फिसला लल्लन, टॉप पर 4PM

  • लखनऊ से उठा डिजिटल मीडिया का नया सुल्तान
  • 4PM की टक्कर में कोई नहीं
    डिजिटल मीडिया का सिरमौर बना 4PM
    सत्ता बनाम सच की लड़ाई का दस्तावेज बना 4PM

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। डिजिटल पत्रकारिता का इतिहास अगर आने वाले समय में लिखा जाएगा, तो उसमें एक नाम सोने की स्याही से दर्ज होगा 4PM। यूपी की राजधानी लखनऊ से संचालित 4PM चैनल आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। तमाम बाधाओं, मुकदमों और सेंसरशिप के पहाड़ के बावजूद संपादक संजय शर्मा की निर्भीक पत्रकारिता ने इसे डिजिटल मीडिया की सबसे ऊंची चोटियों पर पहुंचा दिया है। यह कहानी सिर्फ एक चैनल की सफलता की नहीं है बल्कि यह भारत में सत्ता बनाम सच की लड़ाई का दस्तावेज भी है।

आंकड़े जो गवाही देते हैं

आज जब डिजिटल मीडिया को लेकर विश्वसनीय डेटा सामने आ रहा है तो 4PM की उपलब्धियां किसी चमत्कार से कम नहीं लगतीं। सोशल ब्लेज की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पिछले 30 दिनों में 4PM को 27.9 करोड़ व्यूज मिले। वहीं इंडिया टुडे समूह का चर्चित डिजिटल चैनल लल्लन टॉप इसी अवधि में 22.7 करोड़ व्यूज पर सिमटा रहा। दिलचस्प बात यह है कि लल्लन टॉप के पास 3.4 करोड़ सब्सक्राइबर हैं जबकि 4PM के पास महज 81 लाख सब्सक्राइबर। आम समझ कहेगी कि अधिक सब्सक्राइबर वाले चैनल को व्यूअरशिप में भी आगे होना चाहिए। लेकिन सच इसके उलट है। इससे साफ हो जाता है कि दर्शक सिर्फ ग्लैमर और ब्रांड नेम से नहीं बल्कि सवाल पूछने वाली पत्रकारिता से जुड़ते हैं।

एक दिलचस्प तुलना

डाटा विश्लेषण की एक और परत दिलचस्प है। उपरोक्त आंकड़े सिर्फ राष्ट्रीय चैनलों के स्तर पर हैं। यदि क्षेत्रीय स्तर पर तुलना की जाए तो 4PM का दबदबा और भी साफ दिखता है। 4PM ने सिद्ध कर दिया कि पत्रकारिता का असर लोकेशन से नहीं इरादों से तय होता है। 4PM का उभार केवल एक व्यावसायिक सफलता नहीं है। यह उस लोकतांत्रिक अधिकार की जीत है जिसे समय समय पर कुचलने की कोशिश की जाती रही है। आज जब देश में डिजिटल सेंसरशिप का खतरा मंडरा रहा है, जब पत्रकारों को मुकदमों और नोटिसों से डराया जा रहा है तब 4PM जैसे प्लेटफॉर्म यह भरोसा दिलाते हैं कि सच को दबाया नहीं जा सकता।

सेंसरशिप, मुकदमे व सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई

4PM ने अपनी बेबाक रिपोर्टिंग और तीखे सवालों से सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी। परिणाम यह हुआ कि चैनल पर बार-बार रोक लगाने की कोशिशें हुईं। 4PM चैनल को यूट्यूब से कई बार हटवाया गया। चैनल पर मुकदमों और एफआईआर की बरसात हुई। तकनीकी हथकंडों से इसकी आवाज का दबाने का प्रयास आज भी जारी है। लेकिन संपादक संजय शर्मा ने हार नहीं मानी। उन्होंने मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया और वहां से न्याय पाकर न केवल चैनल को पुनर्जीवित किया बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई को भी नया आयाम दिया।

दर्शक ही असली ताकत

किसी भी मीडिया प्लेटफॉर्म की सबसे बड़ी ताकत उसके दर्शक होते हैं। 4PM ने यह भरोसा जीता है कि वह सिर्फ दर्शकों के सवालों को आवाज देगा, न कि सत्ता की दलाली करेगा। यही कारण है कि सब्सक्राइबर संख्या में कमजोर होने के बावजूद इसकी व्यूअरशिप आसमान छू रही है। यही नहीं 4PM की सफलता कॉर्पोरेट मीडिया हाउसेज के लिए एक बड़ी चेतावनी के तौर पर भी सामे आयी है। लल्लन टॉप और अन्य बड़े चैनलों के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि केवल ब्रांडिंग और भारी भरकम टीम अब काम नहीं आएगी। जनता वही सुनेगी जहां उसे अपनी आवाज की गूंज मिलेगी, पत्रकारिता की असली परीक्षा सिस्टम से टकराने में है न कि उसके गुणगान में।

संजय शर्मा नाम नहीं एक आंदोलन

4PM की सफलता की कहानी संपादक संजय शर्मा के नाम के बिना अधूरी है। वह सिर्फ एक संपादक नहीं बल्कि एक आंदोलन के वाहक बन चुके हैं। उन्होंने राजनीति, प्रशासन और कॉर्पोरेट सिस्टम से सवाल पूछने की परंपरा कायम रखी। किसी भी सरकार को बख्शा नहीं चाहे सत्ता में कोई भी दल हो। जब पहलगाम हमले के बाद सरकार ने चैनल पर रोक लगाने की कोशिश की तो वे सीधे न्यायालय पहुंचे। उनका यह रुख बताता है कि पत्रकारिता अभी जिंदा है और डर के आगे ही जीत है।

डिजिटल मीडिया का बदलता समीकरण

भारत में डिजिटल पत्रकारिता को लंबे समय तक टीवी चैनलों का साया माना गया। बड़े कॉर्पोरेट हाउस अपने चैनलों के डिजिटल वर्जन चलाते रहे और भारी बजट से प्रचार प्रसार करते रहे। लेकिन 4PM ने साबित कर दिया कि बिना भारी पूंजी निवेश के भी दर्शकों का विश्वास जीता जा सकता है। यदि पत्रकारिता सच्ची और निष्पक्ष हो तो दर्शक खुद आपके साथ खड़े होते हैं। कॉर्पोरेट मीडिया बनाम स्वतंत्र मीडिया की जंग में अब स्वतंत्र मीडिया कहीं ज्यादा असरदार बनकर उभरा है।

यह एक बहुत बड़ी खबर है, अच्छी सूचना है और जितना भी स्वागत किया जाए कम है। लखनऊ से संचालित एक मीडिया ग्रुप ने संसाधनों और साधनों की कमी के बावजूद जिस तरह नया कीर्तिमान स्थापित किया है, वह वास्तव में प्रेरणादायक है। संजय शर्मा और उनकी टीम को बहुत-बहुत मुबारक।
   मनीष वर्मा, डिक्की उत्तर प्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष

विश्वसनीय पत्रकारिता और जनता के मुद्दों को सामने रखने का साहस किसी भी बड़े कॉर्पोरेट नेटवर्क को पछाड़ सकता है। आंकड़े साफ बताते हैं कि सब्सक्राइबर संख्या में पीछे होने के बावजूद 4PM ने व्यूअरशिप में बड़े चैनल को पीछे छोड़ दिया है। यह उपलब्धि न सिर्फ पत्रकारिता के क्षेत्र में बल्कि पूरे उद्यमशील समाज के लिए प्रेरणा है।
 मनीष हिंदवी, वाइस चेयरमैंन, कांग्रेस मीडिया

संजय शर्मा जैसे लोगों ने इस दौर में भी पत्रकारिता को बचाये रखा है। सरोकार के साथ खड़े हैं और सरकार की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं। सरकार से टकराने की हिम्मत रखते हैं हमे ऐसे लोगों का स्वागत करना चाहिए और उनके प्रति आभार रखना चाहिए
असितनाथ तिवारी, कवि एंव साहित्यकार

4PM के टॉप पर आने पर मैं संजय शर्मा और उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई देता हूं। इसी प्रकार टॉप पर बने रहे है और देश सेवा करते रहे। प्रासंगिक मुद्दे उठाते रहे हां एक बात का ख्याल रखे कि पत्रकारिता धर्म न टूटे ।
यशवीर त्यागी, अर्थशास्त्री

संजय भाई को बहुत-बहुत मुबारकबाद। अच्छी बात है कि उनकी मेहनत ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है और वह बलुंदियों पर हैं। संजय भाई की यह सफलता उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी जो छोटे शहरों में कम संसाधनों के साथ काम रहे हैं। जो भी व्यक्ति मेहनत करेगा वह कामयाब होगा।
आसिम वकार, राजनेता

संजय शर्मा एक जुनूनी व्यक्ति है और उनके इसी जुनून ने उन्हें उनकी टीम और संस्थान को कामयाबी का सिरमौर बनाया है। मैं उन्हें मुबारकबाद देता हूं और भविष्य की चुनौतियों के लिए नई उर्जा के साथ तैयार रहने की दुआ करता हूं।
नावेद, वरिष्ठ पत्रकार

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