लोकबंधु अस्पताल में भीषण आग, चार घंटे की दहशत, एक मरीज की मौत

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में सोमवार रात 9:30 बजे भीषण आग लग गई, जिसने अस्पताल में अफरातफरी मचा दी। आग की शुरुआत अस्पताल के दूसरे तल से हुई, जहां आईसीयू और फीमेल मेडिसिन वार्ड को सबसे पहले अपनी चपेट में लिया। इस घटना में एक मरीज की मौत हो गई।
आग फैलने के साथ ही अस्पताल में भर्ती करीब 25 मरीज आईसीयू और 30 मरीज फीमेल मेडिसिन वार्ड में थे। जैसे ही आग की लपटें उठी, अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। मरीजों और तीमारदारों की चीख-पुकार के बीच भगदड़ मच गई। डॉक्टर, नर्स, अस्पताल के कर्मचारी और दमकलकर्मी जान की बाजी लगाकर मरीजों को सुरक्षित स्थान पर निकालने में जुट गए।
अस्पताल कर्मचारियों ने तुरंत सीएमएस और अन्य अधिकारियों को आग की सूचना दी, जिसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। हालांकि, तब तक आग अन्य वार्डों में भी फैल चुकी थी। दमकलकर्मी और अस्पताल स्टाफ ने कठिनाइयों के बावजूद 250 से अधिक मरीजों को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाला।
आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पूरे परिसर में धुआं फैल गया और अस्पताल की बिजली काट दी गई, जिससे अंधेरा छा गया। अंधेरे में मरीजों को बाहर निकालने में कर्मचारियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, स्थानीय पुलिस ने टार्च और मोबाइल फोन की रोशनी का उपयोग करते हुए मरीजों को बाहर निकालने का काम किया।
घटनास्थल पर मौजूद लोग बताते हैं कि कुछ मरीजों ने अपने प्रियजनों को बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई। एक महिला ने अपनी पति को बचाने के लिए मदद मांगी तो कुछ लोग अपने पिताओं के लिए चीख रहे थे। अस्पताल परिसर में चारों तरफ दहशत का माहौल था।
अब तक किसी के हताहत होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की प्रक्रिया जारी है।
अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में लगी भयावह आग से प्रभावित लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना। यहां से बचाए गये मरीज़ों को अन्य अस्पतालों में तुरंत जगह दी जाए या उनके उपचार-इलाज की कोई और वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
भाजपा स्वयं तो कोई अस्पताल बना नहीं पाती है और जो पिछली सरकारों ने बनाए हैं, उनका सही रखरखाव तक नहीं कर पा रही है। इस अग्निकांड के कारणों की गहराई से जाँच की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि सुरक्षा के मानकों पर सब इंतज़ामात दुरुस्त थे अन्यथा उत्तरदायित्व सुनिश्चित करते हुए इस लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सज़ा दी जाए। इस बारे में सरकार स्थिति स्पष्ट करे और सही-सही जानकारी दे जिससे मरीज़ों, डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ़ के परिजनों के बीच कोई आशंका जन्म न ले।
ऐसे हालातों में फ़ायर बिग्रेड के प्रयासों और अन्य राहत कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए तथाकथित वीआईपी लोग दूर ही रहें। ये दिखावटी सहानुभूति अच्छी नहीं, अगर इन लोगों ने सही से अपना काम किया होता तो हालात ऐसे न होते।