भारत की आत्मा को समझना है तो नेहरू को पढि़ए : राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने की डिजिटल आर्काइव की तारीफ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने जवाहरलाल नेहरू के लेखन के एक व्यापक डिजिटल संग्रह के उद्घाटन की सराहना की और इसे भारत की लोकतांत्रिक यात्रा को समझने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए एक शक्तिशाली दिशासूचक बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि देश के पहले प्रधानमंत्री के कार्य केवल ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र की विकसित होती अंतरात्मा को दर्शाते हैं, जिसमें उसके साहस, संदेह और आकांक्षाओं को समाहित किया गया है। संग्रह के महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू के लेखन आधुनिक भारत को आकार देने वाली चुनौतियों और विजयों के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
राहुल गांधी ने पोस्ट किया नेहरू के लेखन केवल इतिहास नहीं हैं, वे भारत की विकसित होती अंतरात्मा का अभिलेख हैं। हमारे राष्ट्र की लोकतांत्रिक यात्रा उसके साहस, उसके संदेहों, उसके सपनों को समझने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए उनके शब्द एक शक्तिशाली दिशासूचक हैं। मुझे खुशी है कि यह विरासत अब सभी के लिए खुली, खोज योग्य और मुफ़्त है। इसका विस्तार होता रहेगा। जवाहरलाल नेहरू की चुनिंदा कृतियां का पूर्णत: डिजिटलीकरण कर दिया गया है। नए लॉन्च किए गए डिजिटल संग्रह में नेहरू के निबंध, पत्र, भाषण और व्यक्तिगत विचार स्वतंत्र रूप से सुलभ और खोज योग्य हैं, जिससे शोधकर्ता, छात्र और नागरिक भारत के पहले प्रधानमंत्री के विचारों को एक सुविधाजनक प्रारूप में खोज सकते हैं। इस संग्रह को निरंतर विस्तारित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और समय के साथ इसमें अतिरिक्त लेखन और दस्तावेज़ों को शामिल करने की योजना है।
राहुल गांधी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि नेहरू की बौद्धिक और राजनीतिक विरासत अब बिना किसी प्रतिबंध के जनता के लिए उपलब्ध है। उन्होंने इस पहल को ऐतिहासिक साक्षरता और लोकतांत्रिक जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो नागरिकों को उन मूलभूत विचारों से जुडऩे के लिए प्रोत्साहित करता है जिन्होंने भारत को एक संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करने में मार्गदर्शन किया।

जी-20 में मोदी की सुरक्षित यात्रा पर जयराम रमेश ने कसा तंज

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, क्योंकि अमेरिका ने वार्षिक अंतर-सरकारी बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। कांग्रेस महासचिव (संचार) ने एक्स पर एक पोस्ट में यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री हाल ही में भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के लिए कुआलालंपुर नहीं गए, ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ आमने-सामने की बातचीत से बचा जा सके। याद कीजिए कि कुछ दिन पहले श्री मोदी भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के लिए कुआलालंपुर नहीं गए थे क्योंकि वहाँ उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप से आमने-सामने होना पड़ता। यह असाधारण है कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि अमेरिका दक्षिण अफ्रीका के जी-20 के एकजुटता, समानता और स्थिरता के विषयों का इस आधार पर विरोध करता है कि ये अमेरिका-विरोध के समान हैं। संयोग से, यह वही मार्को रुबियो हैं जिन्होंने 10 मई को शाम 5:37 बजे दुनिया को ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने की सबसे पहले घोषणा की थी। रमेश ने यह भी बताया कि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी अगले जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसकी मेज़बानी अमेरिका 2026 में करने वाला है। उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है। भारत ने नवंबर 2023 में इंडोनेशिया से कार्यभार संभाला था और नवंबर 2024 में ब्राज़ील को सौंप दिया था। अब दक्षिण अफ्र ीका को अमेरिका को सौंपना है, जो इस बार मौजूद नहीं होगा। इसलिए अगला जी20 शिखर सम्मेलन एक साल बाद अमेरिका में होगा। तब तक, संभवत:, भारत का अमेरिका के साथ व्यापार (या) समझौता हो चुका होगा। लेकिन अगर पिछले सात महीनों में राष्ट्रपति ट्रंप ने 61 बार दावा किया है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया है, तो सोचिए कि अगले बारह महीनों में वह कितनी बार इन दावों को दोहराएँगे।

बंगाल से बांग्लादेश तक डोली धरती, तीन की मौत

कोलकाता में भूकंप के तेज झटके, घर छोडक़र भागे लोग अफगानिस्तान व पाकिस्तान में भी महसूस हुए झटके

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। शक्रवार को कोलकाता समेत बंगाल के कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सुबह 10.10 बजे यह झटका आया। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.7 मापी गई है। 17 सेकेंड तक धरती डोली। इस भूकंप का केंद्र बांग्लादेश बताया गया है। बांग्लादेश में भूकंप के कारण तीन लोगों की जान गई है। जानकारी के अनुसार, शुक्रवार सुबह बांग्लादेश में टुंगी से करीब 27 किलोमीटर पूर्व भूकंप आया, जिसके कंपन बंगाल तक महसूस किए गए।
स्थानीय समयानुसार झटके सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर दर्ज किए गए। यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर के मुताबिक भूकंप के बाद कई क्षेत्रों से हल्के झटकों की सूचनाएं भी सामने आई हैं। बंगाल के मालदा, नादिया, कूचबिहार, दक्षिण दिनाजपुर और हुगली सहित कई जिलों में भी कंपन दर्ज किए गए. झटके सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं रहे, बल्कि त्रिपुरा के कई हिस्सों में भी भूकंप महसूस किया गया. बताया जा रहा है कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आए भूकंप के बाद यह कंपन पूर्वोत्तर और कोलकाता तक पहुंचे। पाकिस्तान में तडक़े भूकंप के तीव्र झटके महसूस किए गए, जिसके बाद कई क्षेत्रों में लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में गिना जाता है. यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट के कारण हल्के से लेकर तेज झटकों तक, भूकंप अक्सर आते रहते हैं।

भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.7 दर्ज की गई

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.7 दर्ज की गई और इसका केंद्र जमीन से करीब 135 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था. राहत की बात यह है कि अब तक किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। अफगानिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार पहला झटका रात 1:59 बजे आया, जिसका केंद्र लगभग 190 किलोमीटर की गहराई पर था। इसके बाद सुबह 3:09 बजे पाकिस्तान में दूसरा, अधिक तीव्र झटका महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता 5.2 रही।

पश्चिम बंगाल में कोई बिल पेंडिंग नहीं: राज्यपाल सीवी आनंद बोस

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शुक्रवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश, जिसमें कहा गया है कि अदालतें राष्ट्रपति और राज्यपालों द्वारा राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को मंज़ूरी देने के लिए समय-सीमा निर्धारित नहीं कर सकतीं, भारतीय संविधान में शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को पुष्ट करता है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि संविधान में प्रत्येक पद के लिए लक्ष्म रेखाएँ खींची गई हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कहा, इससे यह संदेश गया है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत के संविधान में निहित शक्तियों के पृथक्करण को बरकरार रखता है। इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यपाल फाइलों पर हाथ धरे बैठे रह सकते हैं… निर्वाचित मुख्यमंत्री निश्चित रूप से सरकार का चेहरा होता है, न कि मनोनीत राज्यपाल।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह फ़ैसला राज्यपाल और मुख्यमंत्री की भूमिकाओं पर एक स्पष्ट संकेत देता है, जो संवैधानिक सीमाओं का सम्मान करते हुए सहयोग के महत्व को रेखांकित करता है। संविधान ने प्रत्येक पद के लिए लक्ष्म रेखाएँ खींची हैं। बोस ने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फ़ैसले से यही संदेश आया है कि इस सीमा को पार न करें, एकजुट रहें और मिलकर काम करें।

राज्य के हक की लड़ाई जारी रहेगी: स्टालिन

सुप्रीम कोर्ट के परामर्श पर बोले तमिलनाडु केसीएम

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चेन्नई। तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल एन रवि के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यों के अधिकार को लेकर बड़ा बयान दिया है।
दरअसल, अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा था कि विधानसभा से पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति और राज्यपालों को समयसीमा के भीतर फैसला करना होगा। इस मुद्दे पर राष्ट्रपति ने 14 सवाल भेजकर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी थी। अपने परामर्श में चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए अदालतें समयसीमा तय नहीं कर सकतीं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ के परामर्श के बाद अब इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया दी है। उ
न्होंने कहा, संविधान में संशोधन होने तक वे चुप नहीं बैठेंगे। डीएमके प्रमुख स्टालिन ने सख्त तेवर दिखाते हुए शुक्रवार को कहा, राज्यपालों के लिए बिल मंजूरी की समयसीमा तय करने को लेकर संविधान में संशोधन होने तक वे पीछे नहीं हटेंगे। स्टालिन ने यह बयान सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति संदर्भ पर दी गई सलाहकार राय के बाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष राज्य के अधिकारों और सच्चे संघीय ढांचे के लिए जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल, 2025 को तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल मामले में जो आदेश पारित किया है, उस पर 20 नवंबर को दिए गए परामर्श का कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, न्यायालय ने यह साफ किया है कि चुनाव में जनता के वोट से चुनी गई सरकार को ही राज्य में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए। इसलिए राज्य में कार्यकारी फैसलों के दो अलग केंद्र नहीं हो सकते।

राज्यपाल बिना वजह बिल रोक नहीं सकते

स्टालिन ने इस बात पर भी जोर दिया कि गवर्नर के पास बिल को रोकने या पॉकेट वीटो करने का कोई विकल्प नहीं है। वह बिल को बिना वजह रोक नहीं सकता। उन्होंने यह भी कहा कि गवर्नर के पास इस बात का ‘चौथा विकल्प’ नहीं होता कि वह बिल को लटका कर रखे।

आखिर कब तक जुर्माना-जुर्माना खेलता रहेगा नगर निगम!

नगर आयुक्त के निर्देश पर दो जोनों में औचक निरीक्षण
सफाई व्यवस्था में मिली गंभीर खामियाँ, दो एजेंसियों पर जुर्माना

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर आयुक्त गौरव कुमार के निर्देश पर नगर निगम प्रशासन ने शहर की सफाई व्यवस्था की जमीनी स्थिति जानने के लिए जोन-5 और जोन-1 में औचक निरीक्षण किया।
अपर नगर आयुक्तों की टीमों ने क्षेत्र में पहुंचकर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन, रोड स्वीपिंग, नाली सफाई और कचरा प्रबंधन का प्रत्यक्ष मूल्यांकन किया। निरीक्षण में कई गंभीर खामियाँ सामने आईं, जिन पर तुरंत कार्रवाई की गई। जोन-5, सफाई व्यवस्था बेहद खराब, लॉयन एनवायरो पर 15,000 जुर्मानाअपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव ने ओम नगर वार्ड का निरीक्षण किया, जहाँ कई अनियमितताएँ पाई गईं। डोर-टू-डोर कलेक्शन नियमित नहीं, रोड स्वीपिंग अधूरी नालियों की समुचित सफाई नहीं, वार्ड के कई खाली प्लॉटों में गंदगी जमा, कूड़ा उठान वाहन की संख्या कम, लॉयन एनवायरो कंपनी के कर्मचारी वर्दी में नहीं मिले
इन लापरवाहियों पर संबंधित एजेंसी लॉयन एनवायरो पर 15,000 का जुर्माना लगाते हुए तुरंत सुधार के निर्देश दिए गए। जोन-1, अपार्टमेंट्स में कचरा उठान 50त्न ही, संस्था पर 10,000 जुर्माना,सुबह 9 बजे अपर नगर आयुक्त ललित कुमार ने राजा राम मोहन राय मॉडल वार्ड में निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान खामियाँ मिलीं । जीवीपी पॉइंट पर कूड़ा जमा मिला। कई लोग खुले में कचरा फेंकते पाए गए।

नगर निगम की चेतावनी

प्रशासन ने चेतावनी दी है कि सफाई में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और आगामी दिनों में अन्य जोनों में भी इसी प्रकार निरीक्षण होंगे।शहरवासियों ने भी सवाल उठाया कि आखिर कब तक नगर निगम प्राइवेट एजेंसियों के साथ सिर्फ जुर्माना-जुर्माना खेलता रहेगा?

जोनल अधिकारियों की भी जिम्मेदारी : शैलेन्द्र वर्मा

बीजेपी पार्षद शैलेन्द्र वर्मा ने भी कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने को सही ठहराया और कहा कि किसी भी जोन में सफाई व्यवस्था की खराबी के लिए सिर्फ कंपनी ही नहीं, बल्कि वहां के जोनल अधिकारी और जेडएसओ भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं। पार्षद ने कहा कि अधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र में निकलकर निरीक्षण करें एवं यह सुनिश्चित करें कि सफाई सही ढंग से हो, ताकि जनता को गंदगी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही पार्षद वर्मा ने आज सफाई जागरूकता अभियान भी चलाया। गोमतीनगर विभूतिखंड क्षेत्र के अपने वार्ड में उन्होंने स्वयं लोगों को बैग वितरित किए और अपील की कि लोग बाजार से सामान या सब्ज़ी पॉलीथिन में न लाएं, बल्कि बैग का उपयोग करें। साथ ही सडक़ पर कूड़ा न फेंके, बल्कि कूड़ा केवल कूड़ा गाड़ी को ही दें। शहर को स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। नगर निगम और जनता दोनों की साझेदारी से ही स्वच्छ लखनऊ अभियान सफल हो सकता है।

कई पार्षदों ने सफाई व्यवस्था में लापरवाही पर उठाए सवाल

पार्षद मुकेश सिंह मोंटी ने कहा कि जिस कंपनी को पहले बेहतर कार्य करने पर भारत सरकार का प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया, उसी पर अब करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि नगर निगम पहले सम्मान देता है और बाद में नाराज़ होकर कार्रवाई करता है यह कैसी परंपरा है?उन्होंने कहा कि शहर में सफाई कार्य के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों को अनुबंध पर रखा गया है, लेकिन सफाई न होने के कारण अब तक भारी-भरकम जुर्माना लगाया जा चुका है। पार्षद मोंटी ने यह भी कहा कि काम में लापरवाही होती है तो जुर्माना लगना बिल्कुल सही है, लेकिन नगर निगम को और सख्त रुख अपनाना चाहिए ताकि शहर स्वच्छ और सुंदर बने।

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