20,000 करोड़ रुपए से बनेगा नया PM आवास! लागत बताने से सरकार ने किया इनकार

देश में जब महंगाई रिकॉर्ड तोड़ रही हो...युवा बेरोज़गारी से जूझ रहे हों

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देश में जब महंगाई रिकॉर्ड तोड़ रही हो…युवा बेरोज़गारी से जूझ रहे हों…किसान कर्ज़ में डूबे हों और आम आदमी हर महीने का हिसाब जोड़ने में पसीना बहा रहा हो.

उसी देश में एक नया प्रधानमंत्री आवास बनने जा रहा है…जिसकी अनुमानित लागत बताई जा रही है…करीब 20,000 करोड़ रुपये…जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने….लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती…सबसे बड़ा सवाल तो अब शुरू होता है….दोस्तों, जब इस आवास की लागत पर सरकार से सवाल पूछा गया…तो सरकार ने साफ-साफ कह दिया कि हम ये जानकारी नहीं देंगे….जी हां, देश के प्रधानमंत्री के लिए बन रहे इस नए आवास पर कितना पैसा खर्च होगा…कैसे खर्च होगा…किसे ठेका मिलेगा…ये सब जानना सरकार के मुताबिक, राष्ट्रीय हित के खिलाफ है…अब जरा रुकिए और सोचिए, क्या अपने ही पैसे का हिसाब मांगना…अब देशद्रोह हो गया है?…

BBC की ये रिपोर्ट देखिए…जिसमें लिखा है….सरकार के मुताबिक, पूरी परियोजना की लागत का ‘मोटा-मोटी अनुमान’ 20,000 करोड़ रुपये है….फिर भी सरकार ने सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) 2005 के तहत किए गए वास्तविक खर्च का विवरण देने से इनकार किया है…ये प्रोजेक्ट 2026 में पूरा हो जाएगा…सरकार ने इस प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने को लेकर इसी साल संसद में बयान दिया था…लागत बढ़ने के पीछे जीएसटी दरों में बढ़ोतरी, स्टील की कीमत और अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था समेत कई चीजों का हवाला दिया गया था…आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने संसद की नई इमारत और उपराष्ट्रपति के आवास का ज़िक्र किया…जहाँ विशेष तौर पर लागत में इज़ाफा देखा गया…प्रधानमंत्री के नए आवास के बारे में बहुत कम जानकारी है…….

बीबीसी ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक आवेदन दिया…पहले हिस्से में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी जानकारी शामिल थी…इसमें प्रोजेक्ट के लिए अभी तक अनुमानित प्रोजेक्ट आंकड़े, 30 सितंबर 2025 तक किया गया…कुल खर्च, स्वीकृत टेंडरों की सूची, उनके कामों के नाम, टेंडर हासिल करने वाले ठेकेदारों/एजेंसियों के नाम और हर काम की लागत जैसी जानकारी मांगी गई थी…इसके साथ ही ये भी देखिए…जिसमें लिखा है कि…24 अक्टूबर 2025 को अपने जवाब में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने कहा कि परियोजना के खर्च, पूरा होने की तारीख और जारी किए गए टेंडरों से जुड़े सवाल इस कार्यालय से संबंधित नहीं हैं….सभी सेंट्रल विस्टा परियोजनाओं की निगरानी करने वाला यह विभाग आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के तहत आता है….यही नहीं…प्रधानमंत्री आवास से जुड़े बिंदुओं पर CPWD का जवाब था कि…जिस कार्य का विवरण मांगा गया है…वो सीक्रेट कैटेगरी का है…इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती….

सोचिए, जब देश में महंगाई आसमान छू रही हो…बेरोज़गारी युवाओं की कमर तोड़ रही हो और आम आदमी दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहा हो…तब सरकार के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए?…जवाब साफ है जनता……..लेकिन मौजूदा हालात में ऐसा लगता है कि प्राथमिकता जनता नहीं….सत्ता का वैभव बन चुका है…खबर है कि नया प्रधानमंत्री आवास करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा……20,000 करोड़ रुपये…दोस्तों, ये कोई छोटी रकम नहीं है…इस रकम से देश में हजारों सरकारी स्कूलों की हालत सुधारी जा सकती थी…लाखों गरीब परिवारों को पक्का घर मिल सकता था…सरकारी अस्पतालों में ICU और दवाइयों की कमी खत्म हो सकती थी…बेरोजगार युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा किया जा सकता था…लेकिन सरकार ने तय किया कि ये पैसा जाएगा सत्ता के केंद्र की भव्यता पर….

मोदी सरकार खुद को गरीबों की सरकार कहती है…सबका साथ, सबका विकास का नारा देती है…और प्रधानमंत्री आवास योजना के पोस्टर हर जगह लगाए जाते हैं…लेकिन जमीनी सच्चाई क्या है?….आज भी देश में लाखों परिवार कच्चे घरों में रहते हैं…कई लोगों के आवेदन सालों से लटके हुए हैं…कई जगह भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं…और उसी वक्त प्रधानमंत्री के लिए 20,000 करोड़ का नया महलनुमा आवास?…दोस्तों, ये सवाल प्रधानमंत्री के पद का अपमान नहीं है…ये सवाल है प्राथमिकता का…क्या एक लोकतांत्रिक देश में शासक का वैभव…उसका Comfort जनता की तकलीफ से बड़ा हो सकता है?……..

यूं तो सरकार कहती है कि ये राष्ट्रीय संपत्ति है….ठीक है, मान लिया कि ये राष्ट्रीय संपत्ति है…तो फिर इसकी लागत राष्ट्रीय जनता से छिपाई क्यों जा रही है?…अगर सब कुछ नियमों के मुताबिक है..अगर कोई गड़बड़ी नहीं है…तो डर किस बात का?…RTI के तहत जब पूछा गया कि इस आवास की लागत क्या है?..डिज़ाइन कौन कर रहा है?…ठेका किसे मिला है?…तो जवाब आया कि जानकारी देना राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ है…अब जरा सोचिए….क्या सीमेंट का बिल राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है?…क्या टाइल्स और फर्नीचर देश की सीमाओं को खतरे में डाल देंगे?…या फिर सच बताने से सरकार की छवि को खतरा है?

ये पहली बार नहीं है…सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट तो आपको याद ही होगा…जिसमें लागत बढ़ती गई…लेकिन जवाब साफ नहीं मिले….बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में जमीन गई, पैसा गया, लेकिन पारदर्शिता नहीं आई…डिफेंस डील्स को लेकर सवाल उठे….लेकिन जवाब गायब रहा और अब प्रधानमंत्री आवास सवालों के घेरे में है………..आम आदमी जब घर बनाता है…तो हर ईंट का हिसाब रखता है…बैंक से लोन लेता है, EMI भरता है, ब्याज चुकाता है….लेकिन जब आम आदमी के टैक्स से प्रधानमंत्री का घर बनता है…तो आम आदमी को जानने का भी हक नहीं?

मोदी जी अक्सर कहते हैं…….मैं चौकीदार हूं…तो सवाल है चौकीदार किससे छिप रहा है?……सरकार के समर्थक कहते हैं कि प्रधानमंत्री का पद देश की शान है…उसके लिए भव्य आवास जरूरी है…लेकिन इतिहास गवाह है…इस देश के प्रधानमंत्रियों ने सादगी में रहकर भी देश को मजबूती दी है…देश की ताकत उसके नेताओं के घरों से नहीं…उसकी जनता के हौसले से मापी जाती है…आज देश का युवा पूछ रहा है…नौकरी कहां है?…किसान पूछ रहा है….फसल का सही दाम कहां है?…महिला पूछ रही है कि महंगाई से राहत कब मिलेगी?…और सरकार जवाब देने के बजाय एक आलीशान आवास में खुद को सुरक्षित कर रही है….

और लागत बताने से इनकार सिर्फ जानकारी छिपाना नहीं है…ये लोकतंत्र की आत्मा पर चोट है….जिसे लेकर जनता ने कहा कि….लोकतंत्र में सरकार मालिक नहीं होती….सरकार सेवक होती है और सेवक अपने खर्च का हिसाब मालिक को देता है…मोदी सरकार कांग्रेस के दौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है…लेकिन आज जब खुद सरकार सवालों के घेरे में है…तो वही सरकार जवाब देने से भाग रही है….क्या यही न्यू इंडिया की ईमानदारी है?…सरकार कहती है कि सुरक्षा कारणों से जानकारी नहीं दी जा सकती…लेकिन दुनिया के कई लोकतांत्रिक देशों में राष्ट्राध्यक्षों के आवास की लागत सार्वजनिक होती है…तो भारत में ही ये गोपनीयता क्यों?…

आज ये मुद्दा सिर्फ एक इमारत का नहीं है….ये मुद्दा है…जनता और सत्ता के रिश्ते का…अगर आज सरकार 20,000 करोड़ का हिसाब नहीं देगी…तो कल और बड़े फैसलों पर भी सवाल पूछने से रोका जाएगा…आज जरूरत है कि सरकार प्रधानमंत्री आवास की पूरी लागत सार्वजनिक करे…टेंडर प्रक्रिया बताए, ठेकेदारों के नाम बताए, हर रुपये का हिसाब दे। यही सच्चा राष्ट्रवाद है…यही असली पारदर्शिता है…अगर सरकार को अपने फैसलों पर भरोसा है, तो सवालों से डर कैसा?…और अगर डर है…तो समझिए कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है…

20,000 करोड़ का नया पीएम आवास सिर्फ एक खबर नहीं है…ये एक चेतावनी है…लोकतंत्र के लिए, पारदर्शिता के लिए, और जनता के अधिकारों के लिए…क्योंकि ये पैसा किसी पार्टी का नहीं है….किसी नेता का नहीं है….ये पैसा आपका है…मेरा है….देश के हर नागरिक का है.

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