‘बिहार में कोई अस्थायी नहीं रहेगा, चाहे नौकरी हो या उम्मी’

बिहार की राजनीति में संविदा का तूफान, तेजस्वी का एलान

  • तेजस्वी सीएम चेहरा तो मुकेश साहनी होंगे डिप्टी सीएम फेस
  • मुकेश के सहारे मल्लाह निषाद, साहनी, मुसहर जैसे पिछड़े वर्गों से महागठबंधन का सीधा संदेश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटन। आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुलाकात के बाद यह साफ कर दिया कि इंडिया गठबंधन के पोस्टर ब्वाय तेजस्वी यादव होंगे और उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। तेजस्वी सीएम पद के दावेदार होंगे और वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश साहनी डिप्टी सीएम पद का चेहरा होगे। आज के इस एलान से बिहार की राजनीतिक हवा बदल गयी है और नीतिश कुमार की वर्षों की संतुलन राजनीति और भाजपा के संघ समीकरण वाली रणनीति दोनों एक झटके में हिल चुकी है। आज इंडिया गठबधंन के मंच पर सिर्फ घोषणाएं नहीं हुयीं बल्कि घोषणा पत्र का पहला अध्याय भी खुल गया। तेजस्वी की आवाज में आज एक नई दृढ़ता दिखी उन्होंने साफ कहा कि अब बिहार में कोई अस्थायी नहीं रहेगा, चाहे नौकरी हो या उम्मीद। इस एक वाक्य ने बिहारी सियासत का पूरा बैलेंस ही बिगाड़ दिया। क्योंकि तेजस्वी का यह वादा सिर्फ सरकारी कर्मचारियों से नहीं था यह हर बेरोजगार नौजवान, हर अस्थायी शिक्षक, हर अनुबंधित नर्स और हर डेलीवेज मजदूर से संवाद था।

पटना में हवा बदली है

अब चर्चा सिर्फ कौन बनेगा मुख्यमंत्री की नहीं बल्कि कौन देगा रोजगार और इज्जत की है। मुकेश साहनी, उदय नारायण चौधरी, मनोज झा, और कांग्रेस के अजीत शर्मा का हौसला बता रहा था कि इस बार महागठबंधन तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ने वाला।

तेजस्वी की ओर 4-7 परसेंट का स्विंग

2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को कुल 37.3 फीसदी वोट मिले थे जबकि इंडिया गठबंधन को 37.2 फीसदी वोट हासिल हुए थे। यानी कि हार जीत के बीच सिर्फ 0.1 फीसदी का अंतर था। इस बार अगर संविदाकर्मियों और युवा मतदाताओं का 2-3 फीसदी झुकाव भी महागठबंधन की ओर हो जाता है तो नतीजे पूरी तरह पलट सकते हैं। इसके अलावा मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम बनाना भी जातीय समीकरणों का मास्टरस्ट्रोक है। 2020 में वीआईपी पार्टी को लगभग 3 फीसदी वोट मिले थे जोकि इस बार सीधे राजद के खाते में जा सकते हैं। यही नहीं इससे भाजपा के पारंपरिक निषाद वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है।

सभी दल एक मंच पर

आज इंडिया गठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस में राजद, कांग्रेस, वीआइपी, माले, सीपीआई और सीपीएम समेत सभी सहयोगी दलों के प्रमुख नेता एक मंच पर मौजूद रहे। सभी नेताओं ने कहा कि बिहार में जनता अब बदलाव चाहती है और वह बदलाव केवल तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही संभव है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस महागठबंधन की मजबूती के साथ खड़ी है। हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि उस व्यवस्था से है जिसने बिहार को पिछड़ेपन में धकेला है।

उखाड़ कर फेंक देंगे

मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में कहा कि मैं सभी दलों के विश्वास और समर्थन के लिए आभारी हूं। बिहार को बेरोजगारी, पलायन और भ्रष्टाचार से मुक्त करना हमारी पहली प्राथमिकता होगी। हम युवाओं को अवसर देंगे किसानों को सम्मान और गरीबों को हक। तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन अब सिर्फ राजनीतिक गठबंधन नहीं बल्कि बिहार के भविष्य का साझा विजन है। मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री पद की घोषणा को सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब कोई समाज उपेक्षित महसूस नहीं करेगा। हम सब मिलकर बिहार को विकास की राह पर ले जाएंगे। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद नेताओं ने एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा।

मल्लाह-निषाद को साधने की कोशिश

आज का तेजस्वी का यह दांव सीधा-सीधा महागठबंधन को एकीकृत और एनडीए को विचलित करने वाला है। राजद के पारंपरिक वोट बैंक के साथ अब रोजगार और स्थायित्व का वादा जुड़ गया है। वहीं मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम घोषित कर तेजस्वी ने मल्लाह, निषाद, साहनी, मुसहर जैसे पिछड़े वर्गों में सीधा संदेश दिया है कि यह गठबंधन अब सिर्फ यादव/मुस्लिम नहीं बल्कि हर तबके की आवाज है।

तेजस्वी का वादा बन गया आंधी

राजनीति के इस मंच से निकला यह एक वाक्य एनडीए के लिए आंधी बन गया। भाजपा नेताओं के बयान आने लगे कोई इसे झूठे सपनों का जाल बता रहा है तो कोई बजट की बर्बादी लेकिन सच यह है कि तेजस्वी ने पहली बार बिहार के सबसे बड़े वोट बैंक युवाओं और कर्मचारियों के दिल पर हाथ रख दिया है। तेजस्वी की इस आंधी को रोकने के लिए केंद्र ने भी तुरुप का पत्ता फेंका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम के जरिए बिहार के हर बूथ स्तर के कार्यकर्ता से वर्चुअल संवाद करने का ऐलान किया। यानी दिल्ली ने भी अब सियासी कमान अपने हाथों में ले ली है। क्योंकि पीएम मोदी जानते हैं कि बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि मौजूदा सरकार को बचाए रखने के लिए और 2029 के रास्ते का एक दरवाजा है।

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