दिग्गजों के दबाव में हैं मप्र के सीएम: सिंघार
नेता प्रतिपक्ष बोले- सरकार में जनसंख्या के अनुपात में स्थान नहीं मिला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। प्रदेश की नवनियुक्त मोहन सरकार के मंत्रिमंडल को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने तंज कसा है। उनका कहना है कि मोहन सरकार में महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सदस्यों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थान नहीं दिया गया। कई वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह न दिए जाने पर भी सिंघार कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि उससे स्पष्ट हो गया कि पार्टी दिग्गजों के कितने दबाव में है।
तीन बार मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाकर नाम जुड़वाए और कटवाए गए। इनमें कई नेता ऐसे हैं जो मुख्यमंत्री से भी सीनियर हैं, ऐसे में निश्चित रूप से मुख्यमंत्री के लिए उनसे तालमेल बैठाना आसान नहीं होगा। उन्होंने मंत्रिमंडल के सभी साथियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपेक्षा करता हूं, मंत्रिमंडल के सभी सदस्य प्रदेश के विकास में सहभागी बनेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना कर सभी को चौंकाया था पर मंत्रियों के नाम पर जिस तरह की कवायद की गई। सिंघार ने कहा कि यहां तक तो ठीक पर शपथ वाले दिन तक कई नाम बदले गए। मंत्रियों के लिए कई फार्मूले बनाए गए। पर सब कुछ धरा रह गया। प्रदेश के कई इलाके मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व से वंचित रह गए। यहां तक की आदिवासी जिले धार को भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। मोदी सरकार 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देने के लिए विधेयक पारित कर दिया, लेकिन मंत्रिमंडल में मात्र चार महिलाओं को सदस्य बनाया गया, जबकि 9 महिला सदस्यों को मंत्री बनाया जाना था।
ब्राह्मण समाज के लोग नाराज
सिंघार ने कहा कि सबसे अधिक मतों से जीतने वाले रमेश मेंदोला को मंत्री न बनाकर कैलाश और उनके बीच में दरार पैदा कर दी गई। नौ बार से लगातार जीतने वाले कद्दावर विधायक गोपाल भार्गव को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाने से प्रदेश के ब्राह्मण समाज के लोग नाराज हैं। इसी तरह से भूपेंद्र सिंह बृजेंद्र प्रताप सिंह और जयंत मलैया आदि कद्दावर विधायकों को मंत्रिमंडल से दूर रखा गया, जिससे मोहन सरकार असंतुलित रहेगी।
वसुंधरा व गहलोत की योजना पर लगा ताला
जयपुर। राजस्थान की नई भजनलाल शर्मा सरकार ने पिछली गहलोत सरकार में शुरू की गई राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्न प्रोग्राम को 31 दिसंबर से समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, इस कार्यक्रम की अवधि 31 दिसंबर तक ही थी। इस कार्यक्रम की शुरुआत असल में बीजेपी की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समय की गई थी, जिसे युवा विकास प्रेरक नाम दिया गया था। इसके बाद सत्ता में आई तत्कालीन गहलोत सरकार ने नए नाम राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम की शुरुआत की। हालांकि, पुरानी योजना भी जारी रही, जिसमें करीब 150 वैकेंसी थी। वहीं, राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्न कार्यक्रम को गहलोत सरकार ने आगे बढ़ाते हुए करीब 2,500 की वैकेंसी निकाली। इसमें 2,000 यंग इंटर्न लिए गए। बाद में इनमें से 300 को निकाल दिया गया। चुनावी साल के बजट में गहलोत सरकार ने यंग इंटर्न की वैकेंसी को 2,500 और बढ़ाने का एलान किया। लेकिन ये भर्तियां हुई नहीं। सरकार में यंग इंटर्न को पहले छह-छह महीने का एक्सटेंशन दिया गया, फिर बाद में इसे तीन-तीन महीने कर दिया गया।
नये साल में मिला बेरोजगारी का गिफ्ट : डोटासरा
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने नए साल से पहले हजारों राजीव गांधी युवा मित्रों का इंटर्नशिप कार्यक्रम समाप्त कर उन्हें बेरोजगारी का गिफ्ट दिया है। अगर भाजपा की राजनीतिक दुर्भावना सिर्फ नाम से थी, तो वो नाम बदल देते लेकिन युवाओं को बेरोजगार क्यों किया? जबकि पिछली भाजपा सरकार में पंचायत सहायकों की नियुक्ति हुई थी। हमारी सरकार आने पर उनका मानदेय बढ़ाकर उन्हें स्थाई करने के प्रावधान का प्रयास किया गया। भाजपा और कांग्रेस की नीति में यही फर्क है।