बिहार चुनाव : तारीखों का ऐलान

  • लोकतंत्र के मेले में विकास जीतेगा या विश्वास!
  • पटना से लेकर पूर्णिया तक हवा में बहेगी चुनावी सनसनी
  • बिहार में पहली बार चुनाव आयोग लागू करेगा डिजिटल कोड ऑफ कंडक्ट
  • 500 से ज्यादा पर्यवेक्षक, सीमाचंल पर विशेष चौकसी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। घड़ी की सुई जैसे ही सोमवार की शाम चार पर पहुंचेगी वैसे ही पटना से लेकर पूर्णिया तक हवा में एक सनसनी दौड़ जाएगी। चुनाव आयोग आज बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान करेगा। लोकसभा के चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए इस बार एनडीए ने चुनाव आयोग से दो चरणों में मतदान कराने की अपील की है। बिहार विधानसभा चुनाव एक बार सियासी रणभूमि बनने जा रहा है। यह चुनाव केवल सत्ता की होड़ नहीं है बल्कि यह एक ऐसा मायाजाल बनकर उभरा है जहां हर नेता हर दल और हर नारा जनता के मन पर जादू चलाने को तैयार है। गौरतलब है कि राजनीति अब शतरंज का खेल नहीं बल्कि अब यह जासूसी उपन्यास की तरह रोमांचक हो गई है। जहां कहीं धोखा है कहीं दांव है कहीं गठबंधन का झांसा है तो कहीं जनता का सन्नाटा है। बिहार चुनाव 2025 इस बार केवल वोटों की गिनती नहीं करेगा बल्कि यह भी तय हो जाएगा कि वहां कौन है जनता का सच्चा जादूगर और कौन केवल जादू दिखाने वाला।

दो चरणों में होगा मतदान?

सोर्सेज के मुताबिक इस बार बिहार में चुनाव आयोग 2 चरणों में मतदान कराने की तैयारी में है। सीमांचल से लेकर सिवान तक सुरक्षा बलों की तैनाती को बढ़ाया जा रहा है। ईवीएम के साथ वीवीपैट ट्रिपल लेयर चेकिंग होगी। सोशल मीडिया पोस्ट, एआई जनित वीडियो और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर इस बार विशेष निगरानी रखी जाएगी। बिहार में पहली बार 500 से अधिक पर्यवेक्षक नियुक्त किये जाने की तैयारी है और पहली बार चुनाव आयोग डिजिटल कोड ऑफ कंडक्ट लागू कर सकता है। बिहार का यह चुनाव अब केवल मैदान के साथ मोबाइल स्क्रीन पर भी लड़ा जाएगा।

4 पीएम पर होगा एलान

चुनाव आयोग ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। ये प्रेस कॉन्फ्रें स शाम 4 बजे बुलाई गई है। चुनाव आयोग की ये प्रेस कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली के विज्ञान भवन में होगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की वोटिंग और काउंटिंग  समेत सभी प्रक्रिया की तमाम तारीखों का ऐलान कर देगा। इसमें वोटिंग काउंटिंग से लेकर चुनाव संपन्न होने तक की तारीखों का ऐलान कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस बात की पूरी उम्मीद है कि चुनाव आयोग महापर्व छठ के संपन्न होते ही वोटिंग का पहला दिन रखेगा। यानी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की पहले फेज की वोटिंग 28 अक्टूबर के बाद किसी भी दिन रखी जाएगी। 15 नवंबर से पहले मतगणना करवा कर चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव को संपन्न करा लेगा।

पीएम मोदी के सहारे एनडीए

भाजपा अपने पुराने मंत्र पर लौट आई है बिहार की फिजाओं में एक बार फिर मोदी है तो मुमकिन है नारे गूंज रहे हैं। लेकिन बिहार की गलियों से यह सवाल भी उठना शुरू हो गये है कि क्या वाकई कुछ मुमकिन हुआ? क्योंकि केंद्र की विकास योजनाएं जैसे सड़क, गैस, घर, टॉयलेट सब कागजों में हैं। बिहार का युवा रोजगार के बारे में सवाल पूछ रहा है। पटना यूनिवर्सिटी से लेकर मधुबनी के इंटर कॉलेज तक हर क्लासरूम में सपने तो हैं लेकिन वह सपने वही दम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं। विकास का नारा बेरोजगारी के आंकड़ों में खो गया है। और यही वो युवा मतदाता हैं जो इस बार चुनाव का असली गेमचेंजर होंगे।

विपक्ष केयोद्धा तेजस्वी यादव

लालू की विरासत युवाओं की उम्मीद और विपक्ष की नब्ज तेजस्वी यादव आज बिहार में राजनीतिक करिश्मा का दूसरा नाम बन चुका हैं। तेजस्वी इस बार का चुनाव रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर लड़ रहे हैं यही उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता है। उनकी रैलियों में भीड़ उमड़ती है। उनके संवाद में एक अजीब आत्मविश्वास है। पिछले चुनाव में तेजस्वी ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाया और करोड़ों युवाओं को जोड़ लिया। उनके 10 लाख नौकरी का वादा भले पूरा न हुआ हो लेकिन उस वादे ने बिहार के राजनीतिक विमर्श को बदल दिया। बीजेपी जहां राम और राष्ट्रवाद पर खड़ी है वहीं तेजस्वी रोजगार और सम्मान पर चुनाव लडऩा चाहते हैं।

महिलाओं की चुप्पी में छिपी क्रांति

बिहार की राजनीति में एक नया और शांत चेहरा तेजी से उभर रहा है और वह हैं महिला मतदाता। शराबबंदी के बावजूद महिलाओं ने नीतीश को पहले समर्थन दिया था। क्योंकि उन्होंने साइकिल योजना, आरक्षण और शिक्षा पर काम किया। लेकिन अब वही महिलाएं अपने पतियों की गिरफ्तारी, थानों की घूसखोरी और शराब के काले धंधे से परेशान हैं। वह अब नीतीश को संवेदनशील नेता नहीं बल्कि थके हुए मुख्यमंत्री के रूप में देखने लगी हैं। महिलाओं की यह खामोशी 2025 के चुनाव की सबसे बड़ी कहानी लिखेगी।

कहीं नफरती चुनाव न बन जाए

बिहार का चुनाव बिना हिंसा, धमकी और बूथ कब्जे के अधूरे लगते हैं। हालांकि ईवीएम और पैरामिलिट्री फोर्सेज की मौजूदगी ने हालात सुधारे हैं। लेकिन गांवों में प्रभावशाली जाति का डर अब भी कायम है। मुसलमान और पिछड़े तबके अब पहले जैसे डरकर वोट नहीं करते। लेकिन ध्रुवीकरण का खेल अब भी जोरों पर है। दिन प्रतिदिन बिहार चुनाव फिर से जाति बनाम जाति की खिचड़ी पकाने वाला बन रहा है। जहां विकास और वैचारिक बहसों की जगह नफरत का मसाला ज्यादा है।

वांगचुक की गिरफ्तारी: एनडीए सरकार को ‘सुप्रीम’ फटकार

  • शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
  • लेह की ठंड में गर्म होती सियासत
  • अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को
  • याचिका में उठाये गये सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सोनम वांगचुक की पत्नी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि आखिर किन परिस्थितियों में एक शांतिपूर्ण, अहिंसक और गांधीवादी तरीके से आंदोलन करने वाले व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे कठोर प्रावधान लगाए गए? भावनात्मक माहौल बनान चाहती है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि सोनम वांगचुक को चिकित्सीय सहायता और पत्नी से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है, ताकि अपने पक्ष में एक भावनात्मक माहौल बनाया जा सके। उन्होंने कहा, यह सब सिर्फ मीडिया और लद्दाख में यह छवि बनाने के लिए किया जा रहा है कि उसे दवाइयों और पत्नी से मिलने का हक नहीं दिया जा रहा है। बस एक भावनात्मक माहौल बनाने की कोशिश है। वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और वकील सर्वम ऋ तम खरे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में सोनम वांगचुक की पत्नी ने वांगचुक के खिलाफ एनएसए लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाएं हैं।

हिरासत को रद्द करने की अपील

याचिका में बंदी तक तत्काल पहुंच प्रदान करने और हिरासत के आदेश को रद्द करने की भी मांग की गई। याचिका में गृह मंत्रालय लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, लेह के उपायुक्त और जोधपुर जेल अधीक्षक को पक्षकार बनाया गया है। साथ ही उन्हें याचिकाकर्ता को उसके पति से टेलीफोन और व्यक्तिगत रूप से तुरंत मिलने की अनुमति देने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया कि वांगचुक की नजरबंदी अवैध, मनमानी और असंवैधानिक है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

वकील से मिलने दिया जाए

याचिका में कहा गया है कि उन्हें दवाइयां, निजी सामान या उनके परिवार व वकील से मिलने की सुविधा दिए बिना ही तुरंत जोधपुर की केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। याचिका में कहा गया है कि वांगचुक या उनके परिवार को आज तक हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं बताया गया है।

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