यूपी के बाद अब महाराष्ट्र में एनकाउंटर पर सियासी उबाल

  • विपक्ष ने शिंदे सरकार की पुलिस पर उठाए सवाल
  • बदलापुर कांड के आरोपी अक्षय की पुलिस मुठभेड़ में मौत
  • आरोपी की मां ने शव लेने से किया इंकार
  • राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश
  • सीआईडी करेगी मौत की जांच

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एनकाउंटर को लेकर यूपी में अभी सियासी बवाल थमा भी नहीं था कि अब बदलापुर में बच्चियों से यौन शोषण मामले में पकड़े गए आरोपी के मुठभेड़ को लेकर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी कोहराम मच गया है। हालांकि बदलापुर मामले की जांच सीआईडी को दे दिया है। महाराष्ट्र में बदलापुर में पिछले दिनों दो बच्चियों के साथ यौनशोषण में आरोपी अक्षय शिंदे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया। इसको लेकर महाराष्ट्र पुलिस विपक्ष के निशाने पर आ गई है। उधर उसकी मां ने भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा जब तक न्याय नहीं मिलेगा वह शव नहीं लेंगी। महाराष्ट्र के बदलापुर में दो बच्चियों से यौन उत्पीडऩ के आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस एनकाउंटर के बाद अस्पताल में मौत हो गई। उस पर पुलिस की रिवॉल्वर छीनने का आरोप है। फॉरेंसिक साइंस विशेषज्ञों की एक टीम ने मंगलवार को पुलिस वाहन की जांच की, जिसमें आरोपी अक्षय शिंदे को एक पुलिसकर्मी ने गोली मार दी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह घटना पुलिस हिरासत में मौत से संबंधित है। इसकी जांच महाराष्टï्र सीआईडी करेगी। सीआईडी की एक टीम मुंब्रा बाईपास पर उस स्थान का दौरा करेगी, जहां घटना हुई थी।

बेटे को पुलिस ने मारा है : अक्षय की मां

अक्षय की मां का कहना है कि ये बात एकदम गलत है, वह ऐसा नहीं कर सकता, मां का आरोप है कि उसके बेटे को पुलिस ने मारा है, तब तक न्याय नहीं मिलेगा, वह बेटे का शव नहीं लेगी। अक्षय की मां ने कहा कि उसकी जब बात हुई थी तो उसने कहा था कि मम्मी मुझे कब छुड़ाकर लेकर जाओगी। उसने किसी से भी डर की कोई बात नहीं कही थी। अक्षय की मां ने कहा कि पुलिस ने उनको बोला था कि तुम्हारे बेटे ने बहुत बड़ा काम किया है, उसके साथ दो-तीन लोगों को लेकर आना पड़ता है। अक्षय की मां का आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे को बहुत मारा था।

पहले फांसी की मांग की थी अब विपक्ष ले रहा पक्ष : सीएम शिंदे

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि इससे पहले विपक्षी दलों ने अक्षय शिंदे को फांसी दिए जाने की मांग की थी, अब वे उसका पक्ष ले रहे हैं औरमहाराष्ट्र पुलिस की ईमानदारी पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी नेताओं का ये कृत्य निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने साफ किया कि पुलिस ने आत्मरक्षा में अक्षय को गोली मारी। उनका कहना है कि विपक्षी दल सरकार की मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना की सफलता से घबरा गए हैं।

यूपी में मुस्लिम, यादव और ब्राह्मणों के ही हो रहे एनकाउंटर : माता प्रसाद

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उनके परिवार का उत्पीडऩ हो रहा है। वहीं, यूपी में मुस्लिम, यादव और ब्राह्मणों के फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं। अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए एक्स पर अनुज की बहन का वीडियो साझा किया और लिखा-शोक में डूबी एक बहन के आंसू जो शब्द बनकर सबको झकझोर रहे हैं, लेकिन हृदयहीन व असंवेदनशील लोगों के लिए इनका कोई महत्व नहीं।

हथकड़ी लगा हुआ व्यक्ति बंदूक कैसे छीन सकता है : विपक्ष

पुलिस का कहना है कि शिंदे की मौत जवाबी गोलीबारी में हुई, उसने एक कांस्टेबल की बंदूक छीनकर पुलिस पर गोलियां चला दी थीं। इस पर विपक्ष का कहना है कि हथकड़ी लगा हुआ व्यक्ति बंदूक कैसे छीन सकता है. उन्होंने मुठभेड़ का आरोप लगाया है। अक्षय शिंदे का कल जिस पुलिस वैन में एनकाउंटर हुआ, उसे ठाणे पुलिस मैदान में रखा गया है। मुठभेड़ की जांच के लिए बनी SIT के प्रमुख डीसीपी पराग मनेरे औऱ उनकी टीम ने आज सुबह पुलिस वैन का मुआयना किया। सूत्रों के मुतबिक मौके से फोरेंसिक टीम को 4 खाली कारतूस मिले हैं, जो कल फायर किए गए थे।

उन्नाव रेप पीडि़ता की सीआरपीएफ सुरक्षा हटाने की मांग पर अड़ा केंद्र

  • मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर
  • भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर है आरोपी
  • शीर्ष अदालत ने पीडि़ता से मांगा जवाब

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बहुचर्चित माखी रेप कांड की पीडि़ता, परिवार के सदस्यों और उसके वकीलों को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई है। इस जिम्मेदारी से सीआरपीएफ को हटाने की अनुमति के लिए केंद्र सरकार ने कोर्ट का रुख किया है। अब अदालत ने केंद्र की याचिका पर मंगलवार को पीडि़ता और उसके परिवार से जवाब मांगा है।
गौरतलब है, भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर साल 2017 में उन्नाव इलाके में नाबालिग लड़की का अपहरण और उसका दुष्कर्म करने के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीडि़ता और अन्य लोगों को एक अगस्त 2019 को सीआरपीएफ की सुरक्षा देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को लखनऊ की अदालत से दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

सुरक्षा वापस लेने के लिए याचिका दायर करे केंद्र

इससे पहले, 14 मई को शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वह पीडि़ता और अन्य को दी गई सीआरपीएफ सुरक्षा वापस लेने के लिए अलग से एक याचिका दायर करें। इस पर केंद्र ने कहा था कि पीडि़ता को यूपी या दिल्ली की पुलिस भी सुरक्षा दे सकती है। सीआरपीएफ को हटाने की अनुमति होनी चाहिए।

मेडिकल में दाखिले को लेकर केंद्र को ‘सुप्रीम’ आदेश

  • एनआरआई कोटे का धंधा बंद कर देना चाहिए : सीजेआई
  • कोर्ट की सख्त टिप्पणी- केंद्र सरकार को कानून के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मेडिकल दाखिले में एनआरआई कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि हमें एनआरआई कोटे का धंधा बंद कर देना चाहिए। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है, हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ ये क्या कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश के लिए एनआरआई कोटे की परिभाषा को व्यापक बनाने वाली अधिसूचना को रद्द करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें धोखाधड़ी को समाप्त करना होगा। हाईकोर्ट का आदेश बिल्कुल सही है। इसके हानिकारक परिणामों को देखें, जिन उम्मीदवारों के अंक 3 गुना अधिक हैं, उनको दाखिला नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार को लाइन में आना चाहिए, अजीबोगरीब तथ्यों को कानून के कुछ सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। हम कानून के सिद्धांतों को निर्धारित करेंग, जज जानते हैं कि उन्हें किससे निपटना है, हाईकोर्ट ने इस मामले को बारीकी से निपटाया है।

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