सिद्धू और कैप्टन के बीच सुलह कराने आगे आईं सोनिया गांधी

नई दिल्ली। अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में चल रही तकरार कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। कांग्रेस कमेटी के सदस्यों से बात करने के बाद भी पार्टी के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को साथ लाना आसान नहीं लगता। यही वजह है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अब दोनों नेताओं के बीच सुलह का बीड़ा उठाया है।
सूत्रों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस कमेटी के पैनल को पहले ही बता चुके हैं कि वह कैबिनेट मंत्री या उपमुख्यमंत्री के तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ सीधे काम करने में सहज नहीं रहेंगे। माना जा रहा है कि भले ही सिद्धू सुनील जाखड़ को पीपीसीसी के नए अध्यक्ष के रूप में बदलने के इच्छुक होंगे, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध कर चुके हैं। पंजाब के दो बड़े चेहरों के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए 20 जून को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सोनिया गांधी खुद दोनों नेताओं और कुछ अन्य विधायकों से बातचीत करेंगी और इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगी। दोनों नेताओं के मूड को देखते हुए पार्टी सिद्धू को अगले चुनावों के लिए कैंपेन कमेटी का प्रधान बनाने जैसे अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती है। दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू की छवि हमेशा से क्राउड पुलर रही है, जिसका सीधा फायदा पार्टी को मिलता है। बता दें कि लगभग हर दूसरे दिन सोशल मीडिया पर पंजाब के मुख्यमंत्री पर निशाना साधने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस कमेटी के सदस्यों से मुलाकात के बाद से कोई ट्वीट नहीं किया है। उनका आखिरी ट्वीट 1 जून को हुआ था, जिस दिन उन्होंने दिल्ली में खडग़े पैनल से मुलाकात की थी।
नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा है कि विधानसभा चुनाव आने में एक साल से भी कम समय बचा है और अब तक मुख्यमंत्री का जनता और पार्टी नेताओं से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि बादल परिवार की छाया आज भी पंजाब सरकार पर दिख रही है। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावती रवैया दिखाया है, उससे लगता है कि पंजाब में कांग्रेस मुश्किलों में घिर गई है। सूत्रों के मुताबिक कमेटी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट को देखने के बाद ही सोनिया गांधी ने दोनों नेताओं समेत कई अन्य विधायकों को दिल्ली तलब किया है, ताकि पंजाब कांग्रेस में नेताओं के बीच चल रही तकरार को सुलझाया जा सके और विधानसभा चुनाव कराए जा सकें।

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