Air India हादसे की जांच में विदेशी दखल, भारत की एजेंसियों पर भरोसा नहीं!

अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास एयर इंडिया के बोइंग 787 विमान हादसे में 275 लोगों की जान चली गई...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के बोइंग 787 विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया…… इस हादसे में 241 यात्रियों और कई स्थानीय लोगों की जान चली गई…… वहीं अब इस दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू हो चुकी है……. जांच का एक अहम हिस्सा है विमान का ब्लैक बॉक्स……. जिसे डेटा रिकवरी के लिए अमेरिका भेजा जा रहा है……. साथ ही इस जांच में विदेशी एजेंसियां भी शामिल हो रही हैं……

ब्लैक बॉक्स वास्तव में दो उपकरणों का समूह है….. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर….. एफडीआर विमान की हर गतिविधि, जैसे ऊंचाई, गति, इंजन की स्थिति और नियंत्रण सेटिंग्स को रिकॉर्ड करता है…… वहीं सीवीआर पायलटों की बातचीत, आपातकालीन अलार्म और कॉकपिट के अन्य ध्वनियों को कैद करता है……. ये दोनों उपकरण हादसे के कारणों को समझने में बहुत महत्वपूर्ण हैं……. अहमदाबाद हादसे में ब्लैक बॉक्स को मलबे से निकाला गया……. लेकिन यह काफी क्षतिग्रस्त है…… भारत में इसकी डेटा रिकवरी के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं……. इसलिए इसे अमेरिका भेजा जा रहा है….. जहां बोइंग और अन्य विशेषज्ञ इसे जांचेंगे……

इस जांच में अमेरिका और ब्रिटेन की एजेंसियां, जैसे अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड, फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन, और ब्रिटेन की सिविल एविएशन अथॉरिटी, भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की मदद कर रही हैं…… इसके पीछे कई कारण हैं…… यह विमान बोइंग 787 ड्रीमलाइनर था…… जो अमेरिका में निर्मित है…… अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार जिस देश में विमान बनाया जाता है……. उसकी एजेंसियां जांच में शामिल हो सकती हैं…… वहीं इस उड़ान में 53 ब्रिटिश नागरिक सवार थे……. इसलिए ब्रिटेन की एजेंसियां भी जांच में हिस्सा ले रही हैं…… यह बोइंग 787 का पहला घातक हादसा है…… इसलिए वैश्विक स्तर पर इसकी जांच जरूरी है…… ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें……

बता दें कि भारत की एएआईबी इस जांच की अगुवाई कर रही है…… ब्लैक बॉक्स के डेटा का गहनता से जांच करने में 2-4 सप्ताह लग सकते हैं…… इसके अलावा मलबे, रखरखाव रिकॉर्ड, मौसम की स्थिति और गवाहों के बयानों की भी जांच होगी…… विदेशी विशेषज्ञों की तकनीकी जानकारी और अनुभव से जांच को और गहराई मिलेगी……. सरकार ने एक उच्च-स्तरीय समिति भी बनाई है……. जो तीन महीने में प्रारंभिक रिपोर्ट देगी…..

आपको बता दें कि अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद एयर इंडिया का बोइंग 787 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था……. 12 जून 2025 को हुए इस हादसे में विमान में सवार 241 और जमीन पर मौजूद कम से कम 33 लोगों की जान चली गई…… ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक विमान के ब्लैक बॉक्स को जांच के लिए अब अमेरिका भेजा जाएगा……. क्योंकि ब्लैक बॉक्स बाहर से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है…… इसलिए भारत में इसका डेटा निकालना मुश्किल है…… अमेरिकी प्रयोगशाला में डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से डेटा निकाला जाएगा…… और इसे भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो के साथ साझा किया जाएगा…….. जांच में यह पता लगाया जाना है कि दुर्घटना कैसे हुई और इसकी वजह क्या थी…….

एआई-171 विमान का ब्लैक बॉक्स बुरी तरह जल जाने की वजह से भारतीय जांचकर्ता इसका डेटा नहीं निकाल पा रहे हैं…… जिसके चलते अब अमेरिका की नेशनल सेफ्टी ट्रांसपोर्ट बोर्ड की वाशिंगटन स्थित प्रयोगशाला में इसका डेटा निकाला जाएगा……. डेटा निकालने के बाद इसे AAIB को दिया जाएगा…… जो कि डीजीसीए से स्वतंत्र सिविल एविएशन मंत्रालय की एक जांच एजेंसी है…… अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार जिस देश में दुर्घटना होती है…… वही उसकी जांच करता है…… लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि AAIB ने दिल्ली में एक प्रयोगशाला बनाई है…….. पर वह अभी तक इतनी आधुनिक नहीं है कि वह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त ब्लैक बॉक्स के रिकॉर्डर में से डेटा निकाल सके……. NTSB की टीम भारतीय अधिकारियों की निगरानी में ब्लैक बॉक्स को अपनी प्रयोगशाला में ले जाएगी……. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी नियमों का पालन किया जा रहा है……. इस जांच में ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच भी शामिल होगी……. क्योंकि मरने वालों में 53 ब्रिटिश नागरिक भी थे……

वहीं अब तो यह समझ में आ रहा है कि हादसाग्रस्त विमान के ब्लैक बॉक्स से डेटा निकालने में दिक्कत की वजह से इसे जांच के लिए अमेरिका भेजने की तैयारी है……. लेकिन, इस विमान हादसे की वजहों की जांच के लिए कुछ अमेरिकी और ब्रिटिश एजेंसियां दुर्घटना के तीन दिन बाद यानी 15 जून को ही अहमदाबाद पहुंच गई थीं…… इनमें अमेरिका की नेशनल सेफ्टी ट्रांसपोर्ट बोर्ड……. और फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम के सिविल एविएशन अथॉरिटी के अधिकारी भी शामिल हैं……. ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि हादसा भारत में हुआ तो इन विदेशी जांच एजेंसियों को भारत आकर जांच में शामिल होने की जरूरत क्यों पड़ गई……

असल में इसका जवाब 78 साल पुराने एक समझौते में छिपा है……. इस समझौते का नाम है शिकागो कंवेंशन……. यह 1944 में बना था……. जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने वाला था…… वहीं अब इस कंवेंशन के नियमों को इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन देखता है……. यह संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है…… जिसका ऑफिस मॉन्ट्रियल में है…… भारत, अमेरिका और यूके समेत 193 देशों ने इसके नियमों को मानने के लिए हामी भर रखी है…….. इसके एक जरूरी नियम- एनेक्स 13 में यह व्यवस्था है कि विमान दुर्घटनाओं की जांच कैसे होगी…… एनेक्स 13 का चैप्टर 5 जांच का तरीका बताता है……. मकसद एक है, हवाई सुरक्षा को बेहतर बनाना है और भविष्य में हादसे को रोकना……

बता दें कि इस नियम के अनुसार विमान दुर्घटना की जांच की जिम्मेदारी उस देश की है……. जहां यह होती है…….. इसके अलावा, जिन देशों का विमान से संबंध है……. वे भी जांच में शामिल हो सकते हैं……. इनमें जहां विमान रजिस्टर्ड है…… जो देश हादसाग्रस्त विमान उड़ा रहा था…….. जहां विमान की डिजाइनिंग हुई है……. और जिस मुल्क में विमान का निर्माण हुआ है…… एयर इंडिया का AI-171 विमान हादसा भारत में हुआ…….. इसलिए जांच की अगुवाई एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो कर रहा है……. विमान भारतीय एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया का था……. इसलिए भी भारत जांच के लिए जिम्मेदार है…… इसका रजिस्ट्रेशन भी भारत का है……. इसके विमानों पर वीटी लिखा होता है……. जो भारत का रजिस्ट्रेशन नंबर है……. लेकिन, इसकी डिजाइन अमेरिका की है…… और बोइंग कंपनी भी अमेरिकी है……. इसके अलावा AI-171 में जो इंजन लगा था…… वह भी जनरल इलेक्ट्रिक बनाती है……. और यह भी एक अमेरिकी कंपनी है……. इसलिए, इस हादसे की जांच में अमेरिकी जांच एजेंसियां भी शामिल हैं……. वहीं, इस दुर्घटना में 53 ब्रिटिश नागरिकों की जान गई है……. इसलिए यूके की एजेंसी भी इसकी जांच में सहयोग कर रही है……

आपको बता दें कि ब्लैक बॉक्स में दो चीजें होती हैं…… फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर……. FDR विमान की ऊंचाई, गति और समय जैसी जानकारी रिकॉर्ड करता है…… जबकि CVR कॉकपिट में होने वाली बातचीत और उसमें मौजूद आवाजों को रिकॉर्ड करता है……. ब्लैक बॉक्स नारंगी रंग का होता है…….. यह दुर्घटना के दौरान भी सुरक्षित रहने के हिसाब से बना होता है……… यह विमान के पिछले हिस्से में लगा होता है…….. ताकि इसे कम से कम नुकसान हो…….. आमतौर पर जब विमान में आग लगती है…….. तो ब्लैक बॉक्स को इतना नुकसान नहीं होता……..

जिसको लेकर एक अधिकारी ने बताया कि ब्लैक बॉक्स से डेटा निकालने में दो दिन से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है……. यह इस बात पर निर्भर करता है कि ब्लैक बॉक्स कितना क्षतिग्रस्त हुआ है……. और उन्होंने कहा कि चूंकि रिकॉर्डर क्षतिग्रस्त हो गया है……… इसलिए डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मेमोरी बोर्ड से चिप को निकालना होगा…….. इलेक्ट्रॉनिक सर्किट की भी जांच करनी होगी……

वहीं एआई-171 विमान हादसे के जांचकर्ता कई चीजों पर ध्यान दे रहे हैं…… वे यह देख रहे हैं कि क्या विमान के पंखों के फ्लैप ठीक से खुले थे या नहीं……. और लैंडिंग गियर नीचे क्यों था…….. वे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की खराबी या ईंधन में मिलावट की भी जांच कर रहे हैं……. आपको बता दें कि ये वो कारण हैं……. जिनकी वजह से इंजन बंद हो सकते थे……. विमान दुर्घटनाएं कई कारणों से होती हैं…… शुरुआती जांच में जो बातें सामने आती हैं…… वे बाद में गलत भी साबित हो सकती हैं……. बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे आधुनिक विमानों में कई सुरक्षा प्रणालियां होती हैं…….. इससे विमान की विश्वसनीयता बढ़ती है…… और वह सुरक्षित रहता है……. उदाहरण के लिए यह विमान एक इंजन के साथ भी 345 मिनट तक उड़ान भर सकता है…….. लेकिन, फिर भी इतना बड़ा हादसा हो गया……. और इसलिए दुनिया भर के एविएशन एक्सपर्ट की नजरें इसकी जांच पर अटकी हुई हैं……

 

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