ओवैसी से यूपी का हिसाब महाराष्ट्र में बराबर करने की फिराक में अखिलेश यादव

नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम सियासत के जरिए खुद को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करने में जुटे हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. मुस्लिम वोटों के चलते अखिलेश यादव और ओवैसी का रिश्ता हमेशा से छत्तीस का रहा है. ऐसे में अब इसे संयोग कहिए या फिर प्रयोग असदुद्दीन ओवैसी से उत्तर प्रदेश का सियासी हिसाब अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र चुनाव में बराबर करने की रणनीति बनाई है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा ने पूरे दमखम के साथ लडऩे की स्ट्रेटेजी बनाई है. अखिलेश यादव अपने मिशन-महाराष्ट्र का आगाज मुस्लिम बहुल इलाके से ही नहीं कर रहे हैं बल्कि असदुद्दीन ओवैसी की महाराष्ट्र में सियासी प्रयोगशाला की जमीन रही है. सपा प्रमुख शुक्रवार को महाराष्ट्र के दो दिन के दौरे पर पहुंच रहे हैं. शुक्रवार को अखिलेश महाराष्ट्र में मालेगांव में रहेंगे तो अगले दिन शनिवार को धुले में एक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इन दोनों ही सीटों पर ओवैसी की पार्टी ्रढ्ढरूढ्ढरू का सियासी आधार ही नहीं बल्कि विधायक रहे हैं.
अखिलेश यादव महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ से चुनावी हुंकार भरकर मुस्लिमों को साधने की कवायद करेंगे. 2019 विधानसभा चुनाव में मालेगांव सेंट्रल और धुलिया सिटी विधानसभा सीट जीतकर ्रढ्ढरूढ्ढरू ने सबको चौंका दिया था. इससे पहले 2014 के चुनाव में औरंगाबाद सेंट्रल और भायखला सीट पर जीत का परचम ओवैसी की पार्टी ने फहराया था. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट पर जीत दर्ज की थी. इस तरह यह कहा जाने लगा है कि महाराष्ट्र में मुसलमानों को कांग्रेस और एनसीपी का सियासी विकल्प ्रढ्ढरूढ्ढरू मिल गई है.
महाराष्ट्र के मुसलमानों के बीच ओवैसी लगातार अपनी गहरी पैठ जमाने में जुटे हैं, जिसके लिए लगातार ये बातें कह रहे हैं कि कांग्रेस और एनसीपी सिर्फ मुस्लिमों का वोट लेना जानती हैं. इसके अलावा न ही मुस्लिमों के मुद्दों से कोई मतलब है और न ही मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं. ओवैसी अपनी ऐसी ही बातों से महाराष्ट्र के मुस्लिमों के बीच अपना सियासी आधार मजबूत करने में लगे हैं. ओवैसी के सियासी मंसूबों पर पानी फेरने का प्लान अखिलेश यादव ने बनाया है.
अखिलेश यादव की नजर भी महाराष्ट्र में उसी मुस्लिम वोट बैंक पर है, जिसके जरिए ओवैसी किंगमेकर बनने का ख्वाब देख रहे हैं. अखिलेश यादव और ओवैसी के सियासी रिश्ते छत्तीस के रहे हैं. ओवैसी यूपी में अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं तो अखिलेश को लगता है कि ्रढ्ढरूढ्ढरू उनके मुस्लिम वोटों में सेंधमारी कर रही है. ऐसे में ओवैसी की पार्टी आरोप लगाती रही है कि मुसलमान नेताओं से सपा सिर्फ दरी बिछाने का काम करवाती है. इस तरह ओवैसी से यूपी का हिसाब महाराष्ट्र में अखिलेश कर रहे हैं.
अखिलेश यादव का महाराष्ट्र दौरा मुस्लिम बहुल इलाकों में रखा गया है, जिससे उनकी महाराष्ट्र की सियासत को समझा जा सकता है. सपा का महाराष्ट्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन 2009 में था, जब उसने 4 सीटें जीती थीं, लेकिन 2014 में यह संख्या घटकर एक रह गई और 2019 में दो विधायक ही जीत सके. सपा के दो विधायक हैं, जिनमें एक शिवाजी नगर से अबू आजमी और दूसरी भिवंडी पूर्व सीट से रईस शेख हैं. इससे पहले भी सपा के विधायक मुस्लिम ही चुने जाते रहे हैं.
सपा ने 2024 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर चुनाव लडऩे का प्लान बनाया है, उसमें से ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल हैं. मुंबई क्षेत्र की मानकोर शिवाजी नगर, भायखला, वर्सोवा के अलावा मुंबई से सटे ठाणे की भिवंडी ईस्ट, भिवंडी वेस्ट दोनों सीटों पर चुनाव लडऩे का प्लान सपा का है. इसके अलावा धूलिया और औरंगाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी कर रखी है. इसी इलाके के सहारे ओवैसी की भी महाराष्ट्र में किंगमेकर बनने की रणनीति है, लेकिन सपा के उतरने से मुस्लिम वोटों के बिखरने का खतरा बन गया है.
महाराष्ट्र में अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन में ठीक-ठाक भागीदारी चाहते हैं. सपा ने 12 सीटों की डिमांड रखी है, जिसमें से पांच से छह सीटें मिलने की उम्मीद है. सपा उन्हीं सीटों पर अपनी दावेदारी कर रही हैं, जहां पर मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में है और ओवैसी की पार्टी का दबदबा रहा है. ऐसे में साफ है कि अखिलेश यादव यूपी का सियासी हिसाब ओवैसी से महाराष्ट्र में करना चाहते हैं. ्रढ्ढरूढ्ढरू के सियासी गढ़ में चुनौती देकर यह संदेश देना चाहते हैं कि मुस्लिम समुदाय ओवैसी पर नहीं बल्कि अखिलेश यादव पर भरोसा करता है. ऐसे में देखना है कि महाराष्ट्र के मुस्लिमों पर कौन कितना दम दिखा पाता है?

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