दिहुलि नरसंहार मामले में 44 साल बाद मिला न्याय, 3 दोषियों को फांसी

4PM न्यूज़ नेटवर्क: उत्तर प्रदेश के दिहुली नरसंहार को लेकर नया अपडेट सामने आया है। फिरोजाबाद के दिहुलि में हुए नरसंहार मामले में 44 साल के बाद तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। आपको बता दें कि 18 नवंबर 1981 की शाम 17 हथियारबंद बदमाशों ने 24 दलितों की हत्या कर दी थी। 23 लोगों की मौके पर और एक की मौत इलाज के दौरान हुई थी।

आरोपियों को सजा देने में 44 साल लग गए

दिहुली नरसंहार में 24 दलित समाज के लोगों को गोली से भून दिया था। दिहुली नरसंहार मामले में आरोपियों को सजा देने में 44 साल लग गए। इस मामले में 11 मार्च को मैनपुरी की एक अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है, जिनकी सजा का ऐलान आज किया गया। इस घटना ने यूपी की नहीं बल्कि देशभर को हिलाकर रख दिया था।

24 दलितों में कई अन्य दलित भी जख्मी हो गए थे, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। दलित हत्याकांड से इतना ज्यादा आक्रोश फैला था कि यूपी से लेकर दिल्ली की सरकारें हिल गई थीं। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दिहुली गांव का दौरा किया था। इंदिरा गांधी गांव में पैदल ही घूमीं थीं। विपक्ष ने इस नरसंहार को लेकर तब इंदिरा सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। विपक्ष के नेता बाबू जगजीवनराम ने भी इस गांव का दौरा किया था। इस घटना में कुल 17 अभियुक्त थे, जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है। जबकि 4 बचे आरोपियों में तीन को दोषी ठहराया गया है। जबकि एक को भगोड़ा घोषित किया गया है। अब कोर्ट ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।

सूत्रों के मुताबिक मामले की सुनवाई कुछ दिन जिला न्यायालय में चली, लेकिन डकैती न्यायालय न होने के बाद प्रयागराज के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। वहां सुनवाई के बाद यह मामला फिर से मैनपुरी स्पेशल जज डकैती न्यायालय भेज दिया गया। जहां मामले की 15 सालों से सुनवाई चल रही थी।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • मंगलवार को दोषी कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल न्यायालय में उपस्थित हुए।
  • जहां तीनों दोषी रो रो कर न्यायालय के सामने अपने आप को बेगुनाह बताते रहे।
  • इस दौरान न्यायाधीश ने इंदिरा सिंह ने 3 दोषियों को फांसी की सजा सुनाते हुए 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

 

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