बिहार के बाद महाराष्ट्र में गरमाई हिजाब पर सियासत, AIMIM-शिवसेना आमने-सामने!

देश भर में हिजाब को लेकर सियासत गर्म है। कभी हिजाब बैन की मांग उठती है तो कभी सीएम नीतीश द्वारा मंच से हिजाब हटाए जाने को लेकर चर्चा होती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देश भर में हिजाब को लेकर सियासत गर्म है। कभी हिजाब बैन की मांग उठती है तो कभी सीएम नीतीश द्वारा मंच से हिजाब हटाए जाने को लेकर चर्चा होती है। लेकिन अब एक बार फिर महाराष्ट्र में होने वाले BMC चुनाव में हिजाब की एंट्री हो गई है।

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव यानी BMC चुनाव से पहले सियासत अपने चरम पर पहुंच गई है. मेयर की कुर्सी को लेकर चल रही लड़ाई अब सीधे पहचान और धर्म के मुद्दे तक आ पहुंची है. AIMIM नेता वारिस पठान के हिजाब वाले बयान के बाद शिवसेना और AIMIM आमने-सामने हैं और बीएमसी चुनाव का माहौल पूरी तरह गरमा गया है. और बिहार के बाद महाराष्ट्र में भी हिजाब को लेकर सियासत तेज हो गई है।

दरअसल AIMIM के नेता वारिस पठान ने कहा कि एक दिन ऐसा आएगा जब हिजाब पहनने वाली महिला मुंबई की मेयर बनेगी. उन्होंने तर्क दिया कि संविधान समानता की बात करता है, तो पठान, खान, अंसारी, शेख या कुरैशी मेयर क्यों नहीं बन सकते।

ऐसे में इस बयान के सामने आने के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के इस बयान को सियासी संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं इस बयान के सामने आने के बाद अन्य दलों ने पलटवार करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने कड़ा विरोध जताया. पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि मुंबई का मेयर मराठी हिंदू ही होगा. उन्होंने AIMIM पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम मुद्दा उछालकर बीजेपी के लिए बैटिंग कर रही है.

तीखा तंज कसते हुए कहा कि यह राजनीति पाकिस्तान-बांग्लादेश में आजमाएं. उन्होंने कहा आंकड़ों की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक मुंबई में हिंदू आबादी करीब 61 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी करीब 25 प्रतिशत है. ऐसे में इसी जनसांख्यिकी को आधार बनाकर अलग-अलग दल अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं.

वहीं इसी बीच इस पूरे विवाद पर शिवसेना UBT सांसद संजय राउत ने कहा कि देश में राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे बड़े पदों पर मुस्लिम रहे हैं, इसलिए इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से उछालना ठीक नहीं.  वहीं शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने AIMIM नेता वारिस पठान के बयान पर कहा, “वारिस पठान कौन है? क्या मुंबई में उसकी कोई पहचान है? वारिस पठान कुछ भी बोलते रहते है, ऐसे लोगों की तरफ हम ध्यान नहीं देते…

दरअसल अब सवाल ये बनता है कि मेयर चुनाव से पहले हिजाब को लेकर सियासत कैसे गर्म हो गई? तो आपको बता दें कि मेयर की लड़ाई को धार्मिक रंग तब मिला जब राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के साथ आने के बाद दावा किया कि मुंबई का मेयर मराठी होगा. इसके बाद बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया है. दरअसल चुनावों से पहले महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर ‘ठाकरे ब्रैंड’ और मराठी अस्मिता के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। करीब दो दशक की सियासी दुश्मनी को खत्म करते हुए शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के संस्थापक राज ठाकरे ने आगामी बीएमसी चुनाव के लिए आधिकारिक तौर पर गठबंधन का ऐलान कर दिया है। बीते बुधवार को हुई इस घोषणा ने राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है।

गठबंधन की घोषणा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह समझौता किसी सत्ता के लालच में नहीं, बल्कि मुंबई और महाराष्ट्र की पहचान की रक्षा के लिए किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी महाराष्ट्र के हित में साथ आना चाहता है, चाहे वह भाजपा के भीतर के समान विचारधारा वाले लोग ही क्यों न हों, उनका ठाकरे गठबंधन में स्वागत है। वहीं, राज ठाकरे ने इस गठबंधन को महाराष्ट्र के अस्तित्व को बचाने के लिए ‘समय की मांग’ बताया। ऐसे में सियासी पंडितों का यह मानना है कि ठाकरे भाइयों का गठबंधन मराठी वोट बैंक को एकजुट करने और बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति को सीधी चुनौती देने के लिए बनाया गया है।

2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद मुंबई में बिखरे मराठी मतों को फिर से एक मंच पर लाने की यह एक रणनीतिक कोशिश है। ‘एकजुट ठाकरे परिवार’ की छवि के जरिए दोनों नेता पारंपरिक शिवसैनिक आधार को वापस साधना चाहते हैं। इसके अलावा उनका निशाना मुस्लिम मतदाताओं पर भी है, जिसने 2024 के लोकसभा चुनावों में उद्धव गुट की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी।

उद्धव और राज ठाकरे की नजर मुंबई की कुल 227 वार्डों यानी सीटों में से लगभग 113 वार्डों पर सबसे ज्यादा है। इसमें 72 मराठी-बहुल और 41 मुस्लिम प्रभाव वाले वार्ड शामिल हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद उद्धव के प्रति मुस्लिम मतदाताओं का रुझान बढ़ा है, जबकि राज ठाकरे की पकड़ मुंबई के 26 प्रतिशत कोर मराठी मतदाताओं पर मानी जाती है। बता दें कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उसके बाद राज्य के नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में करारी हार के बाद बीएमसी चुनाव ठाकरे के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन गया है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का दावा है कि बालासाहेब ठाकरे की विरासत का असली वारिस वही हैं, इस पर जनता ने भी मुहर लगा दी है और उन्हें हर चुनाव में वोट देकर जीता रही है।

दूसरी ओर, भाजपा जो पहली बार मुंबई में अपना मेयर बनाने का सपना देख रही है, उसके ‘150-प्लस’ के लक्ष्य के सामने अब ठाकरे भाइयों का गठबंधन बड़ी चुनौती है। भाजपा के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सार्वजनिक रूप से ठाकरे भाइयों के गठबंधन को खारिज किया है, लेकिन अंदरखाने भाजपा रणनीतिकार चौकन्ने हैं।

भाजपा को उम्मीद है कि उसकी पकड़ गैर-मराठी खासकर उत्तर भारतीय और गुजराती मतदाताओं पर मजबूत है, जो कुल आबादी का लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक हैं। हालांकि पार्टी नेता यह भी स्वीकार करते हैं कि करीब 11 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक उसके खिलाफ जा सकते हैं। ऐसे में वारिस पठान के हिजाब वाले बयान के सामने आने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उफान आ गया है। खैर मेयर किसका होगा और कौन होगा ये तो चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद ही पता चलेगा।

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