बड़े नेता की जगह लेने की कोई कोशिश न करे

  • रोहिणी बोलीं- मैं लालू-तेजस्वी की जगह लेने की कोशिश करने वालों को देखना पसंद नहीं करती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के कुनबे में कुछ तो चल रहा है। तेज प्रताप यादव जिस तरह से बेघर हुए, उसके बाद भी तेजस्वी यादव के करीब रहे लोगों पर नियंत्रण नहीं हुआ। अब रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव के हमेशा दाएं-बाएं रहने वाले राज्यसभा सांसद संजय यादव को निशाने पर लिया है। तेज प्रताप इन्हें जयचंद बुलाते रहे हैं, रोहिणी आचार्य ने साफ कहा है कि वह लालू-तेजस्वी की जगह लेने की कोशिश करने वालों को देखना पसंद नहीं करती हैं।
रोहिणी आचार्य ने अलोक कुमार के फोटो और कंटेंट शेयर किया है, जिसके बाद संजय यादव के खिलाफ लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी है। रोहिणी आचार्य ने जो शेयर किया है, उसमें लिखा है कि-फ्रंट सीट सदैव शीर्ष के नेता – नेतृत्वकर्त्ता के लिए चिन्हित होती है और उनकी अनुपस्थिति में भी किसी को उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए .. वैसे अगर कोई अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है, तो अलग बात है !! आलोक के पोस्ट पर आगे लिखा है कि, वैसे पूरे बिहार के साथ-साथ हम तमाम लोग इस सीट पर लालू और तेजस्वी को बैठे देखने के अभ्यस्त हैं, उनकी जगह पर कोई और बैठे ये हमें तो कतई मंजूर नहीं है।

राजद कांग्रेस की पिछलग्गू पार्टी बन गई : चिराग

वैशाली। वैशाली जिले के हाजीपुर पहुंचे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने राजद को कांग्रेस की पिछलग्गू पार्टी करार दिया। तेजस्वी की यात्रा को लेकर पूछे गए सवाल पर चिराग ने कहा कि पिछली बार जब तेजस्वी बिहार यात्रा पर निकले थे, तब महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें साइडलाइन कर दिया था। उस समय तेजस्वी ने कांग्रेस नेताओं को आगे रखने का काम किया और यहां तक कि राहुल की गाड़ी तक चलाने का जिम्मा उठाया। चिराग ने दावा किया कि राहुल जब बिहार आए थे तब हमारे छोटे भाई ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की बात कही थी। इसके बाद भी कांग्रेस ने मौन साध लिया। पूरी यात्रा खत्म हो गई, लेकिन राजद कांग्रेस की पिछलग्गू पार्टी बनकर रह गई। जबकि कांग्रेस का बिहार में कोई जनाधार नहीं है, फिर भी राजद उनके पीछे-पीछे चलता रहा। इसके बावजूद तेजस्वी को सम्मान नहीं दिया गया। आज उनकी वही कमी पूरी करने के लिए वे अकेले यात्रा पर निकले हैं, जिसमें महागठबंधन का कोई साथी उनके साथ नहीं है।

Related Articles

Back to top button