शराबबंदी का मजाक बना गुजरात, मोदी सरकार पर उठे बड़े सवाल

गुजरात में कानून के मुताबिक एक बूंद शराब भी गैरकानूनी है.. वहीं अब वीडियो और रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं.. जिनमें सत्ता के रसूखदार लोग...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात को देश का सुशासन मॉडल कहा जाता है.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं.. हर चुनाव में गुजरात की तारीफ करते हैं.. वे कहते हैं कि गुजरात विकास, कानून-व्यवस्था और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है.. लेकिन हाल ही में अहमदाबाद के शिलाज इलाके में हुई एक रेव पार्टी ने इस मॉडल की पोल खोल दी है.. यहां शराबबंदी के सख्त कानून के बावजूद रसूखदार लोग खुलेआम शराब पीते पाए गए.. पुलिस ने 25 अक्टूबर 2025 की रात को एक फार्महाउस पर छापा मारा.. और 20 लोगों को गिरफ्तार किया.. इनमें 13 विदेशी छात्र शामिल थे.. जब्त शराब और नशीले पदार्थों की कीमत लाखों में बताई जा रही है..

वहीं यह घटना सिर्फ एक पार्टी का मामला नहीं है.. गुजरात में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध 1960 से लागू है.. लेकिन अमीर और प्रभावशाली लोग इसे ठेंगा दिखाते रहते हैं.. रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऐसी पार्टियां आम हो गई हैं.. विपक्षी दल इसे बीजेपी सरकार की नाकामी बता रहे हैं.. क्या यही है वह ‘गुजरात मॉडल’ जिसकी देशभर में डंकी जाती है.. आपको बता दें कि 25 अक्टूबर की देर रात.. अहमदाबाद रूरल पुलिस की बोपाल थाने की टीम ने शिलाज के जेफायर फार्महाउस पर धावा बोला.. यह इलाका शहर के पॉश इलाकों में शुमार है.. जहां अमीर लोग विला और फार्महाउस बनाकर पार्टियां आयोजित करते हैं.. टिप-ऑफ के आधार पर पुलिस पहुंची तो वहां ‘हॉट ग्रैबर पार्टी’ नाम की रेव पार्टी जोरों पर थी.. संगीत की धुनें, डांस फ्लोर और शराब की बोतलें बिखरी हुईं थीं..

पुलिस ने मौके से 20 लोगों को हिरासत में लिया.. इनमें 13 अफ्रीकी देशों के छात्र थे.. बाकी दो भारतीय थे.. आयोजक एक केन्याई छात्र था.. जिसने एंट्री के लिए 700 से 25,000 रुपये तक चार्ज किए थे.. पार्टी पास में ‘अनलिमिटेड अल्कोहल’ का वादा लिखा था.. पुलिस ने 51 बोतलें इंडियन मेड फॉरेन लिकर.. और 15 हुक्काह जब्त किए.. इनकी कीमत करीब 6 लाख रुपये बताई जा रही है.. दो बूटलेगर्स और फार्महाउस मालिक मिलन पटेल को भी गिरफ्तार किया गया..

गिरफ्तार छात्र गुजरात यूनिवर्सिटी और अन्य कॉलेजों में पढ़ते हैं.. वे NRIs नहीं, बल्कि विदेशी छात्र हैं.. पुलिस के मुताबिक, पार्टी में हुकाह के साथ नशीला धुआं फैलाया जा रहा था.. जो गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट 1949 के तहत गैरकानूनी है.. इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 के तहत आपराधिक साजिश का भी केस दर्ज किया गया.. सभी को कोर्ट में पेश किया जाएगा..

यह छापा बिना किसी हिंसा के संपन्न हुआ.. पुलिस ने वीडियो रिकॉर्डिंग की.. जो बाद में मीडिया में जारी हुई.. वीडियो में डांस फ्लोर पर लोग नशे में झूमते दिखे.. एक पोस्ट में कहा गया कि अगर आम आदमी ऐसा करता तो पुलिस उसे पीट-पीटकर थाने ले जाती.. लेकिन यहां रसूख के कारण मामला शांतिपूर्ण रहा.. यह घटना गुजरात पुलिस की सतर्कता दिखाती है.. लेकिन साथ ही सवाल भी उठाती है कि ऐसी पार्टियां कैसे चल रही हैं..

गुजरात में शराब पर प्रतिबंध की कहानी आजादी से पहले की है.. 1930 के दशक में महात्मा गांधी ने गुजरात में शराबबंदी की मांग की.. क्योंकि वे इसे सामाजिक बुराई मानते थे.. 1948 में बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट लागू हुआ.. जो गुजरात को भी कवर करता था.. 1960 में गुजरात अलग राज्य बना तो ‘गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट’ पारित किया गया.. इसमें शराब की खरीद, बिक्री, भंडारण और सेवन सभी पर पूर्ण रोक है.. और उल्लंघन पर 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है..

बीजेपी 1995 से गुजरात में सत्ता में है.. नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल (2001-2014) में इसे ‘सुशासन’ का हिस्सा बताया गया.. लेकिन 2023 में GIFT सिटी में विदेशियों के लिए शराब की छूट दी गई.. विपक्ष ने इसे ‘दोहरी नीति’ कहा.. कांग्रेस और AAP ने आरोप लगाया कि बीजेपी धीरे-धीरे बंदी हटा रही है.. फिर भी राज्य में शराबबंदी बरकरार है.. वहीं गुजरात के इतिहास में कई काले अध्याय हैं.. 2009 में अहमदाबाद के पास जहरयुक्त शराब से 136 लोगों की मौत हुई.. यह अवैध शराब का सबसे बड़ा हादसा था.. 2018 में पुलिस ने 1 करोड़ रुपये की शराब नष्ट की.. 2022 में AAP ने चुनाव में वादा किया कि वे अवैध शराब खत्म करेंगे.. लेकिन बीजेपी ने इसे जारी रखा, क्योंकि वोट बैंक में गांधीवादी और हिंदुत्व समर्थक हैं..

गुजरात में शराबबंदी एक कागजी शेर है.. अमीर और प्रभावशाली लोग इसे आसानी से तोड़ते हैं.. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अवैध शराब का कारोबार करोड़ों का है.. राजनीतिक संरक्षण से चलता है.. 2017 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि बीजेपी शासन में बंदी ‘फार्स’ (नाटक) बन गई है.. मल्टी-क्रोर नेटवर्क चलते हैं.. हाल की घटनाओं में शिलाज वाली पार्टी एक कड़ी है.. इससे पहले अक्टूबर 2025 में ही एक वीडियो वायरल हुआ.. जिसमें नेता का बेटा पुलिस पर हमला करता दिखा.. वह शराब पीकर गाड़ी चला रहा था.. विपक्ष ने इसे ‘अपने लोगों को बचाने’ का उदाहरण बताया.. एक अन्य पोस्ट में कहा गया कि गुजरात में ‘ड्राई स्टेट’ होने के बावजूद पार्टियां रुकती नहीं..

रेव पार्टियां अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा में आम हैं.. फार्महाउस, क्लब और होटलों में होती हैं.. विदेशी छात्रों का शामिल होना नया ट्रेंड है.. वे कॉलेजों के हॉस्टल से आते हैं.. एंट्री फीस से आयोजक कमाते हैं.. शराब राज्यों से तस्करी से आती है.. पुलिस कभी-कभी छापा मारती है.. लेकिन ज्यादातर मामलों में रसूख बच जाता है.. एक अध्ययन बताता है कि गुजरात में 40% युवा अवैध तरीके से शराब पीते हैं.. इससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ते हैं.. जहरयुक्त शराब से मौतें होती रहती हैं.. बिहार की तरह यहां भी बंदी फेल साबित हो रही है.. राजनीतिक दलों को इससे फायदा मिल रहा है.. अवैध कारोबार से कमाई हो रही है..

 

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