एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 4PM के प्रतिबंध को बताया ‘अन्यायपूर्ण फैसला’

  • प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी दिया 4PM का साथ
  • 4PM के साथ आया देश भर के संपादकों का समूह
  • सभी एक सुर में बोले- सरकार पत्रकारों की आवाज दबा रही है
  • संविधान का कर रही उल्लंघन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जन-जन की आवाज 4पीएम पर बैन के तीसरे दिन भी लोगों का उसको समर्थन जारी है। उसी क्रम में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी 4पीएम को केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध किए जाने को अन्यायपूर्ण बताया है। संस्था ने अधिकारिक बयान में कहा है कि यूट्यूब चैनल 4पीएम को राष्टï्रीय सुरक्षा के नाम पर बिना किसी सबूत व कारण बताए बंद करना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मीडिया आउटलेट्स पर प्रतिबंध और प्रतिबंधों की निंदा की है, अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन का हवाला देते हुए उन्होंने इस तरह की कार्रवाइयों से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की संभावना के बारे में चिंता व्यक्त की है। इससे पहले उन्होंने अन्य मीडिया संस्थानों जैसे तमिल वेब पत्रिका विकटन पर लगाए गए विशिष्ट प्रतिबंधों की भी निंदा की थी।
वहीं देश कई प्रेस संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा 4 पीएम न्यूज़ के यूट्यूब चैनल को ब्लॉक करने के फ़ैसले की कड़ी निंदा की और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला और भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक खतरनाक मिसाल बताया। एक संयुक्त बयान में प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, इंडियन विमेंस प्रेस कॉप्र्स, दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स, प्रेस एसोसिएशन और केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (दिल्ली यूनिट) के प्रतिनिधियों ने इस कदम की आलोचना की और चेतावनी दी कि यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों और अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार को कमजोर करता है। बयान के अनुसार, 4 पीएम न्यूज़ ने हाल ही में पहलगाम में एक दुखद घटना के इर्द-गिर्द संभावित सुरक्षा विफलताओं पर सवाल उठाने वाली आलोचनात्मक रिपोर्ट प्रसारित की थी। हस्ताक्षरकर्ताओं ने जोर देकर कहा, ये ऐसे सवाल हैं जो किसी भी लोकतंत्र में पूछे जाएँगे। लोकतंत्र में असहमति और सवाल करना कोई खतरा नहीं है, बल्कि ये पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए जरूरी उपकरण हैं। बयान में मांग की गई है कि सरकार 4 पीएम न्यूज और इससे जुड़े बहुभाषी चैनलों को ब्लॉक करने के सभी कारणों को सार्वजनिक करे। साथ ही पारदर्शिता और जनता के सूचना के अधिकार के हित में तुरंत पहुंच बहाल करने का आग्रह किया गया है। संयुक्त बयान में कहा गया है, इस तरह की कार्रवाइयां एक खतरनाक मिसाल कायम करती हैं।

सरकार आदेश को वापस ले

सपंदाकों ने कहा हम सरकार से ब्लॉकिंग आदेश को वापस लेने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि इस तरह के निर्णय कभी भी राजनीतिक दबाव या मनमाने मानकों से प्रेरित न हों, प्रेस की स्वतंत्रता पर चिंताएं बढऩे के साथ ही इस घटना ने डिजिटल मीडिया पर सरकारी नियंत्रण की सीमा पर बहस को फिर से हवा दे दी है। अधिवक्ता अब पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए तत्काल सुधारों की मांग कर रहे हैं।

लोकतांत्रिक परंपराएं दांव पर

इससे पहले विकटन वेबसाइट को ब्लॉक करना भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर बढ़ती वैश्विक चिंता के बीच हुआ है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट जैसे संगठनों ने डिजिटल मीडिया पर बढ़ते प्रतिबंधों और सरकारी प्रतिशोध के डर से समाचार संगठनों के बीच आत्म-सेंसरशिप में वृद्धि को चिह्नित किया है। ईजीआई ने कहा, पूरा प्रकरण मनमानी की बू आ रही है और यह स्वतंत्र प्रेस के पोषित आदर्शों के विरुद्ध है। उचित प्रक्रिया के बिना किसी वेबसाइट को ब्लॉक करना न केवल पत्रकारिता पर हमला है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर भी हमला है, जो निष्पक्षता और पारदर्शिता को महत्व देती हैं।

न्यायालयों में पहुंचे हैं मामले

कानूनी विशेषज्ञों और प्रेस स्वतंत्रता के पक्षधरों का तर्क है कि घटनाओं का यह क्रम न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि असंवैधानिक भी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही आईटी नियम 2021 के नियम 9(1) और (3) पर रोक लगा दी है, जो डिजिटल समाचार प्रकाशकों के लिए आचार संहिता को नियंत्रित करता है, जिससे ऐसे मामलों में आईडीसी के अधिकार सीमित हो जाते हैं। ईजीआई ने इस बात पर जोर दिया कि इस कानूनी प्रतिबंध के बावजूद, सरकार ने विकटन डॉट कॉम को ब्लॉक करने के साथ आगे कदम बढ़ाया, जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता पर बढ़ती कार्रवाई की आशंका बढ़ गई।

आईटी नियम संशोधन पर भी रखी अपनी राय

गिल्ड ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में चिंता व्यक्त की थी। उनका तर्क था कि वे प्रेस की स्वतंत्रता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

गिल्ड ने हमेशा प्रेस की स्वतंत्रता का किया बचाव

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजाआई) एक पेशेवर निकाय है जो भारतीय समाचार पत्रों और मीडिया आउटलेट्स के संपादकों का प्रतिनिधित्व करता है। गिल्ड का प्रेस की स्वतंत्रता का बचाव करने का इतिहास रहा है और इसने सरकार की उन कार्रवाइयों के बारे में सक्रिय रूप से चिंता व्यक्त की है जो मीडिया की स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता को प्रतिबंधित कर सकती हैं।

कई लोगों के समर्थन में उतर चुका है ईजीआई

ईजीआई ने हिंदी भाषा के चैनल पर प्रतिबंध की निंदा की, जिसे सरकार द्वारा यह कहने के बाद लगाया गया था कि इसने एक हमले के दौरान संवेदनशील विवरण का खुलासा किया था। उन्होंने तर्क दिया कि प्रतिबंध प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन है और इसे वापस लेने की मांग की। ईजीआई ने मीडिया प्रतिबंधों के अन्य उदाहरणों के खिलाफ भी बात की है, विशेष रूप से भारत प्रशासित कश्मीर जैसे क्षेत्रों में जहां स्थानीय समाचार पत्रों को अशांति के कारण कई दिनों तक प्रकाशन से रोक दिया गया है। ईजीआई की कार्रवाई प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और सरकार को उन कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है जो मीडिया की स्वतंत्र रूप से काम करने और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर रिपोर्ट करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

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