संजय शर्मा की रिट पर एनजीटी ने यूपी-बिहार के चीफ सेक्रेटरी और भारत सरकार के तीन सचिवों को किया तलब

  • कोरोनाकाल के दौरान शवों को गंगा में फेंकने का मामला
  • 10 अप्रैल को पेश होने का आदेश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। गंगा में कोरोना काल के दौरान शव फेंकने के मामले मेें नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश व बिहार सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने इस पर दायर याचिका पर सरकारों द्वारा जवाब न देने पर दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को 10 अप्रैल को पेश होने का आदेश दिया है। इसके अलावा भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण सचिव और सचिव जल शक्ति मंत्रालय के साथ निदेशक क्लीन गंगा को भी उसी दिन कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है।

4PM  के संपादक संजय शर्मा ने उठाया था मुद्दा

गौरतलब हो कि यह याचिका 4PM के संपादक संजय शर्मा ने एनजीटी में दायर की थी। उन्होंने इस याचिका में कहा था कि कोरोना काल में यूपी और बिहार के सरकारों ने बेहद लापरवाही बरती और लाशों को गंगा के तट पर फेंक दिया जिससे पर्यावरण को भारी नुक़सान हुआ। यह गंगा के तटों को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अवहेलना है। इससे पहले 16 मई 2022 को एनजीटी ने यूपी और बिहार के मुख्य सचिव के साथ भारत सरकार के अधिकारियों को भी इस मामले में अपना शपथ पत्र देने को कहा था मगर शपथ पत्र दाखि़ल नहीं हुआ। इस पर एनजीटी ने गहरी नाराजग़ी व्यक्त करते हुए इन अफ़सरों की व्यक्तिगत पेशी का आदेश जारी कर दिया।

सरकार को भेजी थी कॉपी

4PM के संपादक संजय शर्मा ने 24 मई 2021 को एनजीटी में सारे सबूतों के साथ याचिका दाखिल की थी। इसकी कॉपी बाकायदा यूपी के तत्कालिक मुख्य सचिव को भी दी गयी थी जिसमें कहा गया था कि कोरोना के चलते नदी में शवों को प्रवाहित करने और इनके तटों पर शवों को दफनाने से नदियों का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। साथ ही इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी। बावजूद इसके तब सरकार ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया था। हैरानी की बात यह है कि केंद्र सरकार तक ने संसद में बताया था कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कितने शवों को गंगा में बहाया गया। हालांकि केंद्र ने कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ शवों का उचित तरीके से अंतिम संस्कार करने के लिए राज्यों को कहा था।

एनजीटी ने पूछा था-कितनी लाशें तैर रही थीं

राष्ट्रीय  हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारों को निर्देश दिया था कि वे गंगा नदी पर तैरते हुए पाए गए मानव शवों की संख्या के साथ-साथ दोनों राज्यों में नदी पर दफन किए गए शवों की संख्या के बारे में सूचित करें।

जस्टिस अरुण कुमार त्यागी की पीठ का आदेश

जस्टिस अरुण कुमार त्यागी की पीठ ने एक विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद के साथ यह आदेश 21 फरवरी 2023 को दिया। इससे पहले पीठ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), और यूपी और बिहार दोनों सरकारों को तथ्यात्मक सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। खंडपीठ ने उन शवों की संख्या के बारे में पूछा, जिनके दस्तावेज गंगा नदी में तैर रहे थे और उन शवों की संख्या जो उक्त राज्यों में 2018 और 2019 में कोविड-19 से पहले नदी तल पर दफनाए गए थे।

स्थायी तंत्र बनाने का आग्रह भी किया था

वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने अपनी याचिका में कोविड से संक्रमित शवों के निपटान के लिए उचित कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने व एक स्थाई तंत्र बनाने की मांग की थी। उनके आग्रह पर एनजीटी ने निर्देश दिया था कि वे नदियों में शवों के निपटान को विनियमित करने के लिए स्थायी तंत्र तैयार करें, और मृतक को एक सभ्य दफन और दाह संस्कार के मौलिक अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए श्मशान घाट का सहारा लेने के लिए प्रोत्साहित करें। वहीं नदी के तल के पास रहने वाले लोगों की उचित और पूर्ण स्वास्थ्य जांच व उपचार के निर्देश भी दिए।

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