अमेरिका से व्यापार समझौते में सतर्क रहे भारत’, कांग्रेस ने ‘MASALA डील’ पर उठाए सवाल

भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर कांग्रेस ने गहरी चिंता जताई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे ‘MASALA डील’ बताया है, जिसका मतलब है मुचुअली एग्रीड सेटेलमेंट्स अचीव्ड थ्रू लेवेलारज्ड आर्म ट्विस्टिंग, यानी दबाव डालकर आपसी समझौते हासिल करना। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस तरह के सौदों के जरिए भारत जैसे देशों पर अनावश्यक व्यापारिक दबाव बना रहा है। इसके साथ ही उन्होंने ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के बारे में भी बताए।
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक जीटीआरआई ने भारत को चेताया है कि अमेरिका के साथ किसी भी व्यापारिक समझौते में जल्दबाजी से बचना चाहिए। संस्थान के मुताबिक, अमेरिका इस समय 20 से ज्यादा देशों से व्यापार वार्ता कर रहा है और 90 से अधिक देशों से रियायतें मांग रहा है, लेकिन कई देश इसका विरोध कर रहे हैं। इसी को आधार मानकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अमेरिका के साथ भारत की डील पर कई सवाल उठाए है।
जयराम रमेश का सरकार पर निशाना
रिपोर्ट के बारे में भी बताते हुए जयराम ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के कामकाज के पूरी तरह से मनमाने और विचित्र तरीके को देखते हुए, जीटीआरआई ने अब मसाला (लीवरेज्ड आर्म-ट्विस्टिंग के माध्यम से प्राप्त पारस्परिक रूप से सहमत समझौते) सौदों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि, यह चेतावनी रंगीन भाषा में हो सकती है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पक्षपात करने की अपनी चाहत में, हमें बहुत-बहुत सावधान रहना होगा। राष्ट्रपति ट्रंप 10 मई से अब तक 21 बार बोल चुके हैं कि कैसे उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को अचानक बंद करवाने के लिए मसाला का इस्तेमाल किया।
कृषि जैसे कोर सेक्टर को बचाने की अपील
जयराम रमेश ने बताया कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत को खासतौर पर कृषि और घरेलू उद्योगों को अमेरिका के दबाव में आकर कुर्बान नहीं करना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को ‘राजनीतिक और एकतरफा’ बताया गया है, जिसमें अमेरिकी उत्पादों की अनिवार्य खरीद और बिना बदले में छूट के टैक्स कटौती जैसी शर्तें शामिल हैं।
‘MASALA डील’ का जिक्र कर कांग्रेस ने किया व्यंग्य
कांग्रेस नेता रमेश ने ‘MASALA डील’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए सरकार पर तंज कसा और कहा कि पहले ‘मसाला बॉन्ड’ हुआ करते थे, अब ‘मसाला डील’ सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अब विदेश नीति में भी असर डाल रही है, और सरकार को इस तरह की एकतरफा और दबाव में ली गई डील से बचना चाहिए।
दूसरे देशों ने भी जताई आपत्ति
जीटीआरआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि यूरोपीय यूनियन, मैक्सिको, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अमेरिका की ऐसी शर्तों को मानने से इनकार कर चुके हैं। इन देशों को अमेरिका ने भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है, लेकिन फिर भी वे राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं कर रहे हैं।



