हिंडनबर्ग-अडानी का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, SEBI को लेकर कही ये बात

हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने के आने के बाद सुनामी आ गई है। हिंडनबर्ग और अडानी का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने के आने के बाद सुनामी आ गई है। हिंडनबर्ग और अडानी का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (13 अगस्त) को एक अपील दायर की गई है। जिसमें कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा उस याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार करने को चुनौती दी गई है, जो अडानी समूह की कंपनियों और सेबी से जुड़ी हुई है। याचिका में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा धोखाधड़ी के आरोपों पर SEBI की कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट की मांग की गई है।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद आई सुनामी

दरअसल, अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म द्वारा बीते शनिवार को मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लेकर रिपोर्ट जारी की गई थी और इसमें उनके अडानी ग्रुप से लिंक होने का दावा किया गया था। अब हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के मामले में विशाल तिवारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। आपको बता दें कि विशाल ने बीते साल 2023  में याचिका दायर करने वाले उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, जिन्होंने अडानी ग्रुप द्वारा शेयर बाजार में हेरफेर के संबंध में एसआईटी/सीबीआई जांच की मांग की थी।

सूत्रों के मुताबिक वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर अपील में कहा गया है कि 3 जनवरी के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच पूरी करने के लिए 3 महीने का समय दिया था। उस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों में हस्तक्षेप करने या आगे की कार्रवाई का आदेश नहीं दिया था लेकिन सेबी को निर्देश जरूर जारी किया था। अदालत ने तब कहा था कि इस मामले में किसी और कार्रवाई की आवश्यकता है या नहीं, यह निर्णय लेने का अधिकार सेबी पर छोड़ दिया गया है। लेकिन सेबी का हाल सामने है।

अब सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर ही अडानी समूह की कंपनियों में निवेश का आरोप हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में लगाया है। बुच दंपति ने नई रिपोर्ट का खंडन करते हुए स्वीकार किया कि सेबी में आने से पहले धवल बुच ने अपने बचपन के दोस्त के जरिए अडानी की कंपनियों में निवेश किया था।

विशाल तिवारी ने वर्तमान याचिका में कही ये बात

सूत्रों के मुताबिक वकील विशाल तिवारी की वर्तमान याचिका में कहा गया है कि अदालत का यह कहना कि जांच समयसीमा के भीतर पूरी होनी चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि शीर्ष अदालत ने कोई समय सीमा तय नहीं की है। चूंकि यह “समय सीमा” (तीन महीने) समाप्त हो चुकी है, तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर करने की मांग की है। विशाल तिवारी ने मुद्दा उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी की जांच रिपोर्ट 3 जून को सौंपी जानी थी। केंद्र सरकार के साथ-साथ सेबी द्वारा एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी कि क्या उसने बाजार में सुधार के लिए कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर विचार किया। केंद्र सरकार और सेबी को लोकसभा 2024 के नतीजों के बाद शेयर बाजार में गिरावट और निवेशकों के नुकसान पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विशाल तिवारी ने मंगलवार को अपनी अपील में कोर्ट रजिस्ट्रार के इस कदम को चुनौती दी है। इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि पंजीकरण के लिए कोई उचित कारण नहीं होने के आधार पर, जिसने याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार को सस्पेंड कर दिया है और याचिकाकर्ता के लिए माननीय न्यायालय का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया है।

इसके अलावा विशाल तिवारी ने कहा है कि जनता और निवेशकों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि अडानी समूह के खिलाफ 2023 में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद जो नुकसान हुआ है, उस पर सेबी जांच के निष्कर्ष क्या हैं?

महत्वपूर्ण बिंदु

  • इसके बाद सेबी प्रमुख और धवल बुच ने आरोपों से इनकार किया।
  • सेबी ने आश्वासन दिया कि अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की विधिवत जांच की गई है।
  • सेबी भारतीय पूंजी बाजार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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