मदनी के बयान पर उठा सियासी तूफान

केन्द्र सरकार की नींद हराम, चर्चा आम

कहां से मिली ताक त जो दिया बयान

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के बयान से सियासी हुक्मरानों की नींद हराम हो गयी है। हालांकि सरकार उनके बयान को अनदेखा कर आगे बडऩे की रणनीति पर अम्ल कर रही है। लेकिन पूरे भारत में उनके इस बयान के चर्चें हैं और हर कोई इस बयान को अपनी परीभाषा में पढ़ रहा है।
गौरतलब है कि अल्पसंख्यक नेतृत्व प्राय: सावधानी से अपनी बात रखता है लेकिन इस बार लहजा और वाक्य दोनों असाधारण है। यह तभी संभव है जब माहौल अनुकूल हो, बैकिंग मजबूत हो, और उद्देश्य स्पष्ट हो। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस स्तर के बयान के पीछे केवल व्यक्तिगत भावनाएं नहीं होतीं। बल्कि देश के भीतर कुछ नए समीकरण बनने के संकेत होते हैं। यह बयान महज़ एक टिप्पणी नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश है।

आखिर कौन कर रहा है मदनी की बैंकिंग

अल्पसंख्यक समुदाय के विभन्न नेता लगातार इस बात को कह रहे हैं कि उनके अधिकारों को दबाया जा रहा है और बुल्डोजर से डराया जा रहा हैं। लेकिन इस लहजे में किसी ने अभी तक बात नहीं कि जो लहजा मौलाना महमूद मदनी का रहा। सियासी समीक्षकों का भी यही सवाल है कि मदनी ने बिना बैकिंग के इस बयान को जारी नहीं किया होगा और इस हालात में उन्हें पालिटिकल बैंकिंग कहां से मिल रही है। समाजशास्त्री डीके त्रिपाठी कहते हैं कि बीजेपी के भीतर कई गुट बन चुके हैं जो पीएम मोदी की कार्यशैली का विरोध कर रहे हैं। अटल—अडवाणी गुट के नेता इससे पहले भी कई गंभीर मामलों पर पार्टी के भीतर अनुशासन के दायरे में इस बात को उठा चुके हैं लेकिन उनकी नहीं सुनी जा रही। ऐसे में ऐसे ही किसी नेताओं के गुट ने मदनी को आगे कर इस तरह के बयान को दिलवाया है।

राज्यों से लगातार आ रहे हैं विवादित बयान

दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि भाजपा के भीतर नेतृत्व और नीति को लेकर असहमति के स्वर धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह अटकलें भी सामने आई हैं कि क्या पार्टी के ही कुछ असंतुष्ट प्रभावशाली लोग मौलाना के बयान का इस्तेमाल सरकार के लिए असहज माहौल बनाने के लिए कर रहे हैं? यह संभावना पूरी तरह नकारा नहीं जा सकती। भारतीय राजनीति में जब आंतरिक संघर्ष बढ़ते हैं तो बाहरी आवाज़ें अक्सर दबाव के साधन के रूप में इस्तेमाल होती रही हैं। असम में बिसवा सरकार, राजस्थान में सैनी सरकार, उत्तराखंड में धामी सरकार, मध्य प्रदेश में मोहन सरकार और यूपी में योगी सरकार के मंत्री समय—समय पर विवादित बयान देते आ रहे हैं। यही नही इन राज्यों समेत देश के अन्य कई राज्यों से अल्पसंख्यक समुदाय से रिलेटेड खबरों का आना भी बदस्तूर जारी है।

बेचैनी बयान से ज्यादा समय को लेकर

मौलाना महमूद मदनी का यह बयान ऐसे समय आया है जब चुनावी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक विमर्श संवेदनशील मोड़ पर है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकार तथा धार्मिक स्वतंत्रता के विषय चर्चा में हैं। इसलिए मदनी का बयान राजनीतिक रूप से सिर्फ़ असहमति नहीं बल्कि रणनीतिक चुनौती है क्योंकि यह सत्ता की सबसे संवेदनशील पोज़िशन हैं जो छवि और चुनावी नैरेटिव को प्रभावित कर सकता है। यह केवल एक बयान नहीं बल्कि संभावित राजनीतिक बदलाव की पहली घंटी है। सरकार इसे अनदेखा बताकर शांत रहने की कोशिश कर रही है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह मामला आगे और बड़ा हो सकता है क्योंकि राजनीतिक परतों में असंतोष मौजूद है। समाजशास्त्रीय सवाल नए रूप में उभर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समीकरण चुनावी जमीन को प्रभावित कर रहे हैं। मदनी का बयान कहानी का अंतिम अध्याय नहीं शायद यह शुरुआत है। आने वाले महीनों में यह देखा जाएगा कि यह बयान एक इकहरा विवाद साबित होता है या फिर देश की राजनीति में एक नए संदर्भ और नए समीकरणों का आधार बनता है।

विहिप ने की निंदा

विश्व हिंदू परिषद ने भोपाल में मौलाना महमूद मदनी के बयान की निंदा की है। विहिप नेता डा0 सुरेंद्र जैन ने मदनी पर कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए मुस्लिम समाज को भडक़ाने का आरोप लगाया है डा0 जैन ने कहा है कि क्या मौलाना यह नहीं जानते कि कहीं रोटियों पर थूक जा रहा है कहीं लव जिहाद के नाम पर बहनों से बलात्कार कर उनके टुकड़े किए जा रहे हैं।

मदनी ने कहा

मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थितियां काफी संवेदनशील और चिंताजनक हैं। यह कहना बेहद दुखद है कि एक वर्ग विशेष का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को कानूनी रूप से मजबूर, सामाजिक रूप से अलग-थलग करने और आर्थिक रूप से अपमानित और वंचित करने के लिए आर्थिक बहिष्कार, बुलडोजर कार्रवाई, मॉब लिंचिंग, मुस्लिम वक्फ संपत्तियों में तोडफ़ोड़ और धार्मिक मदरसों और इस्लामी प्रतीकों के खिलाफ नकारात्मक अभियान चलाकर नियमित और संगठित प्रयास किए जा रहे हैं।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मामला सुप्रीम चौखट पर

शीर्ष कोर्ट बोली- हवा की गुणवत्ता की समस्या गंभीर है और इसे तुरंत हल करें

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से बिगड़ते हालात पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने साफ कर दिया कि हवा की गुणवत्ता की समस्या गंभीर है और इसे तुरंत हल करने की दिशा में ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिसका प्रभाव लंबे समय तक रहे। साथ ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक समय है।
हमें बताएं कि हम क्या आदेश दे सकते हैं ताकि लोगों को तुरंत साफ हवा मिल सके। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई में यह देखा जाएगा कि तत्काल और दीर्घकालिक उपाय क्या किए जा सकते हैं। कोर्ट की यह पहल नागरिकों की सेहत और दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ सांस के रोगों को बढ़ाता है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है. सुप्रीम कोर्ट की इस सक्रिय भूमिका से उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाएगी।मामले की पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते वायु प्रदूषण पर निराशा व्यक्त की और सवाल उठाया कि न्यायपालिका तत्काल राहत के लिए कौन सी जादुई छड़ी इस्तेमाल कर सकती है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने इस संकट के कई कारणों पर प्रकाश डाला और केवल अदालती आदेशों पर निर्भर रहने के बजाय सभी कारणों की पहचान और विशेषज्ञों द्वारा संचालित समाधानों का आग्रह किया. हर इलाके के लिए अलग समाधान की जरूरत है. इसके लिए सरकार की बनाई कमेटियों और उनके कामकाज की भी समीक्षा करनी होगी। साथ ही रेगुलर मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को मजबूत करना जरूरी है।

जोन-8 निरीक्षण में खुली स्ट्रीट लाइट व्यवस्था की पोल

इंजीनियरों पर भडक़ीं महापौर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम के जोन-8 क्षेत्र में प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना के निरीक्षण के दौरान स्ट्रीट लाइटों में गंभीर खामियां सामने आने पर महापौर भडक़ उठीं। चिल्लवा गांव क्षेत्र में कई स्थानों पर लाइटें बंद मिलीं और स्विच बॉक्स खराब पड़े मिले। बताया जा रहा है कि सहायक अभियंता ईशान पांडे और जूनियर इंजीनियर अभिषेक मिश्रा मौके पर हाथ बांधे खड़े रहे, जिससे उनकी लापरवाही साफ दिखाई दी।
महापौर ने मंत्री के सामने ही दोनों अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए कड़ा असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनता के टैक्स के पैसों से ही वेतन मिलता है, ऐसी लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निरीक्षण के दौरान पूरे इलाके में गंदगी मिली तथा कई पोलों पर स्ट्रीट लाइटों की लाइन डायरेक्ट जलती मिली, जो सुरक्षा की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। इस पर महापौर ने नाराजगी जताते हुए संबंधित जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। महापौर ने जोनल अधिकारी, सफाई एवं खाद्य निरीक्षक और जोनल सेनेटरी ऑफिसर-तीनों का एक दिन का वेतन रोकने के आदेश दिए। उन्होंने जोनल अधिकारी से पूछा कि इस वार्ड का निरीक्षण आपने कब किया था? जवाब मिला कि अब तक सिर्फ एक बार। इस पर महापौर ने फटकार लगाते हुए कहा कि आपको इस जोन में तैनात हुए एक महीना हो गया, लेकिन आप कार्यालय से बाहर निकलकर जनता की समस्याएं देखने तक नहीं जा पा रहे हैं।
प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने भी निरीक्षण के दौरान पाया कि स्ट्रीट लाइट व्यवस्था और सफाई तंत्र में कई कमियां बनी हुई हैं, जिन्हें तत्काल सुधारे जाने के निर्देश दिए गए।

सवारियों से भरी स्लीपर बस पलटी

कई घायल कांच तोडक़र निकले लोग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी में सवारियों से भरी स्लीपर बस पलट गई। ऐसे में बस में सवार लोग कांच तोडक़र बाहर। ये बस दिल्ली से मध्य प्रदेश के सागर जिले में जा रही थी। लेकिन इस बीच झांसी के सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के ग्वालियर हाईवे पर ये बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बस में सवार कई लोग घायल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि झांसी में सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के ग्वालियर हाईवे पर जाम लगा हुआ था। ऐसे में ड्राइवर ने बस को बैक किया और दूसरी लेन में जाने लगा। इस दौरान ही बस ही बस पलट गई और फिर चीख पुकार मच गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बिहार विस की कार्यवाही जारी, नए विधायकों ने लिया शपथ

तेजस्वी ने सम्राट से हाथ मिलाया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में 18वीं विधानसभा का पहला सत्र आज से शुरू हो गया है। पहले दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा चुनाव में जीत कर आये सभी 243 विधायक एक-एक कर शपथ ले रहे हैं। प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव सभी को शपथ दिला रहे हैं। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शपथ लिया।
इधर, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने शपथ लेने के बाद सीएम नीतीश कुमार का पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। वहीं आठवीं बार जीतकर सदन पहुंचे प्रेम कुमार ने सदन को नमन किया तब अंदर गए। सदन के अंदर पहली पंक्ति में सीएम नीतीश कुमार के साथ डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, मंत्री विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, मंगल पांडेय और दिलीप जायसवाल बैठे हैं। इस बार विधायक अरुण शंकर प्रसाद, सुजीत पासवान, विनोद नारायण झा, आसिफ़ अहमद, माधव आनंद, मीणा कुमारी, नीतीश मिश्रा और सबसे कम उम्र की विधायक मैथिली ठाकुर ने मैथिली भाषा में शपथ ली। वहीं विधायक आबिदुर रहमान, कमरूल होदा, सरबर आलम, विधायक व ्रढ्ढरूढ्ढरू के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान और विधायक मुर्शीद आलम ने उर्दू में शपथ ली।

इस बार बदली रही सदन की तस्वीर

इस बार सदन की तस्वीर काफी बदली हुई है। चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बहुमत मिला। इनके 202 विधायक इस बात जीतकर आये हैं। वही महागठबंधन के 35 विधायक ही इस बार सदन पहुंच पाए हैं। पिछली विधानसभा की तुलना में इस बार विपक्ष संख्या बल में कमजोर है। हालांकि इसके बावजूद विपक्ष के नेता सरकार को गर्ने में कोई कसर छोडऩा नहीं चाहते हैं। इसको लेकर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की बैठक भी हो चुकी है। विपक्ष बढ़ते अपराध और रोजगार के मुद्दे पर सरकार को गिरने की तैयारी में है।

सदन पूरी तरह से पेपरलेस

इधर, इस बार विधानसभा में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। सदन पूरी तरह से पेपरलेस हो गया है। अब विधायकों का सवाल पूछना, जवाब प्राप्त करना, भाषण देना और अन्य सभी काम डिजिटल फॉर्मेट में टैबलेट के माध्यम से होंगे। विधानसभा अध्यक्ष, सचिव और अन्य अधिकारियों को भी टैबलेट दिए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष टैबलेट की मदद से सदन की कार्यवाही संचालित करेंगे। विधानसभा में कुल 243 विधायक अपनी सीट पर टैबलेट का इस्तेमाल करेंगे। उनके भाषण और सवाल पहले ऐप पर अपलोड होंगे, जिन्हें जरूरत के अनुसार सदन में इस्तेमाल किया जाएगा। इस तरह पूरा सदन हाईटेक और आधुनिक बन गया है। ऐसा बिहार विधानसभा में पहली बार हो रहा है। इसके लिए सारी तैयारी पूरी हो चुकी है।

पांच दिसंबर तक चलेगा सत्र

बिहार चुनाव के बाद बुलाए गए सत्र पहले दिन यानी एक दिसंबर को विधायकों का शपथग्रहण होगा। वहीं दो दिसंबर को विधानसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। अध्यक्ष पद की रेस में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार का नाम सबसे आगे हैं। हालांकि, जनता दल यूनाईटेड इस बार अपने पास विधानसभा अध्यक्ष का पद रखना चाहती है। इस पर मंथन चल रहा है। अगले 24 घंटे के अंदर अध्यक्ष पद पर तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। तीन दिसंबर को राज्यपाल का अभिभाषण होगा। चार दिसंबर को सरकार का फ्लोर टेस्ट और पांच दिसंबर को विनियोग विधेयक पेश किया जाएगा।

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