भारत मेें डेमोक्रेसी इन डेंजर जोन!

  • राहुल का वार- मीडिया में भय, जांच एजेंसियां बन चुकी है राजनीतिक औजार
  • एलओपी के आरोपों के शोर से पूरी दुनिया में राजनीतिक तहलका
  • कोलंबिया यूनिवर्सिटी में शांति के साथ कहे गये तीन शब्दों की पूरी दुनिया में गूंज

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कोलंबिया यूर्निवर्सिटी में नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) राहुल गांधी के भाषण पर वल्र्ड पालिटिक्स ने रिएक्ट किया है और उनकी बातों पर चिंता जाहिर की है। वही देश में सत्ताधारी बीजेपी ने उल्टे उनके राजनीतिक कैरियर पर सवाल खड़े कर दिये हैं और कहा है कि खतरे में लोकतंत्र नहीं बल्कि राहुल गांधी का पालिटिक्स कैरियर है। राहुल गांधी का यह बयान सोनम वांगचुक कंट्रोवर्सी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि विरोध करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को देशद्रोही बताया जा रहा है। बयान से सियासी खलबली मच गयी है।

कोलंबिया भाषण और लोकतंत्र पर मंडराता साया

कोलंबिया यूनिवर्सिटी का सभागार खचाखच भरा था और मंच पर खड़े थे राहुल गांधी। राहुल गांधी की आवाज में न तो कोई आक्रोश था और न ही कोई बनावट पर उनके कहे गये शब्दों में तीखी बेचैनी थी। उन्होंने भाषण देते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र अब कुछ हाथों में सिमट गया है। संवैधानिक संस्थाएं धीरे-धीरे कब्जे में जी जा रही हैं और असहमति को अपराध बना दिया गया है। वह वाक्य उन्होंने जैसे ही बोले कमरे में एक ठहराव सा छा गया। कैमरों के लेंस उनके चेहरे पर टिक गए। और अगले ही घंटे में यह बयान सोशल मीडिया और न्यूजरूमों की दीवारों को तोड़ता हुआ पूरी दुनिय में फैल गया कि भारत में लोकतंत्र खतरे में हैं। यह सिर्फ एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं था बल्कि एक चेतावनी थी कि भारत उस मोड़ पर खड़ा है जहां लोकतंत्र और प्रचार, संविधान और सत्ता, नागरिक और नौकरशाही सबके बीच की रेखाएं धुंधली होती जा रही हैं। राहुल गांधी ने आगे कहा कि संसद में विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया है। मीडिया भय में जी रहा है। और जांच एजेंसियां राजनीतिक औजार बन चुकी हैं। उनकी यह बात उस समय आई जब देश में लगातार ईडी, सीबीआई और आईटी की कार्रवाइयां विपक्षी नेताओं पर हो रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में गिरफ्तार नेताओं की सूची लम्बी होती जा रही है।

महज वोट डालना लोकतंत्र नहीं

सरकार और विपक्ष के बीच तकरार होती है लेकिन तकरार यहां तक पहुंच जाएगी इस बात का अंदाजा नहीं था। मौजूदा तकरार को समझने के लिए यह भी देखना होगा कि हाल के वर्षों में न्यायपालिका, मीडिया और निर्वाचन आयोग पर किस तरह से जनता का भरोसा डगमगाया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन लोकुर ने कहा था कि लोकतंत्र केवल वोट डालने का नाम नहीं है। यह नागरिक की आवाज के सम्मान पर टिका है।

विदेशी मीडिया ने गंभीरता से लिया

राहुल गांधी के बयान को अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया ने गंभीरता से लिया है। पूरी दुनिया में राहुल गांधी के बयान के आधार पर खबरें लिखी जा रही है। अमेरिका का जार्जियन हो या फिर वाशिंगटन पोस्ट। सभी अखबार राहुल गांधी के बयान की खबरों से भरे पड़े हैं। जार्जियन ने लिखा है कि भारत जो कभी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता था अब भय और नियंत्रण के बीच झूल रहा है। वहीं वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत की असहमति की परंपरा को अब विरोधी शब्द से बदला जा रहा है।

राहुल गांधी को मिल रहा है समर्थन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन बंसल ने राहुल गांधी के हालिया बयानों का समर्थन करते हुए कहा कि उनके द्वारा विदेश में उठाए गए मुद्दों से सरकार को सबक लेना चाहिए। पवन बंसल ने कहा कि अगर राहुल गांधी ने लोकतंत्र के खतरे में होने की बात कही है तो यह आज की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है। लोकतंत्र की स्थिति ठीक नहीं है। वोटों की चोरी हो रही है लाखों लोगों को मतदान का अधिकार नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि संसद ठीक से नहीं चल रही विधेयकों पर चर्चा नहीं हो रही और न ही वे पारित हो रहे। राहुल गांधी ने जो कुछ विदेश में कहा वह गलत नहीं है बल्कि देश में असुरक्षा का माहौल और संस्थानों की खराब स्थिति इसका प्रमाण है।

बीजेपी का पलटवार

भाजपा ने उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि राहुल गांधी विदेशी धरती से भारत की बदनामी करने में लगे हैं। उन्हें लोकतंत्र की चिंता नहीं बल्कि सत्ता की भूख है जो उन्हें बेचैन कर रही है और ऐसे बयान दिलावा रही है। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा कि भारत में लोकतंत्र खतरे में नहीं है, बल्कि कांग्रेस पार्टी संकट में है। राहुल गांधी अपनी पार्टी के संकट को छिपाने के लिए वैश्विक मंचों पर जाकर भारत को बदनाम करते हैं और झूठ फैलाते हैं कि देश में लोकतंत्र खतरे में है। भारत में लोकतंत्र मजबूती से फल-फूल रहा है और नागरिक गर्व के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हिस्सा ले रहे हैं।

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