भारत को लेकर अमेरिकी सलाहकार का विवादित बयान, अखिलेश यादव ने किया पलटवार

नवारो ने कहा है कि 'ब्राह्मण' भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं और इसे 'रोकने' की जरूरत है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: रूस से तेल की खरीद को लेकर भारत पर एक बार फिर निशाना साधते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक विवादास्पद टिप्पणी की है। नवारो ने कहा है कि ‘ब्राह्मण’ भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं और इसे ‘रोकने’ की जरूरत है.

नवारो के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि जिनसे रिश्ता बताते हैं दोस्ताना अच्छा नहीं लगता उनका ताना पहले उन्होंने मध्यस्थता का दावा करके हमारे देश की राजनीति में हस्तक्षेप किया, फिर टैरिफ़ लगाकर आर्थिक नाकाबंदी करी, अब सामाजिक ताने-बाने में अवांछित अतिक्रमण कर रहे हैं… जनता पूछ रही है कि आख़िरकार भाजपाइयों की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो मुँह सिलकर बैठे हैं. कुछ तो वजह होगी, यूँ ही कोई मौन नहीं होता.

बता दें नवारो ने  कहा, ‘देखिए (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी एक महान नेता हैं.’ उन्होंने कहा कि मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नेता हैं और उन्हें ‘समझ नहीं आता कि भारतीय नेता किस तरह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ सहयोग कर रहे हैं.’

नवारो ने कहा, ‘तो मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा, भारतीय जनता कृपया समझिए कि यहां क्या हो रहा है. आपके पास ब्राह्मण हैं जो भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं. हमें इसे रोकने की जरूरत है.’ नवारो व्यापार तथा शुल्क (टैरिफ) पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर वाशिंगटन और नयी दिल्ली के बीच रिश्तों में आयी गिरावट के बाद पिछले कुछ दिनों से लगातार भारत को निशाना बना रहे हैं.

ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और रूसी तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है. भारत ने उस पर लगाए गए शुल्क को ‘अनुचित और विवेकहीन’ बताया है.

नवारो से चीन द्वारा रूसी तेल की खरीद को लेकर सवाल किया गया था. उनसे इस बारे में भी सवाल पूछा गया था कि क्या भारत पर अतिरिक्त शुल्क लागू करना पुतिन को ‘घुटने टेकने के लिए मजबूर’ करने के वास्ते पर्याप्त है. इस पर उन्होंने कहा, ‘खैर, साफ कहें तो हमने अब भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, लेकिन चीन पर भी 50 प्रतिशत से थोड़ा अधिक शुल्क है. तो सवाल यह है कि आप वास्तव में खुद को नुकसान पहुंचाए बिना कितना अधिक शुल्क लगाना चाहते हैं?’

नवारो ने कहा कि फरवरी 2022 में पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण से पहले भारत रूसी तेल नहीं खरीदता था और उसकी खरीद बहुत, बहुत कम मात्रा में होती थी. उन्होंने कहा, ‘फिर क्या हुआ? खैर, रूसी रिफाइनरों ने भारत में बड़ी तेल कंपनियों के साथ साठगांठ की. पुतिन, मोदी को कच्चे तेल पर छूट देते हैं. वे इसे संशोधित करते हैं और फिर यूरोप, अफ्रीका तथा एशिया को ऊंचे दाम पर बेचते हैं तथा वे ढेर सारा पैसा कमाते हैं.’ नवारो ने कहा, ‘अब, उस परिदृश्य में क्या गलत है?’ उन्होंने कहा कि इससे रूसी युद्ध मशीन को ‘ईंधन’ मिलता है और भारत ‘क्रेमलिन के लिए सिर्फ तेल धन शोधन केंद्र’ बन गया है.

रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों से प्रेरित है. यूक्रेन पर हमले के बाद जब से पश्चिमी देशों ने रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाए हैं तब से रूस भारत का शीर्ष ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बन गया है. नवारो ने पहले यूक्रेन संघर्ष को ‘मोदी का युद्ध’ बताया था और कहा था कि ‘शांति का मार्ग’ आंशिक रूप से ‘नयी दिल्ली से होकर’ गुजरता है.

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