अखिलेश का सीएम योगी पर तीखा प्रहार : ‘लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते सीएम योगी’
- विधानसभा में मुस्लिम-यादव का नाम ही क्यों पढ़ा
- अयोध्या कांड व गोमतीनगर छेड़छाड़ मामले में भाजपा को घेरा
- बोले- सिर्फ राजनीति कर रही योगी सरकार
- समाजवादियों व मुस्लिमों को बदनाम कर रही बीजेपी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। गोमती नगर में छेड़छाड़ की घटना, अयोध्या दुष्कर्म मामले व वक्फ बोर्ड को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बीजेपी व योगी सरकार को जमकर कोसा। सपा प्रमुख ने सोमवार को योगी सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि योगी सरकार मुसलमानों और समाजवादियों को बदनाम करने का काम कर रही है। अखिलेश ने विधानसभा में यादव और मुस्लिम आरोपियों का नाम लेने पर सवाल उठाते हुए कहा कि लिस्ट बहुत लंबी थी, लेकिन दो का ही नाम क्यों लिया गया। उन्होंने अयोध्या में किशोरी से दुष्कर्म के आरोपी सपा नेता के डीएनए टेस्ट की मांग को सही बताया और कहा कि योगी सरकार की सात साल से अधिक सजा वाले मामले में यह कानून लेकर आई है। गोमती नगर घटना पर अखिलेश यादव का सीएम योगी पर अटैकअखिलेश ने कहा कि दूसरी घटना गोमतीनगर की थी। इस मामले में आरोपियों की सूची बहुत लंबी थी। पुलिस ने सभी नामों की सूची दी, फिर सदन में यादव और मुस्लिम का नाम क्यों पढ़ा गया। जिस यादव का नाम लिया गया, वह कैमरे के फुटेज में नहीं था। अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी चुनाव से पहले साजिश की तैयारी कर रही है। सरकार को पहले दिन से ही समाजवादियों को बदनाम करने का टारगेट रहा है।
हर वर्ग के लोगों का ध्यान रखते थे जनेश्वर मिश्र : सपा प्रमुख
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क पहुंचकर समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता जनेश्वर मिश्र को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया। इस मौके पर सपा प्रमुख ने कहा कि हम समाजवादियों ने जनेश्वर मिश्र को बहुत करीब से देखा है, उन्होंने पूरा जीवन समाजवादियों को आगे बढ़ाने के लिए काम किया। जनेश्वर मिश्र उस पीढ़ी के नेता हैं, जिन्होंने आजादी के बाद किसान, गरीब, मजदूर और हर वर्ग के लोगों के लिए कैसे समान का जीवन मिले ।
हाथरस घटना पर भी घेरा
अखिलेश ने हाथरस की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि साधु संत के कार्यक्रम की इजाजत के लिए बीजेपी नेताओं ने लिखा था, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए. इसका नतीज यह हुआ की बड़ी संख्या में लोगों की जान गई और कई घायल हुए।
अयोध्या की पीडि़ता को लखनऊ मेडिकल कॉलेज किया गया रेफर
जिला महिला अस्पताल में भर्ती दुष्कर्म पीडि़ता को संसाधनों के अभाव में अग्रिम इलाज के लिए केजीएमयू रेफर कर दिया गया है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एंबुलेंस से सीएमओ डॉ. संजय जैन पीड़िता को लेकर लखनऊ के लिए रवाना हुए हैं। भदरसा दुष्कर्म कांड की पीडि़ता हैवानियत की शिकार होकर गर्भवती हो गई है।
केजरीवाल सरकार को सुप्रीम झटका
- बड़ी अदालत बोली- दिल्ली सरकार की सलाह लेने की जरूरत नहीं
- एलजी कर सकते हैं नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) सरकार से सलाह लिए बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। कोर्ट के फैसले के बाद आप सरकार को तगड़ा झटका लगा है। दिल्ली सरकार ने मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति करने के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए बीते वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने माना कि नगर निगम अधिनियम के तहत उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति दी गई है। जबकि सरकार कार्यकारी शक्ति पर काम करती है। इसलिए उपराज्यपाल को वैधानिक शक्ति के अनुसार काम करना चाहिए, न कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम अधिनियम में प्रावधान है कि उपराज्यपाल नगर निगम प्रशासन में विशेष ज्ञान रखने वाले दस व्यक्तियों को नामित कर सकते हैं।
एलजी को अधिकार दिया पर अस्थिर नहीं कर सकते नगर निगम : सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार देने का मतलब है कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एमसीडी में ‘एल्डरमैन’ को नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए यह बात कही थी।
केंद्र-राज्य को भेजी गई ‘सुप्रीम’ नोटिस
- छात्रों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त
- बोली शीर्ष अदालत- कोचिंग सेंटर डेथ चेंबर बन गए
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त) को दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसे में जान गंवाने वाले छात्रों के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, कोचिंग सेंटर देश के विभिन्न हिस्सों से आए छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। वह डेथ चैंबर बन गए हैं। कोचिंग संस्थानों में फायर सेफ्टी रूल्स के पालन से जुड़े हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कोचिंग सेंटर फेडरेशन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
सरकार बताए, अब कौन से सुरक्षा मानदंड बनाए गए
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हमें नहीं मालूम है कि अभी तक दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार ने क्या प्रभावी उपाय किए हैं. अपने करियर में आगे बढऩे के लिए कोचिंग सेंटरों में पढऩे वाले कुछ छात्रों की जान जाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई ये घटना सभी के लिए आंखें खोलने वाली है।