‘बेटी रुलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बिठाओ’ भाजपा सरकार की खेल नीति: सुरजेवाला
कांग्रेस ने ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक के संन्यास की घोषणा के बाद शुक्रवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि ‘बेटी रुलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बिठाओ’ भाजपा सरकार की खेल नीति बन गई है।
पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि महिला पहलवानों के साथ ‘ज्यादती और अन्याय’ के लिए सीधे तौर पर नरेन्द्र मोदी सरकार जिम्मेदार है।
रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने यहां बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह की भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का विरोध करते हुए बृहस्पतिवार को अपने कुश्ती के जूते टेबल पर रखे और कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की। इस घोषणा के समय उनकी आंखों में आंसू थे।
सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि पहलवान बेटियों के यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण के सहयोगी व ‘नॉमिनी’ संजय सिंह की चुनाव में जीत के बाद, कुश्ती में ओलंपिक पदक जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान व किसान की बेटी साक्षी मलिक द्वारा खेल से संन्यास की घोषणा भारत के खेल इतिहास का काला अध्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि चैंपियन महिला पहलवानों के साथ ‘ज्यादती व अन्याय’ के लिए सीधे मोदी सरकार दोषी है।
सुरजेवाला ने कहा, यह दर्शाता है कि न्याय की आवाज उठाने वाली बेटियों को सन्यास के लिए मजबूर कर घर भेज दिया जाएगा और दोषी कहकहे लगाएंगे, और बेटियों की बेबसी तथा लाचारी का मजाक उड़ाएंगे। शायद इसीलिए यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण सिंह ने कुश्ती संघ के चुनाव के बाद कहा, दबदबा था, दबदबा रहेगा। उन्होंने दावा किया कि ‘बेटी रुलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बिठाओ’ भाजपा सरकार की खेल नीति बन गई है।
उन्होंने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि रोहतक के मोखरा गाँव में जन्मी, हरियाणा के एक साधारण किसान परिवार की बेटी देश के लिए ओलंपिक पदक ले आई, और आज मोदी सरकार के ‘‘दबदबे’’ ने उसे वापस घर जाने पर मजबूर कर दिया।
सुरजेवाला ने कहा, “देश की पहलवान बेटियां न्याय मांगने के लिए 39 दिन तक तपती दोपहरी में जंतर-मंतर पर बैठ संसद के दरवाजे पर दस्तक देती रहीं, सिसकती रहीं, पर भाजपा सरकार ने उन्हें न्याय देने की बजाय दिल्ली पुलिस के जूतों से कुचलवाया और सड़कों पर घिसटवाया। यह हाल तब है जब महिला पहलवानों ने खुद के साथ हुई ज्यादतियों की शिकायत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और खेलमंत्री तक से की थी।”
उन्होंने दावा किया, इससे बड़ी राष्ट्रीय शर्म की बात और क्या होगी कि पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली पहलवान बेटियों को न्याय मांगने के लिए अपने पदक तक गंगा मैया में बहाने जैसा कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। कारण केवल इतना है कि भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह को मोदी सरकार का दुलार प्राप्त है।
कांग्रेस महासचिव ने यह दावा भी किया कि भारतीय कुश्ती संघ ही नहीं, बीसीसीआई से लेकर देश के सभी खेल संघों पर मोदी सरकार व भाजपाई नेताओं का कब्जा है।
उन्होंने सवाल किया, मोदी सरकार चुप क्यों है? देश की संसद किसान की पहलवान बेटियों की सिसकियों और आंसुओं पर चुप क्यों है? देश का खेल जगत और उसकी नामी-गिरामी हस्तियां चुप क्यों हैं? क्या यह मान लिया जाए कि अब दबदबा, डर, भय तथा अन्याय न्यू इंडिया में सामान्य बात है?