विदेशी ताकतों की साजिश का पर्दाफाश, अडानी समेत कुछ उघोगपतियों को निशाना बनाने की साजिश

  • सोरोस समर्थित संगठन ओसीसीआरपी कर सकता है बड़ा खुलासा

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश के सबसे प्रमुख कॉर्पोरेट ग्रुप अडानी समूह पर अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा अपनी रिपोर्ट में गड़बड़ी के आरोप लगाने के बाद अब ऐसा लगता है कि एक बार फिर एक विदेशी संगठन द्वारा भारत के कुछ अन्य कॉर्पोरेट घरानों के बारे में खुलासा करने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार, ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) यानी कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट देश के कुछ औद्योगिक घरानों के बारे में कुछ बड़े खुलासे कर सकता है। इस संगठन को जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसी इकाइयां वित्तपोषित करती हैं। स्वयं को एक खोजी रिपोर्टिंग मंच कहने वाला ओसीसीआरपी औद्योगिक घराने के बारे में रिपोर्ट या लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित कर सकता है। इसका गठन यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लातिनी अमेरिका में फैले 24 गैर-लाभकारी जांच केंद्रों ने किया है। संगठन को ई-मेल भेजकर सवाल पूछे गए, लेकिन उनकी तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है। वर्ष 2006 में स्थापित ओसीसीआरपी संगठित अपराध पर रिपोर्टिंग में विशेषज्ञता का दावा करता है। यह मीडिया घरानों के साथ साझेदारी के जरिये रिपोर्ट व लेखों को प्रकाशित करता है। संगठन की वेबसाइट के अनुसार, जॉर्ज सोरोस की इकाई ओपन सोसायटी फाउंडेशन उसे अनुदान देती है। सोरोस दुनियाभर में बदलावकारी विचारों को आगे बढ़ाने के लिये वित्त उपलब्ध कराने में आगे रहे हैं। जिन अन्य संगठनों से उसे अनुदान मिलता है, उसमें फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और ओक फाउंडेशन शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि खुलासे में संबंधित कॉरपोरेट घराने के शेयरों में निवेश करने वालों में विदेशी कोष के शामिल होने की बात हो सकती है।

अडानी पर हमले का सुनियोजित प्रयास

वहीं अगर ओसीसीआरपी के बारे में बात करें तो ऐसा लगता है कि यह हिंडनबर्ग की तरह अडानी पर हमला करने का एक सुनियोजित प्रयास है। इंटेलिजेंस ने इसको रिपोर्ट दिया है और हिंडनबर्ग पार्ट 2 का खुलासा किया है। जो कि एक एक असफल प्रयास है। वहीं ऐसा लगता है कि जिन लोगों को शुरू में हिंडनबर्ग रिपोर्ट से फायदा हुआ था, उन्होंने फिर से इसी तरह के हमलों की योजना बनाई है। जबकि हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निवेशकों को 30 हजार करोड़ का नुकसान हुआ, वो आम जनता का नुकसान था। संभव है कि दूसरे हमले यानी कि अगली रिपोर्ट का समय 29 अगस्त है, जो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और सेबी की रिपोर्ट सबमिट करने का दिन है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और सेबी की रिपोर्ट के माहौल को खराब करने के लिए ये प्लानिंग की जा रही है। इस पूरे एजेंडे में इंटरनेशनल लॉबी के अलावा भारत से भी कई एजेंट हैं जो इस हमले का समर्थन कर रहे हैं।

कॉर्पोरेट घराने की नहीं हुई पहचान

हालांकि, अभी तक कॉरपोरेट घराने की पहचान फिलहाल नहीं हो पाई है। लेकिन यह कहा जा रहा है कि एजेंसियां पूंजी बाजार पर कड़ी निगरानी रख रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च की इस साल 24 जनवरी की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर ऑडिट में धोखाधड़ी, शेयर मूल्य में गड़बड़ी करने और कर चोरों के पनाहगाह क्षेत्रों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया गया था। इससे समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। हालांकि, अडाणी समूह ने सभी आरोपों को आधारहीन बताते हुए उसे सिरे से खारिज कर दिया था।

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