चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर बोले आचार्य सत्येंद्र दास, कहा- हिंदुओं का होगा बुरा हाल !
बांग्लादेश में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं...
4PM न्यूज़ नेटवर्क: बांग्लादेश में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके बाद बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ती हुईं नजर आ रहीं हैं। इतना ही नहीं चटगांव में हुए हिंसक प्रदर्शनों में एक वकील की मौत भी हो गई है। वहीं इस मामले में चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी पर भारत के संत समाज की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर संत समाज चिंतित है। इसके साथ ही श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास और धर्मगुरु स्वामी दीपांकर ने भी इस मामले पर बयान दिया है।
आचार्य सत्येंद्र दास का बड़ा बयान
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि “उनका एकमात्र उद्देश्य किसी तरह से वहां के हिंदुओं और हिंदू संगठनों को प्रताड़ित करना है, ऐसे में हमारी सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए, इस्कॉन में संत और अच्छी विचारधारा के लोग हैं, यह उन्हीं के द्वारा संचालित है। हिंदुओं को तोड़ने और मिटाने के लिए वहां ऐसी साजिशें रची जा रही हैं। यह हिंदुओं के लिए घातक है, जब तक सरकार हस्तक्षेप नहीं करती, वहां के हिंदुओं का बुरा हाल होगा।
वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर धर्मगुरु स्वामी दीपांकर ने अपने बयान में कहा कि जहां पकड़ो हिंदू काटो मारो के नारे लग रहे हो और देश का वैश्विक समाज मूकदर्शक बना देख रहा हो, कांच टूट जाने पर विरोध करने वाला यूनाइटेड नेशन लाखों हिंदू के नरसंहार पर मौन कैसे हो सकता है? कैसे देश की सियासत जमात मौन हो सकती है जिसे संभल दिखता है मगर बांग्लादेश में सवा करोड़ हिन्दुओं का नरसंहार नहीं दिखता, लाखों हिंदू मारे जा रहे हैं, मंदिर टूट रहे हैं घर जल रहे हैं, मगर वह मौन हो कर तमाशा देख रहे हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- वकील सैफुल इस्लाम की हत्या के विरोध में ढाका विश्वविद्यालय में भी मार्च निकाला गया, इसमें इस्कॉन विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं।
- हिंदू समूहों ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बंगाली हिंदुओं को निशाना बना रही है।
- इस मामले में इस्कॉन ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए।