भाजपा का मिलकर करेंगे सफाया

अखिलेश बोले-एनडीए अलीबाबा और 40 चोरों की तरह

  • जिस राज्य में जो क्षेत्रीय शक्ति मजबूत है, उसी के नेतृत्व में लोस चुनाव लड़ा जाए : रामगोपाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि सभी दल मतभेद भूलकर को भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए साथ आए हैं। सभी पार्टियां एकमत हैं उन्हें उनके लक्ष्य से अब कोई नहीं डिगा सकता है। सूबे में सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिहाज से यूपी में विपक्षी गठबंधन की कमान अपने पास रखना चाहती है।
इंडिया (समावेशी भारतीय राष्ट्रीय जनवादी गठबंधन) के बंगलुरु सम्मेलन में सबसे पहले इस बात पर सहमति बनी कि विभिन्न राज्यों में घटक दलों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इन मतभेदों को दरकिनार करते हुए भाजपा को हराने के लक्ष्य के साथ आगे बढऩा है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के भी संबोधन का फोकस यही था कि हम एक होकर आगे बढ़ेंगे। सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल ने कहा कि जिस राज्य में जो क्षेत्रीय शक्ति मजबूत है, उसी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाए। जाहिर है कि सपा गठबंधन सहयोगियों के बीच यूपी में सीटों के बंटवारे में अपना हाथ ऊपर रखना चाहती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एनडीए की तुलना कहानी अलीबाबा और 40 चोर से की। उन्होंने ट्वीट करके कहा-वो 2 और जोड़ लेते तो 38+2=40 पूरे हो जाते, सबने वो पुरानी कहानी तो सुनी होगी? अखिलेश ने कहा कि भारतीय इतिहास 18 जुलाई के दिन को देशभक्ति और सकारात्मक राजनीतिक के बंगलुरु आंदोलन के दिन के रूप में याद रखेगा। उन्होंने कहा कि देश की दो-तिहाई जनता भाजपा के खिलाफ है। इस बार भाजपा के सफाये के लिए सब एक हैं। चुनाव के साझा कार्यक्रम में यह कहना होगा कि हम जातिवार जनगणना के समर्थन में हैं। सत्ता मिलने पर यह करके दिखाएंगे, ताकि सबको उनकी आबादी के अनुपात में देश के संसाधनों में हिस्सा मिल सके। इंडिया के बंगलुरू में हुए दूसरे सम्मेलन में सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर सीधे कोई बातचीत नहीं हुई, लेकिन नेताओं ने अलग-अलग इन मुद्दों पर चर्चा जरूर की। माना जा रहा है कि यूपी में गठबंधन के तहत कांग्रेस 15-20 लोकसभा सीटों पर मान सकती है। शेष सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे की जिम्मेदारी सपा को सौंपी जा सकती है।

छोटे दलों का सम्मान कम न हो : जयंत

विपक्षी मोर्चा इंडिया के बंगलुरु सम्मेलन में जातिवार जनगणना पर भी सभी दल सहमत दिखे। रालोद ने गठबंधन कायम रखने के लिए छोटे दलों का भरोसा न तोडऩे की नसीहत बड़े दलों को दी तो अपना दल (कमेरावादी) ने ओबीसी हितों को आगे रखकर चुनाव मैदान में कूदने का सुझाव दिया। रालोद के जयंत चौधरी के मन में यह आशंका दिखी कि राष्ट्रीय  दल चुनाव से पहले छोटे क्षेत्रीय दलों का साथ तो ले लेते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनकी तरफ अपेक्षित ध्यान नहीं देते। सूत्रों के मुताबिक, जयंत ने बैठक में कहा कि बड़े दलों को यह प्रयास करना चाहिए कि उन पर भरोसा कायम रहे। ऐसा न हो कि चुनाव बाद छोटे दलों को साइड लाइन करने की कोशिश की जाए। अपना दल (कमेरावादी) के राष्ट्रीय  महासचिव पंकज निरंजन ने कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों की आकांक्षाओं पर इंडिया को खरा उतरना होगा।

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