पिंपरी चिंचवड में अजित पवार ने शरद पवार से मिलाया हाथ, बीजेपी की हालत खराब!
महाराष्ट्र में BMC चुनाव से पहले राज्य का सियासी पारा सातवें आसमान पर है। सभी दलों के नेता अपने खेमों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महाराष्ट्र में BMC चुनाव से पहले राज्य का सियासी पारा सातवें आसमान पर है। सभी दलों के नेता अपने खेमों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं साथ ही लगातार वोटरों को साधने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं भी कर रहे हैं।
ऐसे में नेताओं के पाला बदलने और गठबंधन की खबरें भी सामने आने लगी हैं। जिसे लेकर महाराष्ट्र में अटकलों का बाजार गर्म है। दरअसल एक ऐसे गठबंधन का ऐलान हुआ है जिसके बाद महाराष्ट्र में अटकलों का बाजार गर्म है और महायुति में हलचल सी मच गई है।
दरअसल डिप्टी सीएम अजित पवार ने पिंपरी-चिंचवड में अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP(SP) से गठबंधन करने की घोषणा की है। NCP का विभाजन होने के 2 साल बाद दोनों पार्टियों ने पहली बार हाथ मिलाया है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा, “पिंपरी चिंचवड नगर निगम चुनावों में ‘घड़ी’ और ‘तुरहा’ एक हो गए हैं। परिवार एकजुट हो गया है।”
अजित पवार की NCP का चुनाव चिह्न घड़ी और शरद पवार की NCP(SP) का चुनाव चिह्न तुरहा है। पार्टी के विभाजन से पहले NCP का चुनाव चिह्न घड़ी ही था, लेकिन दो साल पहले दोनों पार्टियां अलग हुईं तो चुनाव आयोग ने ‘घड़ी’ का चुनाव चिह्न अजित पवार की NCP को दे दिया और शरद पवार ने पार्टी का नया चुनाव चिह्न ‘तुरहा’ को चुना।
चाचा-भतीजे की जोड़ी 2 साल बाद एक-साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। 2023 में पार्टी टूटने के बाद अजित पवार बीजेपी के नेतृ्त्व वाली महायुति में शामिल हो गए थे। वहीं, शरद पवार के गुट ने विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी से हाथ मिला लिया था।
पुणे को पवार परिवार का गढ़ कहा जाता है। वहीं, BMC के बाद पिंपरी चिंचवड नगर निगम को सबसे समृद्ध माना जाता है। 2017 से यहां NCP का कब्जा रहा है। यही वजह है कि पार्टी टूटने के बाद भी इस सीट पर अजित पवार और शरद पवार ने एक-साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसी बीच चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार ने सभी कार्यकर्ताओं को कड़ी मेहनत करते हुए किसी भी तरह की विवादित टिप्पणी न करने का आदेश दिया है।
अजित पवार ने कहा, “कई लोगों ने इस नगर निगम को कर्ज में डुबा दिया, हम उन लोगों को बाहर का रास्ता दिखा देंगे। हम लोगों के विकास के लिए काम करेंगे।” पिपंरी-चिंचवाड़ और पुणे समेत महाराष्ट्र के 29 नगर निगम में 15 जनवरी को मतदान होंगे। इसके नतीजे अगले दिन यानी 16 जनवरी को जारी किए जाएंगे। वहीं, नामांकन करने की आखिरी तारीख 30 दिसंबर निर्धारित की गई है।
अजित पवार और शरद पवार के गठबंधन पर कई सियासी हस्तियों ने प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया है। भाजपा नेता नवनीत राणा के अनुसार, “अजित पवार, शरद पवार के ही कहने पर भाजपा में शामिल हुए थे। हमें खुशी है कि वो एकजुट हो गए हैं। मुझे उम्मीद है कि शरद पवार भी जल्द महायुति में शामिल हो जाएंगे।” एकनाथ शिंदे की पार्टी ने इस गठबंधन की आलोचना करते हुए कहा, वो बेशक एक-साथ आ सकते हैं, लेकिन लोग पवार नाम पर मतदान नहीं करेंगे।
महाराष्ट्र में नाम की राजनीति अब नहीं चलेगी। पिंपरी चिंचवड नगर निगम पर बीजेपी ने पिछली बार जीत दर्ज की थी। ऐसे में यहां पर मुकाबला एनसीपी (शरद-अजित) बनाम बीजेपी होगा। महाराष्ट्र की राजनीति में नए घटनाक्रम पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने निशाना साधा है। राउत ने कहा है कि अजित पवार को बीजेपी को जवाब देना होगा कि बीजेपी जिस शरद पवार से लड़ रही है। वह उनके साथ गठबंधन कर रहे हैं। राउत ने आगे कहा कि जवाब अमित शाह और शरद पवार को देना होगा।
दरअसल बारामती में उद्योगपति गौतम अडानी की मौजूदगी में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के साथ मंच साझा किया था। इस कार्यक्रम के बाद अजित पवार ने ऐलान किया था कि परिवार एक साथ आ रहा है। अजित पवार ने पिंपरी चिंचवड़ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चुनावों के लिए शरद पवार गुट के साथ गठबंधन की घोषणा की थी। उन्होंने संकेत दिए थे कि जल्द ही सीट-बंटवारे पर समझौता होगा। एनसीपी के दो फाड़ होने और अजित पवार के बीजेपी के साथ जाकर डिप्टी सीएम बनने के बाद यह पहला मामला है। जब एनसीपी के दो खेमे एक साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे। अजित पवार ने यह घोषणा पार्टी उम्मीदवारों के लिए तलवडे में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए की थी। उन्होंने कहा था कि पिंपरी चिंचवड़ में, एनसीपी घड़ी के चुनाव चिन्ह वाली पार्टी और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) तुरही के चुनाव चिन्ह वाली पार्टी नगर निगम चुनाव गठबंधन में लड़ेंगी।
अजित पवार ने कहा था कि एक परिवार एक साथ आ रहा है क्योंकि बहुत से लोग ऐसा चाहते थे। उन्होंने कहा था कि हम एक किसान परिवार से आते हैं। खेती हमारी जाति है। महाराष्ट्र के बड़े हित में कुछ फैसले लेने होंगे। यह दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की पहली आधिकारिक घोषणा है, जबकि पुणे सहित अन्य नगर निगमों में गठबंधन के लिए बातचीत जारी है। रैली के दौरान, पवार ने वार्ड 12 के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा की, जहां अविभाजित एनसीपी ने 2017 के चुनावों में सभी चार सीटें जीती थीं। उम्मीदवार पंकज भालेकर, शरद भालेकर, सीमा भालेकर और चारुलता सोनवणे हैं। गौरतलब हो कि अजीत पवार के नेतृत्व में पहले 1992 और 1999 के बीच कांग्रेस और फिर अविभाजित एनसीपी ने 1999 और 2017 के बीच पिंपरी चिंचवड़ पर शासन किया। बीजेपी ने 2017 में 128 सीटों में से 77 सीटें जीतकर नगर निकाय पर नियंत्रण कर लिया, जबकि एनसीपी दूसरे स्थान पर रही।
वहीं एक तरफ जहां इस गठबंधन की चर्चा हो रही है तो दूसरी तरफ एक और गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। दरअसल उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बीच पुणे महानगर पालिका के लिए गठबंधन का आधिकारिक ऐलान हो गया है. दोनों पार्टियां मिलकर नगर निगम चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस नेता सतेज पाटिल और शिवसेना (यूबीटी) के नेता सचिन अहीर ने ऑफिशियल घोषणा की. सचिन अहीर ने बताया कि 60 सीट पर कांग्रेस और 45 सीट पर उद्धव गुट चुनाव लड़ेगी. बाकी सीटों पर फिर से चर्चा होगी. बता दें कि पुणे महानगर पालिका में कुल 165 सीटें हैं. सचिन अहीर ने कहा, “एक फॉर्मूला डिसाइड हुआ है जिसमें पहले 45 जगहों पर हम और कांग्रेस 60 जगहों पर AB फॉर्म दे रहे हैं. हमारे जो घटक पक्ष हैं उनके साथ भी सकारात्मक चर्चा चल रही है.
इसके साथ ही पिंपरी-चिंचवड में दोनों एनसीपी के साथ आने पर शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, “मेरा तो ये कहना है कि ये बीजेपी की स्ट्रैटजी है कि विपक्ष का स्पेस ही नहीं रहे. इसलिए लड़ाने का काम किया. ये तो मुख्यमंत्री ने खुद मान्य किया. ये सोची समझी साजिश है और मतदारों को तय करना है कि किसे साथ देना है.” सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “राज्य के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री दोनों सत्ता में रहकर भी कायदा-कानून, ट्रैफिक की समस्या और भ्रष्टाचार को ठीक नहीं कर पाए, ये किस मुंह से पुणेकर के पास जाएंगे?” गौरतलब है कि महाराष्ट्र में मुंबई महानगर पालिका और पुणे महानगर पालिका सहित सभी 29 महानगर पाकिला के लिए 15 जनवरी को वोटिंग होगी और वोटों की गिनती 16 जनवरी को होगी.
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 दिसंबर है. पुणे में अविभाजित एनसीपी का साल 2007 से 2017 तक दबदबा रहा. लेकिन 2017 के चुनावों में बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की और एनसीपी मुख्य विपक्षी दल बन गई. अब देखना ये होगा कि इस बार का BMC चुनाव किसके पाले में जाने वाला है। अभी मौजूदा समय में जिस तरह का माहौल है इससे बजे चौतरफा घिरती हुई नजर आ रही है। खैर ये आने वाले चुनावी नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि किसकी रणनीति कितना काम आएगी और किस दल पर जनता अपना भरोसा जता पाएगा।



