सीजफायर पर कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला, अमेरिकी दबाव में नीति बदलने का आरोप
कांग्रेस का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए सरकार को पारदर्शिता बरतते हुए सभी दलों को विश्वास में लेना चाहिए।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते के बाद राजनीतिक गालियारों में हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है। शिवसेना यानी यूबीटी के बाद अब कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने इस समझौते को लेकर कई सवाल उठाए हैं और इसे अमेरिका के दबाव में लिया गया कदम बताया है।
कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस समझौते की शर्तों और इसमें अमेरिका की भूमिका को स्पष्ट करे। उन्होंने कहा, “क्या सरकार ने अमेरिकी दबाव में अपनी नीति बदली है?” बघेल ने संसद का विशेष सत्र बुलाने और इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक आयोजित करने की मांग भी की है। कांग्रेस ने सेना का समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रवाद सर्वोपरि है, न कि राजनीति। कांग्रेस का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए सरकार को पारदर्शिता बरतते हुए सभी दलों को विश्वास में लेना चाहिए। पार्टी ने यह भी दोहराया कि वह सेना के साथ खड़ी है और आतंकवाद के खिलाफ सरकार को हर जरूरी सहयोग देने को तैयार है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारी वीर सेना ने संकल्प और साहस के साथ दुश्मनों को जिस तरह से मुंहतोड़ जवाब दिया, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का पल था. हमारे जवानों ने अनेक युद्धों में भारत की अखंडता को बचाया है. 1971 के बाद इंदिरा गांधी ने दुनिया को दिखा दिया था कि भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है. आज भी हमारी सेना उसी जज़्बे के साथ सीमा पर डटी हुई है. कांग्रेस पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है.
जब भी देश पर संकट आया, कांग्रेस पार्टी ने राजनीति को पीछे रखा और देशहित को प्रथम स्थान दिया. आज भी हमारा वही संकल्प है. आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में राजनीति नहीं राष्ट्रवाद चाहिए. हमने उनसे सीखा है कि दुश्मन से बातचीत की मेज पर बैठें तो कमजोरी नहीं ताकत दिखाएं. 1971 में हमने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को घुटने पर ला दिया था, लेकिन आज सरकार से पूछा जाए कि क्या अमेरिका के दबाव में हमने अपनी नीति बदल दी है?
सरकार संसद का सत्र बुलाकर सब कुछ स्पष्ट करे
अमेरिका के राष्ट्रपति ने अचानक सीजफायर की घोषणा की, क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है? क्या भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है? हमने सीजफायर में पाकिस्तान से क्या वादे लिए हैं, देश के लोगों को यह भी जानने का हक है. राहुल गांधी ने पत्र लिखकर नरेंद्र मोदी से संसद के विशेष सत्र की मांग की है, जिसमें सभी दलों को बताया जाए कि युद्ध विराम की क्या शर्ते हैं?
पहलगाम आतंकी हमले में हमारे बेगुनाह लोगों की जान गई, देश गुस्से में है. सरकार ने सेना को कार्रवाई की खुली छूट दी. कांग्रेस भी हर कदम पर सरकार के साथ खड़ी रही. हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों को तबाह किया, लेकिन फिर जिस तरह से ट्रंप का ट्वीट आया, उससे हम सभी अचंभित हैं. इससे हम सभी के मन में बहुत सारे सवाल खड़े हुए हैं. क्या हमने ट्रंप के बयान से मध्यस्थता स्वीकार कर ली? क्या शिमला समझौता अब रद्द हो गया? उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे सवाल हैं. इसलिए कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि सरकार एक सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाएं ताकि सारी स्थिति साफ हो सक.
संकट की घड़ी में भी बीजेपी कर रही राजनीति
भूपेश बघेल ने कहा कि इस संकट की घड़ी में कांग्रेस ने अपने राजनीतिक कार्यक्रम रद्द किए. संविधान बचाओ रैली जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम को स्थगित किया ताकि देश में एकजुटता का संदेश जाए. हमने जय हिंद यात्रा निकाली ताकि सेना का मनोबल बढ़े और जनता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो. हमने सरकार से कहा कि कितना भी बड़ा संकट आए, कांग्रेस आपके साथ है. लेकिन जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा था तब BJP के नेता ट्विटर पर बीजेपी और UPA की तुलना कर इसे राजनीति का रंग दे रहे थे.
BJP के नेता सेना की बहादुरी को अपनी उपलब्धि बता रहे थे. सवाल है- क्या सेना के बलिदान को चुनावी बयानबाजी में इस्तेमाल करना उचित है? एक BJP नेता ने ट्वीट किया कि कांग्रेस के समय आतंकियों को माफी दी जाती थी और नरेंद्र मोदी ने सबक सिखाया- यह झूठ है. हमारा स्पष्ट संदेश रहा है कि भारत की एकता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. BJP राष्ट्र संकट वाली स्थिति में भी राजनीति करती रही, लेकिन कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ खड़ी रही, क्योंकि हम देश हित की बात करते हैं.



