BJP के सारे खेल हुए फेल, इन नतीजों ने सभी को चौंका दिया!
बिहार के नतीजों की गूँज अभी शांत भी नहीं हुई थी कि दिल्ली से बीजेपी के लिए एक ऐसा झटका आ गया है...जिसे गोदी मीडिया हमेशा की तरह छुपाने की पूरी कोशिश करेगा.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार के नतीजों की गूँज अभी शांत भी नहीं हुई थी कि दिल्ली से बीजेपी के लिए एक ऐसा झटका आ गया है…जिसे गोदी मीडिया हमेशा की तरह छुपाने की पूरी कोशिश करेगा…लेकिन सच वही है जो जनता महसूस कर रही है….एमसीडी के उपचुनाव… सुनने में शायद आपको लगे कि इसमें क्या खास है?…
नगर निगम का चुनाव… बड़ी बात क्या है?…..लेकिन दोस्तों, दिल्ली में MCD का मतलब सिर्फ एक नगरपालिका नहीं है…ये है दिल्ली की धड़कन…दिल्ली की सफाई, सड़कें, नालियाँ, पानी, स्थानीय समस्याएँ, हर रोज का कामकाज…सब कुछ MCD देखती है…और इस वक्त दिल्ली में तीनों स्तरों पर बीजेपी की सरकार है….केंद्र में बीजेपी की सरकार, राज्य में बीजेपी की सरकार, और MCD भी बीजेपी के कब्जे में…
लेकिन इसी मजबूत गढ़ में….इसी राजधानी के दिल में…बीजेपी को एक ऐसा झटका लगा है…जो आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी हो सकता है…आज MCD उपचुनाव के फाइनल नतीजे आ गए हैं…जहां कुल 12 वार्डों की सीटों पर चुनाव हुआ…और नतीजा क्या रहा?…ऐसे माहौल में बीजेपी का अपनी ही जीती हुई सीटें हार जाना…साफ तौर पर एक चिंता का विषय है…
मोदी मीडिया शायद इसे न दिखाएँ, लेकिन सच्चाई यही है कि दिल्ली MCD उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए चेतावनी की घंटी हैं…कुल बारह वार्डों पर चुनाव हुए, और इसमें बीजेपी ने सात सीटें जीतीं…आम आदमी पार्टी ने तीन सीटें हासिल की…कांग्रेस को एक सीट मिली और एक सीट एक निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई…..पहली नज़र में बीजेपी की सात सीटें जीतना एक आपको जीत लग सकती है…लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती…इन सात सीटों के बावजूद बीजेपी ने दो सीटें खोई हैं….वही सीटें जो पहले उसके पास थीं…यानी सत्ताधारी पार्टी अपनी पुरानी जीत को बरकरार रखने में विफल रही…यही बात इस नतीजे को दिलचस्प और चिंताजनक बनाती है…
ये वही दिल्ली है जहां इसी साल विधानसभा चुनाव हुए थे और बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की थी…आम आदमी पार्टी की साफ़ हार हुई थी और अरविंद केजरीवाल अपनी सीट तक हार गए थे…पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था और उन्हें ऐतिहासिक जीत मिली थी…और लगभग दो दशकों बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी थी…ऐसे में ये और भी हैरान करने वाली बात है कि कुछ ही महीनों बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी अपनी ही सीटें हारने लगी….
आम आदमी पार्टी ने इन उपचुनावों को बेहद गंभीरता से लिया…आम आदमी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पूरे दमखम के साथ प्रचार किया…जिसका फायदा इस नतीजे में साफ दिखा कि आम आदमी पार्टी तीन सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी का संकेत देने में सफल रही…दोस्तों, भले ही ये जीत बड़ी नहीं है…लेकिन उनकी रणनीति और संगठन दोनों मजबूत दिखे…उपचुनावों में आम आदमी पार्टी का बाउंस बैक ये साबित करता है कि पार्टी अभी भी दिल्ली की राजनीति में मौजूद है और उसके वोटर पूरी तरह गायब नहीं हुए हैं…
वहीं कांग्रेस, जो दिल्ली की राजनीति में पूरी तरह से गायब होती जा रही है…उसके लिए एक सीट भी राहत और संतोष का कारण बन सकती है…क्योंकि, राजधानी जैसे महत्त्वपूर्ण राज्य में एक भी जीत उनके लिए मनोबल बढ़ाने वाली है….निर्दलीय उम्मीदवार का जीतना भी दिलचस्प है….क्योंकि ये दिखाता है कि स्थानीय मुद्दों पर लोगों का झुकाव कई बार पार्टी की बजाय व्यक्ति पर केंद्रित हो जाता है…
ऐसे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वह अपनी जीती हुई दो सीटें नहीं बचा सकी…….हालांकि, अगर ये उपचुनाव विधानसभा चुनाव के दो साल बाद होता…तो इसे सामान्य उतार-चढ़ाव माना जा सकता था…लेकिन ये तो उसी साल के अंत में हुआ…जिसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी…ये अचानक आया बदलाव संकेत देता है कि दिल्ली की जनता कुछ ही महीनों में अपने रहन-सहन की समस्याओं को लेकर असंतुष्ट हो चुकी है….दिल्ली में प्रदूषण की वजह से जो हालात हैं…जो जहरीली हवा इस वक्त लोगों का दम घोड रही है…वो हम सभी देख ही रहे हैं……………..
दिल्ली की समस्याओं को समझने के लिए आप सिर्फ़ राजधानी के गांवों और घनी आबादी वाले इलाकों में झाँक कर देख लें…तो राजधानी के कई क्षेत्रों में अभी भी भीड़भाड़, गंदगी और असुविधाएँ चरम पर हैं…दिल्ली की सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहां लोग मुद्दों पर वोट करते हैं…यही कारण है कि कई बार प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी जनता ने वोट किया है और सरकार बदल दी है……वो ही लोग जिन्होंने विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को सबक सिखाया था…..अब कुछ महीनों बाद MCD उपचुनाव में बीजेपी को संकेत दे रहे हैं….
ये संकेत चाहे जैसा समझें…..लेकिन इतना तो तय है कि आम आदमी पार्टी ने अपनी कमबैक क्षमता दिखा दी है…….लोग जानते हैं कि उपचुनाव में उस पार्टी को फायदा होता है जिसकी राज्य में सरकार होती है…..क्योंकि पार्षद या वार्ड का नेता अगर सत्तारूढ़ दल का हो….तो वो स्थानीय स्तर पर ज्यादा काम करा सकता है……इसके बावजूद अगर आम आदमी पार्टी को लोग तीन सीटें दे रहे हैं….तो इसका मतलब है कि जनता का एक हिस्सा अभी भी उन पर भरोसा रखता है…..यही भरोसा बीजेपी के लिए चुनौती बन रहा है…..
इस सबके पीछे दिल्ली का प्रदूषण एक और बड़ा मुद्दा है….चाहे मीडिया इसे दिखाए या छुपाए…लेकिन दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण अब जानलेवा स्थिति में पहुँच चुका है….राजधानी में रहना अब लोगों के लिए मजबूरी है…….यहां तक कि दिल्ली में प्रदूषण की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि छोटे बच्चे तक चेस्ट कंजेशन, टॉन्सिल और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं…..क्योंकि, हवा जहरीली है और हालात हर साल और बदतर होते जा रहे हैं….दोस्तों, ये वही प्रदूषण है जिसे लेकर मोदी जी ने विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी को घेरा था….उन्होंने कहा था कि दिल्ली को इस हालत में पहुँचाने के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं….
लेकिन सवाल ये है मोदी जी कि अब MCD से लेकर राज्य और केंद्र तक सत्ता में बीजेपी ही है….फिर प्रदूषण का समाधान क्यों नहीं दिख रहा?…..अब तो पंजाब में पराली भी नहीं जल रही, दिवाली भी बीत चुकी है….तो अब क्या बहाना है?………..यहां तक कि अब तो बीजेपी नेता रह चुकीं पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी भी लगातार दिल्ली की जहरीली हवा के खिलाफ आवाज उठाते हुए पीएम मोदी से सवाल पूठ रही हैं………..दरअसल, इस पूरे परिदृश्य में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती शासन और उसकी गुणवत्ता है….
जनता अभी भी देख रही है कि क्या बीजेपी अपने किए वादों पर खरा उतर पा रही है या नहीं?…..क्योंकि, MCD की हारती हुई सीटें कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं…..दिल्ली की समस्याएं…..चाहे वो सफाई की हो, पानी की हो या प्रदूषण की समस्याएं अगर यूं ही जारी रहीं…..तो ये आने वाले महीनों में बीजेपी के लिए और बड़ी परेशानी बन सकती हैं….क्योंकि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ जनता पहले ही सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कर चुकी है….
ऐसे में आम आदमी पार्टी भले ही कमजोर स्थिति में हो…लेकिन उसने साबित कर दिया कि वो अपनी संगठन क्षमता से एक बार फिर से अपनी पुरानी ताकत हासिल कर सकती है….क्योंकि, कांग्रेस जहां ढूँढने पर भी नहीं मिलती….वहां आम आदमी पार्टी लगातार एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा रही है और यही दिल्ली की राजनीति में संतुलन बनाए हुए है…..MCD उपचुनाव के इन नतीजों से बीजेपी को संकेत मिल चुका है कि जनता कुछ महीनों के अंदर प्रतिक्रिया देने में सक्षम है और दिल्ली जैसी जागरूक जगह में शासन को हल्के में नहीं लिया जा सकता…. ये अब बीजेपी पर निर्भर करता है कि वो इन संकेतों को सुनती है या अनदेखा करती है….क्योंकि अगले कुछ महीनों में इसी जनता को फिर से अपने वोट की ताकत दिखानी है………



