CJI पर जूता फेंकने जैसी घटनाएं फिर न हों…’, कोर्ट ने बार एसोसिएशन और सरकार से मांगा सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने अदालत कक्ष में अनुशासन और गरिमा बनाए रखने के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और केंद्र सरकार से संयुक्त रूप से सुझाव मांगा है। शीर्ष अदालत ने यह निर्देश अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
यह मामला 6 अक्तूबर की उस घटना से जुड़ा है, जब सुनवाई के दौरान अधिवक्ता किशोर ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया था। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस और व्यावहारिक उपायों की आवश्यकता है। अदालत ने निर्देश दिया कि एससीबीए और केंद्र मिलकर न केवल निवारक कदमों पर सुझाव दें बल्कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग और सार्वजनिक प्रसार के लिए एक स्पष्ट प्रोटोकॉल भी सुझाएं।
ऐसी सामग्री का प्रसार रोकने की भी जरूरत- अधिवक्ता
बार एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को औपचारिक पक्षकार बनाया जाएगा और ऐसे सुझाव दिए जाएंगे, जिन्हें आईटी नियमों या सुप्रीम कोर्ट नियमों में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया हाउसों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भी जिम्मेदारी है कि वे इस प्रकार की घटनाओं से जुड़ी सामग्री के अनियंत्रित प्रसार को रोकें। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से विचार-विमर्श कर संयुक्त सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
डॉक्टर से दरिंदगी और हत्या का मामला हाईकोर्ट स्थानांतरित
वहीं, एक और मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या में शुरू किए गए स्वतः संज्ञान मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित आदेशों के अनुपालन व क्रियान्वयन की निगरानी अब कलकत्ता हाईकोर्ट करेगा।(जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के समक्ष रखा जाए।
पीठ ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस मामले को उपयुक्त पीठ को सौंपें और सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से सभी संबंधित रिकॉर्ड हाईकोर्ट को भेजे जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि जांच से संबंधित जो स्थिति रिपोर्टें अदालत में दाखिल की गई हैं, उनकी प्रतियां पीड़िता के माता-पिता को उपलब्ध कराई जाएं।
यह घटना अगस्त 2024 में सामने आई थी, जिसके बाद देशभर में डॉक्टरों और मेडिकल संगठनों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए थे। डॉक्टरों ने कार्यस्थलों पर सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग उठाई थी। इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और जांच व अन्य संबंधित पहलुओं पर कई अहम निर्देश दिए थे।



