बीजेपी की मुसीबत बनेगी बेरोजगारी, महंगाई और कोरोना!

2017 की तर्ज पर इस बार भी भाजपा खेलेगी जातियों का ट्रंपकार्ड

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का चुनाव पार्टियों से ज्यादा सामुदायिक समूहों में सिमटता जा रहा है लेकिन इस प्रकार की गोलबंदी का सियासी परिणाम क्या रंग लाएगा, ये तो दस मार्च को पता चलेगा। महंगाई, कोरोना और बेरोजगारी के मुद्दे भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं। ये बातें निकलकर सामने आई वरिष्ठï पत्रकार अजय शुक्ला, हरजिंदर सिंह, उमाकांत लखेड़ा, सीपी राय, प्रो. लक्ष्मण यादव, प्रो. रविकांत और वरिष्ठï पत्रकार अभिषेक कुमार के साथ लंबी परिचर्चा में।
प्रो. रविकांत ने कहा, भाजपा ने दलितों पर काम किया है। करीब 59 जाति है। मायावती ने जहां छोड़ा, वहां विस्तार नहीं किया। भाजपा ने उन जातियों का फायदा उठाया और बीते सालों में अपने पाले में शामिल किया, मगर इस बार लोगों में नाराजगी है। प्रो. लक्ष्मण यादव ने कहा जाति के समीकरण पर टिकट दिया जाता है। शीर्ष नेतृत्व अभी यही कर रहा है। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने जातियों को गोलबंद कर हिंदुत्व पर फोकस रखा और इसका 2017 में फायदा मिला। मगर इस बार परिणाम अलग दिखेगा। उमाकांत लखेड़ा ने कहा बीजेपी जब सत्ता से बाहर थी तो सभी का साथ छूटा लेकिन जब मोदी का कार्यकाल हुआ, तब जातियों की बेडिय़ा टूटी और एससी, ओबीसी सभी जातियां बीजेपी के पाले में आ गयी। इसका फायदा भी मिला। उसी कार्ड को इस चुनाव में भी बीजेपी खेलेगी। हरजिंद सिंह ने कहा इस बार समीकरण पलट रहा है। बेरोजगारी, महंगाई और कोरोना की मार को लेकर लोगों में गुस्सा है, ऐसे में बीजेपी के खिलाफ गोलबंदी बहुत बड़ी हो गई है।
सीपी राय ने कहा बीजेपी हिंदुत्व के मुद्ïदे पर आगे बढ़ी, 91 के चुनाव में इसका फायदा भी मिला। मगर अब परिस्थितियां बदल गई है। 10 मार्च के बाद परिणाम खुद बताएगा कि बीजेपी का खेल कैसा रहा। अजय शुक्ला ने कहा महीने भर बाद चुनाव है तो ये कहना जल्दबाजी होगी कि जातियों का समीकरण किस कदर बिगड़ेगा। जातियां जिसकी भी सरकार बनाएगी, बहुमत से बनेगी।

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