पंजाब में अंडरग्राउंड हो गए किसान नेता, भगवंत मान की नाराजगी के बाद बढ़ा बवाल; कई हिरासत में

नई दिल्ली। पंजाब में किसानों के पक्का मोर्चा से पहले पुलिस ऐक्शन शुरू हो गया है। कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया और कई नेता अंडरग्राउंड हो गए हैं। एक दिन पहले ही किसानों ने कहा था कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बिना किसी उकसावे के ही बैठक के दौरान नाराज होकर वहां से चले गए। मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रहने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने पांच मार्च से यहां एक सप्ताह तक धरना देने की अपनी योजना पर आगे बढऩे की घोषणा की।बरनाला में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शनपंजाब के बरनाला में किसान नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। किसानों का कहना है कि जब तक उनके नेताओं को रिहा नहीं किया जाएगा प्रदर्शन जारी रहेगा। जिन किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया है उनमें किसान संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रुलडू सिंह मनसा, प्रेम सिंह भांगू और प्रमदीप सिंब बैदवान शामिल हैं। उन्हें मोहाली से हिरासत में लिया गया है।बरनाला में किसान नेता हरदीप सिंह तालेवाल, मंजीत राज और जगजीर सिंह को हिरासत में लिया गया है। इसके अलावा आनंदपुर साहिब और रोपड़ में भी पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासतमें लिया है। बीकेयू एकता उग्राहन ने अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने कहा कि हमारे प्रदर्शन को ध्वस्त करने के लिए छापा मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें और हमारे समर्थकों को उठाने के लिए दर्जनों बसें घूम रही हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसानों और मुख्यमंत्री के बीच बातचीत फेल होने के बाद यह रेड जारी है। किसानों को उठाने के लिए पुलिस फोर्स लगा दी गई है।अंडरग्राउंड हो गए किसान नेताजोगिंदर सिंह उनके महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलान, बीकेयू दाकुंडा के चीफ बूटा सिंह, जगमोन सिंह और अन्य कई किसान नेता अंडरग्राउंड हो गए हैं। उनका कहना है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती। उन्होंने कहा कि बैठक फेल होने के बाद ही अंदेशा हो गया था कि उनको गिरफ्तार किया जाएगा। ऐसे में वे सावधान हो गए थे।पंजाब सरकार ने एसकेएम नेताओं को उनके नियोजित विरोध प्रदर्शन से पहले यहां पंजाब भवन में मुख्यमंत्री के साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया था। एक बयान में मान ने कहा कि सरकार समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल करने के लिए हमेशा तैयार है तथा रेल या सडक़ अवरोधों के माध्यम से आम आदमी के लिए परेशानी खड़ी करने से बचा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से आम जनता को परेशानी होती है, जिसके कारण वे आंदोलनकारियों के खिलाफ हो जाते हैं, जिससे समाज में मतभेद पैदा होता है।मान ने यह भी कहा कि हालांकि विरोध प्रदर्शन किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि इससे राज्य को कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापारी और उद्योगपति इस बात से दुखी हैं कि (पंजाब में) लगातार सडक़ एवं रेल यातायात को बंद किये जाने के कारण उनका कारोबार बर्बाद हो गया है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे ऐसे तरीके न अपनाएं जो समाज में मतभेद पैदा करते हैं।एसकेएम नेताओं ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बिना किसी उकसावे के बैठक से ‘चले जाने’ को लेकर मान की आलोचना की और कहा कि एक मुख्यमंत्री के लिए इस तरह का व्यवहार ‘शोभा नहीं देता।’ एसकेएम नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ चर्चा सुचारू रूप से चल रही थी। न्होंने कहा कि आधी मांगों पर चर्चा हो चुकी थी और उसी बीच मान ने किसान नेताओं से ‘धरना’ नहीं देने या सडक़ों पर नहीं बैठने का अनुरोध किया । उग्राहन ने कहा, ‘‘उन्होंने (मान ने) हमसे पूछा कि क्या हम पांच मार्च के अपने कार्यक्रम पर आगे बढ़ेंगे।’ उन्होंने कहा कि अठारह में से आठ-नौ मांगों पर चर्चा हो जाने के बाद मान ने कहा कि उनकी आंख में संक्रमण है जिसकी वजह से उन्हें जाना होगा।उग्राहन ने कहा, ‘‘हमने बैठक से पहले पूछा था कि मुख्यमंत्री के पास कितना समय है, जिस पर उन्होंने (मान ने) कहा था कि उनके पास पर्याप्त समय है।’ मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर किसान नेताओं से कहा कि उन्होंने इन नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया है, जबकि किसान नेताओं ने तर्क दिया कि हर सरकार किसी भी विरोध प्रदर्शन से पहले उन्हें बैठक के लिए बुलाती है। उग्राहन ने दावा किया कि इसके बाद मान बैठक से चले गए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केवल एक आश्वासन दिया कि धान की बुवाई एक जून से शुरू होगी।

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