UAE के शून्य से शिखर तक की दास्तान, कैसे बना विकास की मिसाल

संयुक्त अरब अमीरात, जिसे हम यूएई कहते हैं, एक ऐसा देश है जो रेगिस्तान की रेत से निकलकर आज दुनिया की सबसे आधुनिक और समृद्ध जगहों में से एक बन गया है। इसकी कहानी "रेगिस्तान से नियति तक" की तरह है, जहां कड़ी मेहनत, दूरदर्शी नेतृत्व और प्राकृतिक संसाधनों ने इसे बदल दिया।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: संयुक्त अरब अमीरात, जिसे हम यूएई कहते हैं, एक ऐसा देश है जो रेगिस्तान की रेत से निकलकर आज दुनिया की सबसे आधुनिक और समृद्ध जगहों में से एक बन गया है। इसकी कहानी “रेगिस्तान से नियति तक” की तरह है, जहां कड़ी मेहनत, दूरदर्शी नेतृत्व और प्राकृतिक संसाधनों ने इसे बदल दिया। यूएई के मॉडर्न इतिहास की शुरुआत 19वीं सदी से होती है, जब यह इलाका “ट्रूशियल स्टेट्स” के नाम से जाना जाता था। उस समय यहां के सात अमीरात – अबू धाबी, दुबई, शारजाह, अजमान, उम्म अल-क्वैन, फुजैराह और रास अल-खैमाह – ब्रिटिश संरक्षण में थे।

ब्रिटेन ने 1820 में स्थानीय शासकों से एक संधि की, जिसमें समुद्री डकैती रोकने का वादा था, और बदले में ब्रिटेन ने इन इलाकों की रक्षा की जिम्मेदारी ली। यह संधि 1853 में स्थायी समुद्री युद्धविराम में बदल गई, जिसने क्षेत्र में शांति स्थापित की। 19वीं सदी में यहां के लोग मुख्य रूप से मछली पकड़ने, मोती निकालने और व्यापार पर निर्भर थे, लेकिन ब्रिटिश प्रभाव ने विदेशी मामलों को नियंत्रित किया, जबकि आंतरिक मामलों में स्थानीय शासकों का अधिकार रहा। 1892 में एक और संधि हुई, जिसमें अमीरातों ने वादा किया कि वे ब्रिटेन के बिना किसी अन्य देश से संबंध नहीं बनाएंगे। इस दौर में आंतरिक झगड़े होते रहते थे, जैसे दुबई और अबू धाबी के बीच सीमा विवाद, लेकिन ब्रिटेन ने सिर्फ शांति बनाए रखने में हस्तक्षेप किया।

20वीं सदी की शुरुआत में यूएई का इतिहास बदलने लगा, जब 1930 के दशक में तेल की खोज शुरू हुई। 1939 में अबू धाबी में तेल का पहला अनुबंध हुआ, और 1950 के दशक में तेल मिलना शुरू हो गया। 1958 में उम्म शैफ में ऑफशोर तेल मिला, और 1960 में मुरबान में ऑनशोर। 1962 में अबू धाबी से पहली बार तेल निर्यात हुआ, जिसने अर्थव्यवस्था को तेजी से बदला। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने यहां सैन्य अड्डे बनाए, और युद्ध के बाद 1947 में ट्रूशियल कोस्ट का प्रबंधन विदेश कार्यालय को सौंपा गया।

1952 में ट्रूशियल स्टेट्स काउंसिल बनी, जो सात अमीरातों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए थी। लेकिन 1952 में बुरैमी ओएसिस विवाद हुआ, जहां सऊदी अरब ने दावा किया, और ब्रिटेन ने हस्तक्षेप किया। 1960 के दशक में स्वतंत्रता की हवा चली। 1966 में शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान अबू धाबी के शासक बने, जो बाद में यूएई के संस्थापक पिता कहलाए। 1968 में ब्रिटेन ने घोषणा की कि वह 1971 तक क्षेत्र से हट जाएगा। इसके बाद शेख जायद और दुबई के शेख राशिद ने 18 फरवरी 1968 को संघ बनाने पर सहमति जताई। लेकिन बहरीन और कतर अलग हो गए, और 1971 में ईरान ने अबू मुसा और टुंब द्वीपों पर कब्जा कर लिया, जो आज भी विवादित हैं।

2 दिसंबर 1971 को छह अमीरातों – अबू धाबी, दुबई, शारजाह, अजमान, उम्म अल-क्वैन और फुजैराह – ने स्वतंत्रता प्राप्त की और संयुक्त अरब अमीरात की स्थापना की। शेख जायद को राष्ट्रपति चुना गया, और एक अस्थायी संविधान बनाया गया, जिसमें संघीय व्यवस्था थी – सुप्रीम काउंसिल, राष्ट्रपति, कैबिनेट, फेडरल नेशनल काउंसिल और न्यायपालिका। प्रत्येक अमीरात को आंतरिक मामलों में स्वायत्तता मिली। रास अल-खैमाह ने पहले अलग रहना चुना, लेकिन क्षेत्रीय सुरक्षा कारणों से 10 फरवरी 1972 को संघ में शामिल हो गया।

इस तरह सात अमीरातों का पूरा संघ बना। 1972 में फेडरल नेशनल काउंसिल की पहली बैठक हुई, जो देश की विधायी प्रक्रिया की शुरुआत थी। थानी बिन अब्दुल्लाह पहले स्पीकर बने। इसी साल शारजाह में एक असफल तख्तापलट हुआ, जिसमें पूर्व शासक साकर बिन सुल्तान शामिल थे, लेकिन इसे दबा दिया गया। 1973 में यूएई ने अपनी राष्ट्रीय मुद्रा दिरहम शुरू की, जो कतर-दुबई रियाल की जगह ली और आर्थिक एकता को मजबूत किया। तेल की कमाई से देश ने तेजी से विकास शुरू किया – सड़कें, अस्पताल, स्कूल और आवास बनाए गए। 1974 में बुरैमी विवाद का हल जेद्दा संधि से हुआ।

वहीं 1980 के दशक में यूएई ने क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाया। 1981 में अबू धाबी में गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल यानी जीसीसी की स्थापना हुई, जिसमें यूएई, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, कतर और ओमान शामिल हुए। यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग के लिए बना। 1982 में शेख जायद ने रुवैस में पेट्रोलियम इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जो एक छोटे मछली गांव को औद्योगिक केंद्र में बदल दिया। 1984 में दुबई में पहला ऑनशोर ऑयल फ़ील्ड मार्घम शुरू हुआ, जिसने दुबई की ऊर्जा क्षमता बढ़ाई। ईरान-इराक युद्ध के दौरान यूएई ने तटस्थता रखी, लेकिन टैंकर युद्ध में सतर्क रहा।

1987 में शारजाह में एक और तख्तापलट की कोशिश हुई, लेकिन सुप्रीम काउंसिल ने शेख सुल्तान को बहाल किया। 1990 में यूएई की फुटबॉल टीम ने इटली में पहली बार फीफा वर्ल्ड कप खेला, जो खेल में देश की शुरुआती सफलता थी। 1991 में इराक के कुवैत पर हमले के बाद यूएई ने गठबंधन सेनाओं का साथ दिया। 1996 में देश ने स्थायी संविधान अपनाया, जो अस्थायी की जगह ले लिया और सरकार की संरचना को मजबूत किया। इसमें नागरिकों के अधिकार और जिम्मेदारियां स्पष्ट की गईं। 1998 में यूएई ने इराक से संबंध बहाल किए, और 1999 में जीसीसी ने द्वीप विवाद में यूएई का साथ दिया।

इसके बाद 2000 के दशक में यूएई ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। 2001 में यूएई ने अमेरिका का साथ दिया और आतंकवाद से जुड़े खातों को फ्रीज किया। 2004 में शेख जायद का निधन हुआ, जो देश के लिए बड़ा झटका था। उनके बेटे शेख खलीफा राष्ट्रपति बने। उसी साल शेख अहमद अल मकतूम ने एथेंस ओलंपिक में शूटिंग में पहला स्वर्ण पदक जीता, जो यूएई की खेल इतिहास में मील का पत्थर था। 2006 में दुबई के शासक शेख मकतूम का निधन हुआ, और उनके भाई शेख मोहम्मद ने पद संभाला। इसी साल पहली बार फेडरल नेशनल काउंसिल के चुनाव हुए, जहां आधे सदस्यों को चुना गया, और महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। यह राजनीतिक भागीदारी की दिशा में बड़ा कदम था।

2006 में दुबई पोर्ट्स वर्ल्ड का अमेरिकी सौदा सुरक्षा चिंताओं से रद्द हुआ। 2007 में यूएई ने राष्ट्रीय विकास रणनीति शुरू की, जो दुनिया का नेता बनने का लक्ष्य रखती थी। 2008 में फ्रांस के साथ सैन्य अड्डा समझौता हुआ। 2009 में दुबई वर्ल्ड के कर्ज संकट से अबू धाबी ने 10 बिलियन डॉलर की मदद की। उसी साल दुबईसैट-1 लॉन्च हुआ, जो यूएई का पहला सैटेलाइट था, और दुबई मेट्रो शुरू हुई, जो क्षेत्र की पहली मास ट्रांजिट सिस्टम थी। 2010 में बुर्ज खलीफा का उद्घाटन हुआ, जो दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है और दुबई की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।

साथ ही 2010 के बाद यूएई ने महिलाओं और विज्ञान में प्रगति की। 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान यूएई में ज्यादा अशांति नहीं हुई, लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। 2012 में अबू मुसा द्वीप पर ईरानी दौरे से राजदूत वापस बुलाया। 2013 में मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े लोगों पर मुकदमा चला। 2014 में शेख खलीफा को स्ट्रोक हुआ, लेकिन वे ठीक हुए। उसी साल मेजर मरियम अल मंसूरी पहली महिला फाइटर पायलट बनीं, जो महिलाओं की सशक्तिकरण का उदाहरण है। 2014 में यूएई ने आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिका के साथ हवाई हमले किए, और यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी गठबंधन में शामिल हुआ। 2019 में हज्जा अल मंसूरी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले एमिराती बने, जो यूएई के स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत थी।

2020 में कोविड-19 आया, लेकिन यूएई ने तेजी से वैक्सीनेशन किया। 2020 में इजराइल के साथ राजनयिक संबंध बने। 2021 में होप प्रोब मार्स की कक्षा में पहुंचा, जो अरब दुनिया का पहला मिशन था। उसी साल दुबई एक्सपो 2020 शुरू हुआ, जो महामारी के बावजूद सफल रहा और दुनिया को दुबई में लाया। 2022 में शेख खलीफा का निधन हुआ, और शेख मोहम्मद बिन जायद राष्ट्रपति बने। शारजाह में रेगिस्तान में गेहूं की खेती शुरू हुई, जो खाद्य सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम है।

2023 में सुल्तान अल नेयादी ने छह महीने का स्पेस मिशन किया, और पहला अरब स्पेसवॉक किया। 2025 में दिरहम का नया प्रतीक लॉन्च हुआ, जो राष्ट्रीय ध्वज से प्रेरित है। तो दोस्तों यूएई का आधुनिक इतिहास दिखाता है कि कैसे एक रेगिस्तानी इलाका तेल, विजन और एकता से वैश्विक शक्ति बना। शेख जायद की दूरदर्शिता ने आधार रखा, और आज यूएई स्पेस, पर्यटन, वित्त और नवाचार में आगे है। भविष्य में यह और ऊंचाइयां छुएगा, जैसे चंद्र मिशन और सतत विकास। यह कहानी प्रेरणा देती है कि मेहनत से नियति बदली जा सकती है।

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