योगिक नीति – सभी केवल इन कुछ दोस्तों के लाभ के लिए निर्देशित हैं.” लेकिन इस भारी आर्थिक असमानता की कीमत भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों और निम्न और मध्यम वर्गों को चुकानी पड़ रही है. जयराम रमेश ने कहा, “यह एक विशाल सामाजिक और आर्थिक संकट का रूप ले चुका है.”



