अमेरिका से लेकर दुनियाभर में गूंजा NO Kings, ट्रंप की नीतियों पर रोष

अमेरिका और दुनियाभर में 'नो किंग्स' के बैनर तले लाखों लोग डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं. यह विरोध प्रदर्शन ट्रंप प्रशासन की प्रवासन, शिक्षा और सुरक्षा नीतियों और बढ़ती तानाशाही के खिलाफ है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः अमेरिका और दुनियाभर में ‘नो किंग्स’ के बैनर तले लाखों लोग डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं. यह विरोध प्रदर्शन ट्रंप प्रशासन की प्रवासन, शिक्षा और सुरक्षा नीतियों और बढ़ती तानाशाही के खिलाफ है. 200 से अधिक संगठन इस जन-आंदोलन का हिस्सा हैं, जो लोकतंत्र समर्थक और श्रमिक समर्थक मूल्यों को बढ़ावा दे रहा है.

अमेरिका और दुनियाभर में लाखों लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. यह सभी लोग No Kings के नारे लगा रहे हैं. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ विरोध की आग सुलग रही है. यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की माइग्रेशन, शिक्षा और सिक्योरिटी पॉलिसी के खिलाफ एक वैश्विक अभियान है. 2,700 से अधिक स्थानों पर लाखों लोगों के सड़कों पर उतरने की उम्मीद है. छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक लोग ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.

No Kings नामक गठबंधन, जिसने जून में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित किया था, एक बार फिर लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील कर रहा है ताकि एक सीधा संदेश दिया जा सके — डोनाल्ड ट्रंप कोई राजा नहीं हैं. यह आंदोलन ट्रंप प्रशासन में बढ़ते अधिनायकवाद (authoritarianism) के खिलाफ है. इस बीच, कई अमेरिकी शहरों में स्थानीय नेताओं की इच्छा के खिलाफ सैना की मौजूदगी (militarized presence) बढ़ा दी गई है. ट्रंप ने असहमति को कुचलने के लिए सख्त कार्रवाई का वादा भी किया है, जो उनके चल रहे प्रतिशोध अभियान का हिस्सा माना जा रहा है.

क्या है नो किंग्स प्रोटेस्ट?
नो किंग्स वामपंथी झुकाव वाले कई संगठनों का गठबंधन एक है. जोकि एक बार फिर पूरे अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहा है. यही गठबंधन जून में भी No Kings नामक विरोध प्रदर्शन आयोजित कर चुका है. इन प्रदर्शनों का नाम No Kings इसलिए रखा गया है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि अमेरिका में कोई राजा या निरंकुश शासक नहीं होता — और यह ट्रंप के बढ़ते अधिनायकवाद (authoritarianism) पर सीधा निशाना है.

प्रदर्शन की आधिकारिक वेबसाइट nokings.org पर लिखा है: NO KINGS सिर्फ एक नारा नहीं है, यह हमारे देश की बुनियाद है. यह सड़कों पर जन्मा, लाखों लोगों ने इस नारे को लगाया, पोस्टरों और नारों में इसे उठाया. यह शहरों की गलियों से लेकर छोटे कस्बों के चौकों तक गूंजता है, पूरे देश को तानाशाही के खिलाफ एकजुट करता है.

कहां-कहां हो रहा प्रोटेस्ट?
आयोजकों का कहना है कि पूरे अमेरिका में 2,500 से ज्यादा विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई गई है — जिनमें बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे कस्बे भी शामिल हैं और ये सभी 50 राज्यों में होंगे. 18 अक्टूबर के इस डे ऑफ एक्शन के लिए आयोजकों ने कई प्रमुख शहरों को anchor cities के रूप में चिन्हित किया है, जिनमें शामिल हैं:

वॉशिंगटन डी.सी.
सैन फ्रांसिस्को
सैन डिएगो
अटलांटा
न्यूयॉर्क सिटी
ह्यूस्टन (टेक्सास)
होनोलूलू
बोस्टन
कैनसस सिटी (मिसौरी)
बोज़मैन (मोंटाना)
शिकागो
न्यू ऑरलियन्स
प्रदर्शन अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय पर शुरू होंगे.

200 से ज्यादा संगठन शामिल
इस आंदोलन में 200 से ज्यादा संगठन साझेदार के रूप में जुड़े हैं. प्रमुख आयोजकों में Indivisible (एक प्रगतिशील आंदोलन संगठन) शामिल है. American Civil Liberties Union (ACLU) और Public Citizen इसके प्रमुख साझेदार हैं.

क्यों हो रहा है विरोध
गठबंधन ने विरोध का कारण बताते हुए कहा है कि ट्रंप की बढ़ती तानाशाही और भ्रष्टाचार की वजह से यह आंदोलन हो रहा है. जिसमें बड़े पैमाने पर निर्वासन (deportation), स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती, चुनावी नक्शों में हेरफेर (gerrymandering) और अरबपतियों के हित में आम परिवारों की अनदेखी शामिल है. आंदोलन खुद को लोकतंत्र समर्थक (pro-democracy) और श्रमिक समर्थक (pro-worker) बताता है और सत्तावादी राजनीति को खारिज करता है, यह वादा करते हुए कि वे सही प्रतिनिधित्व मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे.

No Kings वेबसाइट कहती है: चाहे आप नागरिक अधिकारों पर हमलों से गुस्से में हों, बढ़ती महंगाई से परेशान हों, जबरन उठाए गए और लापता होने के मामलों से चिंतित हों, जरूरी सेवाओं में कटौती या अभिव्यक्ति की आजादी पर हमलों से आहत हों — यह पल आपके लिए है. चाहे आप सालों से इस लड़ाई में हों या अभी-अभी उठ खड़े हुए हों, यह समय एक्शन का है.

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